Kargil Vijay Diwas: शहीदों को सलाम! जानिए 26 जुलाई का इतिहास और क्या है महत्व

26 जुलाई 1999 का दिन भारतीय सेना के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। इसी दिन भारत ने दुनिया के सबसे मुश्किल युद्धों में से एक कारगिल युद्ध में जीत हासिल की थी।

 | 
Kargil Vijay diwas 2022  कारगिल की ऊंची चोटियों को पाकिस्तान के कब्जे से आजाद करवाते हुए बलिदान देने वाले देश के वीर सपूतों की याद में हर साल कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) हर साल 26 जुलाई को 1999 में कारगिल युद्ध में पाकिस्तान (Pakistan) पर भारत (India) की जीत के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। युद्ध के दौरान, भारतीय सेना (Indian Army) ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ दिया और "ऑपरेशन विजय" (Operation Vijay) के हिस्से के रूप में टाइगर हिल (Tiger Hills) और अन्य चौकियों पर कब्जा करने में सफल रही।

कारगिल की ऊंची चोटियों को पाकिस्तान के कब्जे से आजाद करवाते हुए बलिदान देने वाले देश के वीर सपूतों की याद में हर साल कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। कारगिल विजय दिवस (Kargil Vijay Diwas) हर साल 26 जुलाई को 1999 में कारगिल युद्ध में पाकिस्तान (Pakistan) पर भारत (India) की जीत के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। युद्ध के दौरान, भारतीय सेना (Indian Army) ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को खदेड़ दिया और "ऑपरेशन विजय" (Operation Vijay) के हिस्से के रूप में टाइगर हिल (Tiger Hills) और अन्य चौकियों पर कब्जा करने में सफल रही।


लद्दाख (Ladakh) के कारगिल में 60 दिनों से अधिक समय तक पाकिस्तानी सेना (Pakistani Army) के साथ लड़ाई जारी रही और अंत में भारत को इस युद्ध में जीत हासिल हुई। हर साल, इस दिन हम पाकिस्तान द्वारा शुरू किए गए युद्ध में शहीद हुए सैकड़ों भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हैं। भारतीय सशस्त्र बलों के योगदान को याद करते हुए देशभर में कई कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं।

कारगिल युद्ध का इतिहास

1971 के भारत-पाक युद्ध (1971 India Pakistan War) के बाद से दोनों देशों के बीच कई सशस्त्र युद्ध हुए हैं। 1998 में दोनों देशों द्वारा परमाणु परीक्षण किए गए। लाहौर घोषणा में कश्मीर समस्या (Kashmir Issue) के शांतिपूर्ण समाधान का वादा किया गया था, जिस पर दोनों देशों ने स्थिति को शांत करने के लिए फरवरी 1999 में हस्ताक्षर किए थे। नियंत्रण रेखा के पार भारतीय क्षेत्र में पाकिस्तानी घुसपैठ को ऑपरेशन बद्र नाम दिया गया था। इसका उद्देश्य भारत को कश्मीर विवाद को निपटाने के लिए मजबूर करते हुए कश्मीर और लद्दाख के बीच संबंध तोड़ना था। 


भारत सरकार (Indian Government) ने इसके जवाब 'ऑपरेशन विजय' शुरू किया और लगभग दो महीने की लंबी लड़ाई के लिए 2 लाख भारतीय सैनिकों को जुटाया। यह युद्ध मई और जुलाई 1999 के बीच जम्मू-कश्मीर अब लद्दाख के कारगिल में हुआ था। माना जाता है कि उस समय पाकिस्तान की सेना के प्रमुख जनरल परवेज मुशर्रफ ने देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को सूचित किए बिना युद्ध की योजना बनाई थी।

लोकल चरवाहों ने की मदद

शुरूआत में, पाकिस्तान ने कश्मीर के भारतीय-नियंत्रित इलाकों पर अपना कब्जा कर लिया। युद्ध के दूसरे चरण में, भारत ने पहले रणनीतिक परिवहन मार्गों पर कब्जा करके जवाब दिया। भारतीय सेना स्थानीय चरवाहों द्वारा प्रदान की गई खुफिया जानकारी के आधार पर आक्रमण के बिंदुओं की पहचान करने में सक्षम थी। अंतिम चरण में, भारतीय सेना ने भारतीय वायुसेना की मदद से जुलाई के अंतिम सप्ताह में युद्ध का समापन किया। 


कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सेना भी शामिल थी। हांलाकि पाकिस्तान हमेशा से इस बात को लेकर इनकार करता रहा है। लेकिन युद्ध के दौरान और बाद में ऐसे कई तथ्य सामने आए हैं जो ये साबित करने के लिए काफी थे कि पाकिस्तानी सेना ने घुसपैठियों की मदद की थी। बता दें कि नवाज शरीफ ने अमेरिका से सहायता के लिए वाशिंगटन तक की यात्रा भी की थी, लेकिन उस समय अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने पाकिस्तान की मदद करने से इनकार कर दिया था।

भारतीय सेना द्वारा घोषित विजय

26 जुलाई 1999 को सेना ने मिशन को सफल घोषित किया, लेकिन जीत की कीमत ज्यादा थी। कैप्टन विक्रम बत्तरा कारगिल युद्ध के दौरान शहीद हुए वीर जवानों में से एक थे। बत्तरा को मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च वीरता सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। हाल ही में विक्रम बत्तरा के जीवन पर आधारित शेरशाह नाम की एक फिल्म बनी थी। कारगिल युद्ध के परिणाम विनाशकारी थे। कारगिल युद्ध में भारतीय सेना के 527 सैनिक शहीद हुए जबकि पाकिस्तान के 357 सैनिकों ने अपनी जान गंवाई। इस युद्ध में 453 आम नागरिकों की भी मौत हुई थी।

कारगिल विजय दिवस 2022 समारोह

इस साल कारगिल विजय दिवस की 23वीं वर्षगांठ है। भारतीय सेना ने दिल्ली से कारगिल विजय दिवस मोटर बाइक अभियान को हरी झंडी दिखाई। युद्ध स्मारक पर ध्वजारोहण समारोह के लिए एक विशेष कार्यक्रम की योजना बनाई गई है। शहीदों के परिवारों का स्मारक स्थल में सम्मान किया जाएगा। इस अवसर पर द्रास में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करने की भी योजना है। कार्यक्रम में शेरशाह की टीम मौजूद रहेगी। इस कार्यक्रम में कोरियोग्राफ किए गए नृत्य प्रदर्शन, देशभक्ति गीतों का प्रदर्शन किया जाएगा।

फेसबुक पर हमसे जुड़ने के लिए यहांक्लिक  करें। साथ ही और भी Hindi News (हिंदी समाचार) के अपडेट पाने के लिए हमेंगूगल न्यूज पर फॉलो करें।