आपातकाल के दौरान जेल गए हिमाचल वासियों को मिलेगा मानदेय

शिमला। देश में 1975 में लगे आपातकाल के दौरान जेल गए हिमाचल प्रदेश के लोगों (People of Himachal) को सरकार मानदेय देगी। आपातकाल के दौरान 15 दिन तक जेल में रहने वाले हिमाचल वासियों (People of Himachal) को 8000 रुपये दिए जाएंगे। जिन लोगों ने 15 दिन से अधिक समय जेल में बिताया उन्हें 12,000
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आपातकाल के दौरान जेल गए हिमाचल वासियों को मिलेगा मानदेय

शिमला। देश में 1975 में लगे आपातकाल के दौरान जेल गए हिमाचल प्रदेश के लोगों (People of Himachal) को सरकार मानदेय देगी। आपातकाल के दौरान 15 दिन तक जेल में रहने वाले हिमाचल वासियों (People of Himachal) को 8000 रुपये दिए जाएंगे। जिन लोगों ने 15 दिन से अधिक समय जेल में बिताया उन्हें 12,000 रुपये दिए जाएंगे। हिमाचल प्रदेश विधानसभा ने शनिवार को इस संबंध में एक विधेयक पारित किया है। विधेयक के अनुसार 1975 में लगाए गए राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान सामाजिक या राजनीतिक कारणों से जेल लोगों को इसमें शामिल किया जाएगा।

 

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने हिमाचल प्रदेश लोकतंत्र प्रहरी सम्मान विधेयक-2021 पेश किया। उन्होंने कहा कि अभी तक 81 लाभार्थियों की पहचान की गई है जिन्हें लोकतंत्र प्रहरी नाम दिया गया है। 15 दिनों तक कारावास के मामले में उन्हें 8,000 रुपये दिए जाएंगे। जिन लोगों ने 15 दिन से अधिक समय जेल में व्यतीत किया है, उन्हें 12,000 रुपये दिए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक आपातकाल के दौरान कई लोगों ने मौलिक अधिकारों और लोकतंत्र की रक्षा के लिए लड़ाई लड़ी थी।

 

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने उन लोगों को मानदेय देने का फैसला किया है, जिन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए सक्रिय भूमिका निभाई और जेल गए थे। उन्होंने कहा कि मृतक लोकतन्त्र प्रहरियों के जीवन साथी भी मानदेय के पात्र होंगे। उन्होंने कहा कि आवेदकों के दावों पर विचार करने के लिए एक समिति गठित की जाएगी। जिस व्यक्ति को नैतिक रूप से गलत कामों के लिए अदालत ने दंडित किया था, वे मानदेय के लिए अयोग्य होंगे।

लोकतंत्र प्रहरी शब्द बदलने की मांग

विधेयक पर चर्चा के दौरान, कांग्रेस विधायक सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने सुझाव दिया कि आपातकाल के दौरान तोड़फोड़ के लिए जेल में बंद लोगों को मानदेय नहीं दिया जाना चाहिए। सुक्खू ने मांग की कि लोकतंत्र प्रहरी शब्द को बदल दिया जाना चाहिए। क्योंकि यह एक व्यापक शब्द है। इसमें आरटीआई कार्यकर्ता और पत्रकार जैसे लोग भी शामिल हैं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा से जुड़े लोगों को ही मानदेय दिया जाएगा। इस पर मुख्यमंत्री ने कहा कि 1975 में भाजपा अस्तित्व में नहीं थी। इसके खिलाफ आवाज उठाने वाले विभिन्न वैचारिक पृष्ठभूमि के लोगों को मानदेय दिया जाएगा। इसमें पत्रकार भी शामिल हैं। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान, देश में लोकतंत्र कुचला गया था।

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