संजौली मस्जिद का पूरा अवैध ढांचा टूटेगा, 15 साल पुराने विवाद पर कोर्ट की अंतिम मुहर

वक्फ बोर्ड की याचिका खारिज, बिना नक्शा और NOC के बनी सभी पांच मंजिलें अवैध घोषित; राजनीतिक और धार्मिक हलचल तेज

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शिमला के संजौली क्षेत्र की मस्जिद में अवैध निर्माण (Shimla Mosque Case Update) को लेकर चल रहे विवाद में जिला अदालत ने वीरवार को अहम फैसला सुनाया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रवीण शर्मा की अदालत ने स्थानीय निवासियों की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने मस्जिद मामले में प्रतिवादी बनने की अनुमति मांगी थी। इस फैसले में अदालत ने माना कि मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर दायर इस मामले में स्थानीय लोगों की प्रतिवादी बनने की कोई आवश्यकता नहीं है।  Shimla District Court Sanjauli Mosque Dispute Illegal Construction Additional Session Judge Praveen Sharma Muslim Welfare Society Municipal Corporation Commissioner Demolition Order Application Rejected Party to Case Himachal Pradesh High Court Next Hearing Controversial Mosque Local Residents' Petition Municipal Corporation Court Three Illegal Floors Compliance with Orders Demolition Process Illegal Structure Public Protest Hindu Organizations Assault Incident Malyaana Area Police FIR Court Decision Pending November 18 Hearing

शिमला। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली क्षेत्र में स्थित विवादित मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर चल रहे 15 साल पुराने कानूनी विवाद पर वीरवार को जिला न्यायालय ने अंतिम मुहर लगा दी है। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश यजुवेंद्र सिंह की अदालत ने शिमला नगर निगम (MC) आयुक्त कोर्ट के उन आदेशों को पूरी तरह से बरकरार रखा है, जिनमें पूरी मस्जिद को अवैध मानते हुए उसे गिराने का निर्देश दिया गया था। इस फैसले को वक्फ बोर्ड के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।

अमर उजाला की रिपोर्ट के मुताबिक विवादित संजौली मस्जिद की निचली दो मंजिल तोड़ने के मामले की याचिका पर गुरुवार  को जिला न्यायालय में सुनवाई हुई। अदालत ने नगर निगम आयुक्त कोर्ट के उन आदेशों को बरकरार रखा है, जिनमें मस्जिद की निचली दो मंजिलों को तोड़ने के आदेश दिए थे। वक्फ बोर्ड ने शिमला नगर निगम आयुक्त कोर्ट के 3 मई के उन आदेशों को चुनौती दी थी, जिसमें आयुक्त कोर्ट ने पूरी मस्जिद को गैर कानूनी बताते हुए तोड़ने के आदेश दिए थे। गुरुवार को जिला अदालत ने भी संजौली मस्जिद का पूरा ढांचा गिराने के आदेशों को बरकरार रखा है। 

वक्फ बोर्ड की अपील खारिज

वक्फ बोर्ड ने 17 मई को नगर निगम आयुक्त कोर्ट के 3 मई के आदेशों को चुनौती देते हुए जिला न्यायालय का रुख किया था। MC कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया था कि मस्जिद का निर्माण बिना किसी वैध अनुमति, अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) और स्वीकृत भवन निर्माण नक्शे के किया गया था। MC कोर्ट ने वक्फ बोर्ड को भूमि के स्वामित्व के दस्तावेज और स्वीकृत नक्शा पेश करने का मौका दिया था, लेकिन बोर्ड इसमें विफल रहा। वीरवार को जिला न्यायालय ने भी इस आधार पर वक्फ बोर्ड की अपील को खारिज कर दिया, जिससे मस्जिद का पूरा ढांचा गिराने का रास्ता साफ हो गया है।

क्या था पूरा मामला?

संजौली मस्जिद का यह विवाद करीब 15 साल पुराना है। स्थानीय निवासियों और हिंदू संगठनों का आरोप था कि पुरानी मस्जिद को ध्वस्त करने के बाद नियमों का उल्लंघन करते हुए एक बड़ी और बहुमंजिला संरचना खड़ी कर दी गई। इसके लिए कोई वैध अनुमति नहीं ली गई। यह विवाद तब सुर्खियों में आया जब सितंबर 2024 में इस अवैध निर्माण के विरोध में बड़े प्रदर्शन हुए और पुलिस को लाठीचार्ज तक करना पड़ा।

  • अक्टूबर 2024 : नगर निगम आयुक्त कोर्ट ने पहली बार मस्जिद की ऊपरी तीन मंजिलों (सेकंड, थर्ड और फोर्थ फ्लोर) को अवैध बताते हुए तोड़ने का आदेश दिया था।
  • 3 मई 2025 : आयुक्त कोर्ट ने अंतिम फैसला सुनाया और मस्जिद की निचली दो मंजिलों (ग्राउंड और फर्स्ट फ्लोर) को भी अवैध मानते हुए पूरे ढांचे को गिराने का आदेश दिया।
  • मई 2025 से अक्टूबर 2025 : इस फैसले के खिलाफ वक्फ बोर्ड जिला न्यायालय गया, जहां कानूनी प्रक्रिया के तहत दोनों पक्षों की दलीलें सुनी गईं।

न्यायालय की कार्रवाई 

वक्फ बोर्ड ने 17 मई को MC आयुक्त कोर्ट के आदेश को चुनौती दी। कोर्ट ने मस्जिद कमेटी के प्रधान और MC शिमला को समन जारी कर रिकॉर्ड तलब किया। 26 मई को अदालत ने मस्जिद तोड़ने पर अंतरिम रोक लगाई, लेकिन 11 जुलाई को केस को बहस योग्य माना गया। 6 अक्टूबर को अतिरिक्त जिला न्यायाधीश यजुवेंद्र सिंह ने दोनों पक्षों की लंबी दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था और 30 अक्टूबर (वीरवार) को अंतिम फैसला सुनाया गया।

अब क्या होगा?

जिला न्यायालय के आदेश के बाद अब मस्जिद के ढांचे को गिराने की प्रक्रिया शुरू होगी। नगर निगम अब आदेशों को लागू कराने की तैयारी में जुट गया है। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए प्रशासन पहले ही शांति और सुरक्षा बनाए रखने के लिए अपील कर चुका है और प्रशासनिक स्तर पर सुरक्षा के विशेष प्रबंध किए जाने की संभावना है। अवैध निर्माण पर यह कड़ा फैसला उन सभी संरचनाओं के लिए एक चेतावनी है, जो बिना नक्शा पास कराए या नियमों का उल्लंघन कर खड़ी की गई हैं।

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