National Handloom Day 2024 : क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय हथकरघा दिवस?

भारत में हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारत की सांस्कृतिक धरोहर, पारंपरिक हथकरघा उद्योग और उसके कारीगरों के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए समर्पित है।
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भारत में हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारत की सांस्कृतिक धरोहर, पारंपरिक हथकरघा उद्योग और उसके कारीगरों के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए समर्पित है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य हथकरघा उद्योग के महत्व को पुनर्स्थापित करना, कारीगरों के योगदान को मान्यता देना और इस पारंपरिक उद्योग को समर्थन प्रदान करना है।

भारत में हर साल 7 अगस्त को राष्ट्रीय हथकरघा दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारत की सांस्कृतिक धरोहर, पारंपरिक हथकरघा उद्योग और उसके कारीगरों के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए समर्पित है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य हथकरघा उद्योग के महत्व को पुनर्स्थापित करना, कारीगरों के योगदान को मान्यता देना और इस पारंपरिक उद्योग को समर्थन प्रदान करना है।

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का महत्व

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस देश के हथकरघा उद्योग के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। यह दिन भारत के सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने और सांस्कृतिक पहचान में हथकरघा उद्योग की महत्वपूर्ण भूमिका को मान्यता देता है। यह न केवल कारीगरों को प्रोत्साहित करने के लिए है, बल्कि युवाओं को भी इस क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रेरित करता है।

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस 2024 की थीम

इस वर्ष राष्ट्रीय हथकरघा दिवस की थीम "सस्टेनेबल हैंडलूम: हरित और समृद्ध भविष्य की ओर" है। इस थीम का उद्देश्य स्थायी और पर्यावरण-हितैषी हथकरघा उद्योग को बढ़ावा देना है, जो न केवल पर्यावरण को संरक्षित करता है बल्कि कारीगरों के जीवन को भी समृद्ध बनाता है। इस थीम के तहत विभिन्न पहलें शुरू की जाएंगी जो हरे-भरे और टिकाऊ विकास को प्रोत्साहित करेंगी।

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का इतिहास

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस की शुरुआत 7 अगस्त 2015 को हुई थी। इस तिथि का चयन बंगाल विभाजन के विरोध में हुए स्वदेशी आंदोलन की याद में किया गया, जो 7 अगस्त 1905 को प्रारंभ हुआ था। इस आंदोलन ने भारतीयों को स्वदेशी वस्त्र और उत्पाद अपनाने के लिए प्रेरित किया और ब्रिटिश वस्त्रों का बहिष्कार किया। यह दिन उस ऐतिहासिक आंदोलन की याद दिलाता है जिसने भारत की स्वतंत्रता की नींव रखी थी और देशवासियों को आत्मनिर्भर बनने के लिए प्रेरित किया था।

हथकरघा उद्योग का महत्व

भारत में हथकरघा उद्योग का एक लंबा और समृद्ध इतिहास है। यह उद्योग भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हथकरघा से बने वस्त्र न केवल उच्च गुणवत्ता के होते हैं बल्कि उनकी डिजाइन और कारीगरी भी अद्वितीय होती है। यह उद्योग ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसमें लाखों कारीगर और बुनकर शामिल हैं। यह उद्योग ग्रामीण समुदायों को रोजगार प्रदान करता है और उन्हें आत्मनिर्भर बनाता है। हथकरघा उत्पाद पर्यावरण के अनुकूल होते हैं, क्योंकि इनका उत्पादन प्राकृतिक रेशों और रंगों का उपयोग करके किया जाता है।

सरकार और समाज का योगदान

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस न केवल एक वार्षिक उत्सव है, बल्कि यह हथकरघा उद्योग के विकास और संरक्षण के लिए एक सतत प्रयास है। इस दिन के माध्यम से सरकार और समाज मिलकर हथकरघा कारीगरों को प्रोत्साहित करते हैं और उनके उत्पादों को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने का प्रयास करते हैं। सरकार विभिन्न योजनाओं और नीतियों के माध्यम से कारीगरों को आर्थिक सहायता और प्रशिक्षण प्रदान करती है।

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का भविष्य

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस का उद्देश्य हमारे पारंपरिक उद्योग और कारीगरों को संरक्षित और प्रोत्साहित करना है। यह दिन हमें यह याद दिलाता है कि हमारे पारंपरिक उद्योग और कारीगर हमारी सांस्कृतिक धरोहर का अभिन्न हिस्सा हैं। हमें इन्हें संरक्षित करने और प्रोत्साहित करने की जिम्मेदारी उठानी चाहिए। इस दिन के माध्यम से हम अपने सांस्कृतिक मूल्यों को सुरक्षित रखते हुए एक समृद्ध और टिकाऊ भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं।

राष्ट्रीय हथकरघा दिवस भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण उत्सव है, जो हथकरघा उद्योग और उसके कारीगरों के प्रति सम्मान प्रकट करता है। यह दिन हमें हमारी सांस्कृतिक धरोहर की महत्ता को समझने और उसे संरक्षित करने के लिए प्रेरित करता है। 

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