हिमाचलः चुनावी साल में पुरानी पेंशन स्कीम भाजपा सरकार के लिए बनी सिरदर्द!

हिमाचल प्रदेश में इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसी बीच हिमाचल प्रदेश नई पेंशन योजना कर्मचारी संघ के बैनर तले कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग को लेकर पदयात्रा पर निकले हुए हैं।
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हिमाचल प्रदेश में इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसी बीच हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना की मांग बढ़ती जा रही है। हिमाचल प्रदेश नई पेंशन योजना कर्मचारी संघ (एनपीएसईए) के बैनर तले कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग को लेकर पदयात्रा पर निकले हुए हैं। हालांकि इस मामले पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली सरकार ने पूरी तरह चुप्पी साध रखी है। 

हिमाचल प्रदेश में इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसी बीच हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) की मांग बढ़ती जा रही है। हिमाचल प्रदेश नई पेंशन योजना कर्मचारी संघ (NPSEA) के बैनर तले कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग को लेकर पदयात्रा पर निकले हुए हैं। हालांकि इस मामले पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (CM Jairam Thakur) के नेतृत्व वाली सरकार ने पूरी तरह चुप्पी साध रखी है। 

हालांकि सरकार ने कर्मचारियों के धरना-प्रदर्शन पर नकेल कस दी है। इसे संदर्भ में कार्मिक विभाग ने शुक्रवार को आदेश जारी किए है। इसमें कहा गया है कि जो कर्मचारी धरने में शामिल होंगे, उनका वेतन काटा जाएगा। धरने के दौरान गैर-कानूनी गतिविधि पथराव, तोड़-फोड़ वगैरह करने पर निलंबन भी किया जाएगा। कार्मिक विभाग ने सभी विभागाध्यक्ष को इन आदेशों की अनुपालना सुनिश्चित बनाने को कहा है।


राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार द्वारा सरकारी कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना की घोषणा के बाद, अब राज्य की भाजपा सरकार पर इसकी घोषणा करने का भारी दबाव है। पुरानी पेंशन को लेकर पदयात्रा 23 फरवरी को मंडी में शुरू हुई थी और 3 मार्च को शिमला पहुंचने की उम्मीद है और लगभग एक लाख कर्मचारियों के शिमला में पुरानी पेंशन योजना की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन करने की उम्मीद है। 
 

हिमाचल प्रदेश में इसी साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसी बीच हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन योजना की मांग बढ़ती जा रही है। हिमाचल प्रदेश नई पेंशन योजना कर्मचारी संघ (एनपीएसईए) के बैनर तले कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना लागू करने की मांग को लेकर पदयात्रा पर निकले हुए हैं। हालांकि इस मामले पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली सरकार ने पूरी तरह चुप्पी साध रखी है। 

कर्मचारियों का आरोप है कि जब विधायकों को वित्तीय लाभ की बात आती है तो सरकार जल्दी फैसला लेती है लेकिन जब पुरानी पेंशन के लाभ की बात आती है तो वही सरकार फंड की कमी को लेकर रोने लगती है। जहां भाजपा का दावा है कि तत्कालीन मुख्यमंत्री स्वर्गीय वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली पिछली कांग्रेस सरकार ने सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को खत्म कर दिया था, तो वहीं कांग्रेस ने तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को नई पेंशन योजना शुरू करने के लिए पुरानी पेंशन योजना को खत्म करने का दोषी ठहराया।

हिमाचल प्रदेश में, विधायकों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ मिलता है, जबकि सरकारी कर्मचारियों को नई पेंशन योजना के तहत लाभ दिया जाता है, जिससे विधायकों और कर्मचारियों के बीच संघर्ष बना हुआ है। प्रदेश में 2 लाख से ज्यादा सरकारी कर्मचारी चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। कांग्रेस पहले ही हिमाचल प्रदेश में सत्ता में आने पर पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का आश्वासन दे चुकी है।


अखिल भारती कांग्रेस कमेटी के सचिव और पूर्व मंत्री सुधीर शर्मा ने कहा कि राजस्थान सरकार पहले ही कर्मचारियों को पुरानी पेंशन देने की घोषणा कर चुकी है और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने आश्वासन दिया है कि कांग्रेस उन राज्यों में पुरानी पेंशन देगी जहां वह सरकार बनाएगी। उन्होंने कहा, "कांग्रेस हिमाचल प्रदेश में सत्ता में आने पर पुरानी पेंशन योजना को प्राथमिकता के आधार पर लागू करेगी और प्रदेश अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौर और विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री सहित पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने भी इसकी घोषणा की है।"

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