भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी नई ऊंचाई पर, मोदी-पुतिन शिखर बैठक के 5 बड़े निष्कर्ष
नई दिल्ली में शुक्रवार को संपन्न हुई भारत-रूस 22वीं वार्षिक शिखर बैठक ने दोनों देशों के बीच दशकों पुराने रणनीतिक सहयोग को नई ऊर्जा प्रदान की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच विस्तृत बातचीत के बाद, दोनों नेताओं ने वैश्विक शक्ति संतुलन, रक्षा आधुनिकीकरण और भविष्य की ऊर्जा आवश्यकताओं पर केंद्रित कई दूरगामी समझौतों को अंतिम रूप दिया।
इस बैठक को न केवल द्विपक्षीय संबंधों के लिए, बल्कि भारत की विदेश नीति में रूस की निरंतर केंद्रीय भूमिका के लिए भी निर्णायक माना जा रहा है।
रक्षा और सुरक्षा: तकनीकी हस्तांतरण पर बल
शिखर बैठक का केंद्रीय फोकस हमेशा की तरह रक्षा सहयोग पर रहा। सूत्रों के अनुसार, दोनों पक्षों ने संयुक्त उत्पादन और तकनीकी हस्तांतरण (Technology Transfer) की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
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उन्नत हथियार प्रणालियाँ: भारत को S-500 एयर डिफेंस सिस्टम की आपूर्ति की समय-सीमा पर सहमति बनी है, जो देश की वायु रक्षा क्षमताओं को अभूतपूर्व शक्ति प्रदान करेगी।
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मेक इन इंडिया: हथियारों के पुर्जों के लिए भारत में ही विनिर्माण (Manufacturing) को बढ़ाने पर जोर दिया गया है, जो 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के तहत एक बड़ा कदम है।
ऊर्जा और अंतरिक्ष क्षेत्र में मील के पत्थर
ऊर्जा क्षेत्र में परमाणु ऊर्जा सहयोग ने नया आयाम लिया है।
कुडनकुलम विस्तार: तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र की इकाइयों के विस्तार के लिए नए वित्तीय और तकनीकी सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। यह भारत की स्वच्छ ऊर्जा (Clean Energy) आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण होगा।
अंतरिक्ष मिशन: भारत के गगनयान मिशन और भविष्य के अंतरिक्ष अन्वेषण प्रयासों में रूसी अंतरिक्ष एजेंसी 'रोस्कोस्मोस' की भागीदारी को और गहरा करने के लिए एक रूपरेखा समझौते पर सहमति बनी है। इसमें क्रू ट्रेनिंग और महत्वपूर्ण घटकों की आपूर्ति शामिल है।
वैश्विक मंच पर तालमेल
दोनों नेताओं ने वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया। अफगानिस्तान की स्थिति, हिंद-प्रशांत क्षेत्र और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सुधार पर समान दृष्टिकोण सामने आया। यह बैठक इस बात का स्पष्ट संकेत देती है कि भारत, पश्चिमी देशों के साथ अपने बढ़ते संबंधों के बावजूद, रूस को एक विश्वसनीय और समय की कसौटी पर खरा उतरा हुआ मित्र मानता है। शिखर बैठक ने रणनीतिक साझेदारी को अगले दशक तक मजबूत बनाए रखने का रोडमैप तैयार किया है।
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