सुप्रीम कोर्ट में हिंदी में दलील देने लगा शख्स, जज बोले- हम कुछ नहीं समझे, यहां अंग्रेजी चलेगी

जजों ने कहा कि इस अदालत की भाषा अंग्रेजी है। हम नहीं समझ पा रहे हैं कि आप क्या कह रहे हैं। शख्स हाथ जोड़कर हिंदी में बात करता रहा और अपनी बात के समर्थन में कुछ दस्तावेज भी पेश किए।

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सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को एक केस की सुनवाई के दौरान मजेदार वाकया सामने आया। अदालत में एक केस में पक्षकार खुद ही जिरह करने लगा, लेकिन उसके हिंदी में बात करने पर जजों ने आपत्ति जताई। जजों ने कहा कि इस अदालत की भाषा अंग्रेजी है। हम नहीं समझ पा रहे हैं कि आप क्या कह रहे हैं। शख्स हाथ जोड़कर हिंदी में बात करता रहा और अपनी बात के समर्थन में कुछ दस्तावेज भी पेश किए। इस पर जस्टिस केएम जोसेफ और ऋषिकेश रॉय ने कहा कि हम हिंदी नहीं समझते हैं। 

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दोनों जजों ने कहा, 'हम नहीं समझ सकते कि आप क्या कह रहे हैं। इस अदालत की भाषा अंग्रेजी है।' जजों के हिंदी न समझने की बात कहने के बाद भी शख्स लगातार हिंदी में ही अपना पक्ष रखता रहा। इस दौरान एक वकील जो अपने मामले के लिए इंतजार कर रहा था, वह उस शख्स के पास पहुंचा और पूरी बात को अनुवाद करके जजों के समक्ष पेश किया। 

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Livelaw के मुताबिक मौके पर मौजूद अडिशनल सॉलिसिटर जनरल माधवी दीवान भी हिंदी में पक्ष रख रहे शख्स के पास पहुंचीं और उसकी मदद की। उससे कुछ बात करने के बाद माधवी ने अदालत को बताया कि वह वकील चाहता है। इसके बाद अदालत ने एक वकील को इशारा किया, जिसने उस शख्स की पूरी बात का अनुवाद किया और जजों के समक्ष रखा। 

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केस की सुनवाई के दौरान अदालत ने एक वकील से कहा कि क्या आप इस मामले में इनकी कुछ मदद कर सकते हैं। इस पर वकील ने कहा कि जी मैं इनकी मदद करूंगा। अदालत ने मामले की सुनवाई को 4 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दिया है। यही नहीं उच्चतम न्यायालय ने वकील से कहा है कि तब तक वह मामले से जुड़े सभी तथ्यों को समझ लें। अदालत ने कहा कि यह थोड़ा जटिल मामला है। आप अपना समय लीजिए और इसके बारे में पूरी स्टडी करिए। फिलहाल हम 4 दिसंबर तक के लिए मामले को स्थगित करते हैं।

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