ऊना में 58% बच्चे एनीमिया ग्रस्त, अब स्कूलों में रखा जाएगा रिकॉर्ड

उपायुक्त ऊना राघव शर्मा ने कहा कि छह वर्ष तक के बच्चों की स्वास्थ्य देखभाल तथा उन्हें पौष्टिक आहार प्रदान करने के उद्देश से आरंभ की गई मुख्यमंत्री बाल सुपोषण योजना को बेहतर ढंग से लागू किया जाएगा।
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छह वर्ष तक के बच्चों की स्वास्थ्य देखभाल तथा उन्हें पौष्टिक आहार प्रदान करने के उद्देश से आरंभ की गई मुख्यमंत्री बाल सुपोषण योजना को बेहतर ढंग से जिला ऊना में लागू किया जाएगा। यह बात उपायुक्त ऊना राघव शर्मा ने आज जिला सुपोषण टास्क फोर्स की पहली बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने बच्चों में होने वाली बीमारियों व कुपोषण की समस्या का समाधान करने के लिए इस योजना को आरंभ किया है, जिसकी घोषणा बजट में की गई है। उन्होंने कहा कि योजना के तहत डायरिया नियंत्रण, निमोनिया नियंत्रण व एनीमिया मुक्त जैसे विशेष अभियान चलाए जाएंगे।  

ऊना। छह वर्ष तक के बच्चों की स्वास्थ्य देखभाल तथा उन्हें पौष्टिक आहार प्रदान करने के उद्देश से आरंभ की गई मुख्यमंत्री बाल सुपोषण योजना को बेहतर ढंग से जिला ऊना में लागू किया जाएगा। यह बात उपायुक्त ऊना राघव शर्मा ने आज जिला सुपोषण टास्क फोर्स की पहली बैठक की अध्यक्षता करते हुए कही। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने बच्चों में होने वाली बीमारियों व कुपोषण की समस्या का समाधान करने के लिए इस योजना को आरंभ किया है, जिसकी घोषणा बजट में की गई है। उन्होंने कहा कि योजना के तहत डायरिया नियंत्रण, निमोनिया नियंत्रण व एनीमिया मुक्त जैसे विशेष अभियान चलाए जाएंगे।  

राघव शर्मा ने कहा कि मुख्यमंत्री बाल सुपोषण योजना को जिला ऊना में बेहतर ढंग से लागू करने के लिए पंचायत स्तर तक टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा। उपमंडल स्तरीय टास्क फोर्स के अध्यक्ष संबंधित एसडीएम होंगे, जबकि पंचायत स्तर पर अध्यक्ष पंचायत के प्रधान होंगे। इस योजना में प्रमुख रूप से महिला एवं बाल विकास विभाग, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग तथा शिक्षा विभाग की भूमिका है। डीसी ने कहा कि योजना के तहत छह वर्ष से कम आयु के बच्चों को अतिरिक्त प्रोटीन युक्त भोजन उपलब्ध करवाने के अलावा अतिरिक्त कुपोषित बच्चों, धात्री माताओं और गर्भवती पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि गंभीर रुप से कुपोषित बच्चों का रिकॉर्ड डीपीओ आईसीडीएस रखें, जबकि अनीमिया से पीड़ित बच्चों का रिकॉर्ड स्कूलों में उपलब्ध रखा जाए। खून की कमी से ग्रस्त बच्चों की सूचना उनके माता-पिता भी दी जाएगी। जिलाधीश ऊना राघव शर्मा ने कहा कि योजना को बेहतर ढंग से लागू करने के लिए सात प्रमुख बिंदु हैं। जिनमें जल्द से जल्द बच्चों में डायरिया व अनीमिया की पहचान करना, हाई रिस्क ग्रुप की मॉनिटरिंग तथा देखभाल, हाई रिस्क बच्चों को अतिरिक्त प्रोटीन खुराक देना, हाई रिस्क गर्भवती महिलाओं की पहचान करना, कुपोषित बच्चों की विशेष देखभाल, बच्चों और किशोरियों का एनीमिया से बचाव आदि शामिल हैं। बैठक में डीपीओ आईसीडीएस सतनाम सिंह, सीएमओ डॉ. मंजू बहल सहित टास्क फोर्स के अन्य सदस्य उपस्थित रहे।

ऊना में 6-59 माह के 58% बच्चे एनीमिया का शिकार

उल्लेखनीय है कि ऊना में पांच साल से कम उम्र के आधे से ज्यादा बच्चे एनीमिया यानी शरीर में खून की कमी होने की बीमारी से जूझ रहे हैं। इसका खुलासा वर्ष 2020 के अंत में नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) की पांचवीं रिपोर्ट में हुआ था। एनएफएचएस की इस रिपोर्ट के अनुसार ऊना में पिछले सर्वे की तुलना में एनीमियाग्रस्त बच्चे की संख्या में 2.1 फीसदी बढ़ौतरी हुई है। NFHS-2015-16 में 56.6  फीसदी बच्चे में खून की कमी थी, जो अब बढ़कर 58.7 फीसदी हो गई है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रिपोर्ट के अनुसार पूरे हिमाचल के शहरी क्षेत्र में 58.2, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में 55.0 बच्चे एनीमिया के शिकार हैं।

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