भारत की पहली बुलेट ट्रेन के लिए बन रहा खास ट्रैक, 320 की स्पीड से दौड़ेगी ट्रेन

रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारत की पहली बुलेट ट्रेन (Bullet Train) के लिए बन रहे खास तरह के ट्रैक (Ballastless tracks) की पहली झलक दिखाई है। अपने एक्स हैंडल से उन्होंने इससे जुड़ा एक वीडियो भी पोस्ट किया।
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रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारत की पहली बुलेट ट्रेन (Bullet Train) के लिए बन रहे खास तरह के ट्रैक (Ballastless tracks) की पहली झलक दिखाई है। अपने एक्स हैंडल से उन्होंने इससे जुड़ा एक वीडियो भी पोस्ट किया। इसमें उन्होंने देश के पहले बैलेस्टलेस ट्रैक (Ballastless tracks) की खूबियां बताईं हैं। गुजरात-मुंबई के बीच बनने वाले इस ट्रैक के बारे में वीडियो में विस्तार से जानकारी दी गई है। साथ ही एनिमेटेड तरीके से इसमें बुलेट ट्रेन के दौड़ने के दृश्य भी शामिल हैं।

रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने भारत की पहली बुलेट ट्रेन (Bullet Train) के लिए बन रहे खास तरह के ट्रैक (Ballastless tracks) की पहली झलक दिखाई है। अपने एक्स हैंडल से उन्होंने इससे जुड़ा एक वीडियो भी पोस्ट किया। इसमें उन्होंने देश के पहले बैलेस्टलेस ट्रैक (Ballastless tracks) की खूबियां बताईं हैं। गुजरात-मुंबई के बीच बनने वाले इस ट्रैक के बारे में वीडियो में विस्तार से जानकारी दी गई है। साथ ही एनिमेटेड तरीके से इसमें बुलेट ट्रेन के दौड़ने के दृश्य भी शामिल हैं।


अश्विनी वैष्णव ने बताया कि 'मेक इन इंडिया' के तहत बने ये ट्रैक बैलेस्टलेस (Ballastless tracks) हैं यानी ऐसे ट्रैक, जिनमें तेज रफ्तार ट्रेनों के भार को सहने के लिए पटरियों में रोड़ी-पत्थर और कॉन्क्रीट के एंगल की जरूरत नहीं होगी। उन्होंने बताया कि इस ट्रैक (Ballastless tracks) पर रफ्तार 320 किमी प्रतिघंटा तक होगी। इनमें 153 किलोमीटर वायाडक्ट का काम पूरा हो चुका है। इसके अलावा 295.5 किमी का पीयर वर्क भी पूरा हो चुका है। 


वीडियो में बताया गया है कि यह विशिष्ट ट्रैक सिस्टम- जे-स्लैब बैलेस्टलेस ट्रैक (Ballastless tracks) सिस्टम प्रयोग में लाया जा रहा है। इस ट्रैक सिस्टम के मुख्यतः चार भाग हैं। वाया डक्ट के ऊपर आरसी ट्रैक बेड, सीमेंट-असाफाल्ट और मोर्टार की परत, इसके अलावा पहले से सांचे में ढाले हुए स्लैब और फास्टनर्स के साथ रेल भी। प्री-कास्ट आरसी ट्रैक स्लैब का निर्माण देश में ही दो स्थानों पर किया जा रहा है। गुजरात के आणंद में और किम में। लगभग 35 हजार मीट्रिक टन रेल आ चुकी हैं। निर्माण कार्य तेज गति से चल रहा है।

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