हिमाचल में मंत्रिमंडल विस्तार की अटकलें तेज, असंतुष्टों को साधने की अंतिम कवायद

हिमाचल प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में अगले कुछ हफ्तों में होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल की अटकलें चरम पर हैं। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री आगामी पंचायत चुनावों और पार्टी के भीतर के असंतुष्ट गुटों को साधने की अंतिम कवायद में जुटे हैं।
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हिमाचल प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में अगले कुछ हफ्तों में होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल की अटकलें चरम पर हैं। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री आगामी पंचायत चुनावों और पार्टी के भीतर के असंतुष्ट गुटों को साधने की अंतिम कवायद में जुटे हैं। यह संभावित फेरबदल केवल चेहरों का बदलाव नहीं, बल्कि सरकार की क्षेत्रीय रणनीति और जातीय समीकरणों को साधने का एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।

शिमला। हिमाचल प्रदेश के राजनीतिक गलियारों में अगले कुछ हफ्तों में होने वाले मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल की अटकलें चरम पर हैं। सूत्रों के अनुसार मुख्यमंत्री आगामी पंचायत चुनावों और पार्टी के भीतर के असंतुष्ट गुटों को साधने की अंतिम कवायद में जुटे हैं। यह संभावित फेरबदल केवल चेहरों का बदलाव नहीं, बल्कि सरकार की क्षेत्रीय रणनीति और जातीय समीकरणों को साधने का एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है।

पार्टी सूत्रों का कहना है कि मंत्रिमंडल विस्तार की आवश्यकता तीन प्रमुख कारणों से पैदा हुई है। पहला पिछले एक साल से कई वरिष्ठ और युवा विधायक मंत्रिमंडल में जगह न मिलने के कारण असंतुष्टि व्यक्त कर रहे हैं। इस फेरबदल के माध्यम से उन्हें महत्वपूर्ण पद देकर आंतरिक कलह को शांत करने का प्रयास किया जाएगा।

दूसरा कारण क्षेत्रीय असंतुलन है। वर्तमान मंत्रिमंडल में कांगड़ा, मंडी और शिमला जैसे बड़े जिलों के बीच प्रतिनिधित्व का स्पष्ट असंतुलन है। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री कम प्रतिनिधित्व वाले क्षेत्रों (जैसे कांगड़ा/ऊना) से कुछ युवा और प्रभावी चेहरों को शामिल कर क्षेत्रीय संतुलन को मजबूत करेंगे।

तीसरा सबसे अहम और मूल कारण मंत्रियों का प्रदर्शन का माना जा रहा है। कुछ मंत्रियों के प्रदर्शन की समीक्षा भी की गई है। अपेक्षाओं पर खरे न उतरने वाले मंत्रियों के विभागों में बदलाव या उन्हें संगठन में भेजने की संभावना है, ताकि प्रशासन को गति मिल सके।

पंचायत चुनाव और भविष्य की रणनीति पर ध्यान

यह संभावित विस्तार आगामी पंचायत और स्थानीय निकाय चुनावों को ध्यान में रखकर किया जा रहा है। मुख्यमंत्री का उद्देश्य है कि नए मंत्रियों के माध्यम से सरकार की योजनाओं और उपलब्धियों को ग्रामीण स्तर तक अधिक प्रभावी ढंग से पहुँचाया जाए। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि:

"यह विस्तार मुख्यमंत्री के लिए 'एक तीर से दो शिकार' करने जैसा है। एक तरफ वह अपने आंतरिक विरोधियों को शांत करेंगे, वहीं दूसरी तरफ क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को मजबूत करके ग्रामीण चुनावों के लिए पार्टी का आधार मजबूत करेंगे।"

संभावित रूपरेखा: युवा चेहरे और जातीय समीकरण

चर्चा है कि मंत्रिमंडल में कम से कम तीन से चार नए चेहरे शामिल किए जा सकते हैं, जिनमें युवा विधायकों को प्राथमिकता मिलने की संभावना है। जातीय समीकरणों को साधने के लिए अनुसूचित जाति (SC) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के प्रभावी नेताओं को महत्वपूर्ण स्थान दिया जा सकता है।

वरिष्ठ नेतृत्व में यह मंथन चल रहा है कि क्या कुछ वरिष्ठ मंत्रियों के विभागों में फेरबदल किया जाए या उन्हें संगठन में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाए, ताकि नए चेहरों के लिए रास्ता बनाया जा सके।

आधिकारिक चुप्पी : दिल्ली से हरी झंडी का इंतज़ार

हालांकि, इन अटकलों पर आधिकारिक तौर पर मुख्यमंत्री कार्यालय या पार्टी हाईकमान की तरफ से कोई पुष्टि नहीं की गई है। सूत्रों का कहना है कि फेरबदल की अंतिम सूची को दिल्ली में केंद्रीय नेतृत्व से हरी झंडी मिलने का इंतजार है। इस सप्ताह के अंत तक इस संबंध में बड़ा घटनाक्रम होने की उम्मीद है।

यह मंत्रिमंडल विस्तार न केवल सत्ताधारी पार्टी की आंतरिक राजनीति को नया रूप देगा, बल्कि राज्य के विकास एजेंडे और चुनावी तैयारियों पर भी इसका सीधा असर पड़ेगा।

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