शिमला । भारत को विश्व गुरू बनाने तथा विकसित एवं समृद्धशाली राष्ट्र निर्माण के लिए हमें हिन्दी को और अधिक बढ़ावा देने की आवश्यकता है ताकि राष्ट्र का स्वाभिमान बना रहे। यह विचार शहरी विकास, आवास, नगर नियोजन, संसदीय कार्य, विधि एवं सहकारिता मंत्री सुरेश भारद्वाज ने भाषा एवं संस्कृति विभाग द्वारा राज्य स्तरीय राजभाषा हिन्दी समारोह-2022 के उपलक्ष्य पर गेयटी थियेटर में आयोजित कार्यक्रम के दौरान कही।
उन्होंने कहा कि 14 सितम्बर, 1949 भारत देश के लिए एक स्मरणीय दिन रहेगा, जब भारतीय संविधान में हिन्दी भाषा को राजभाषा का दर्जा प्राप्त हुआ था। भारत एक प्राचीन देश है और सम्पूर्ण देश सांस्कृतिक दृष्टि से विख्यात रहा है। हिन्दी भाषा हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया में सबसे ज्यादा विविध संस्कृतियों वाला देश है। धर्म, परम्परा और भाषा में विविधताओं के बावजूद यहां के लोग एकता में विश्वास रखते हैं।
भाषा की विविधताओं के बीच एकता का सूत्र हिन्दी है, जो भारत को सबसे प्रमुख भाषाओं में शामिल है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा राष्ट्रीय शिक्षा नीति के निर्माण के लिए कस्तूरीरंगन की अध्यक्षता में समिति का गठन किया गया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में हिन्दी भाषा को बढ़ावा देने की कोशिश की गई है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार संस्कृत को दूसरी राज भाषा का दर्जा प्रदान किया गया है। हिन्दी तथा संस्कृत भाषा प्राचीनतम भाषाओं में से एक है और इन्हें वैज्ञानिक भाषा भी माना जाता है। हम सभी को अपने दैनिक जीवन में हिन्दी भाषा का प्रयोग ज्यादा से ज्यादा करने की आवश्यकता है। इस अवसर पर उन्होंने साहित्यकार, कलाकार निर्देशिका का विमोचन एवं राजभाषा पुरस्कार वितरण किया।
इस अवसर पर सदस्य हिन्दी राजभाषा सलाहकार समिति रेल मंत्रालय भारत सरकार व हिमफेड अध्यक्ष गणेश दत्त, सचिव भाषा एवं संस्कृति विभाग राकेश कंवर, सदस्य लोक सेवा आयोग डाॅ. नयन सिंह, निदेशक भाषा एवं संस्कृति विभाग पंकज ललित, अतिरिक्त निदेशक डाॅ. सुरेश चंद जस्वाल, उप-निदेशक प्रेम प्रसाद पंडित एवं अन्य अधिकारी व लोग उपस्थित थे।
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