हिमाचल में कोरोना आऊटसोर्स कर्मियों की सेवाएं पुनः जारी रखने का विचार नहीं : सुक्खू

हिमाचल प्रदेश में कोरोना काल में आउटसोर्स पर रखे गए 1916 स्वास्थ्य कर्मियों की सेवाएं जारी रखने का सरकार का कोई विचार नहीं है। सरकार ने इन कोरोना कर्मियों की सेवाएं 30 सितंबर 2023 तक स्वास्थ्य विभाग में सेवाएं ली गईं थीं।
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हिमाचल प्रदेश में कोरोना काल में आउटसोर्स पर रखे गए 1916 स्वास्थ्य कर्मियों की सेवाएं जारी रखने का सरकार का कोई विचार नहीं है। सरकार ने इन कोरोना कर्मियों की सेवाएं 30 सितंबर 2023 तक स्वास्थ्य विभाग में सेवाएं ली गईं थीं। इसके बाद प्रदेश में कोरोना संक्रमण के थमने के बाद सरकार ने इन्हें सेवा विस्तार भी दिया, लेकिन इनके लिए कोई पॉलिसी नहीं बनी और नौकरी से हटा दिया गया था।

शिमला। हिमाचल प्रदेश में कोरोना काल में आउटसोर्स पर रखे गए 1916 स्वास्थ्य कर्मियों की सेवाएं जारी रखने का सरकार का कोई विचार नहीं है। सरकार ने इन कोरोना कर्मियों की सेवाएं 30 सितंबर 2023 तक स्वास्थ्य विभाग में सेवाएं ली गईं थीं। इसके बाद प्रदेश में कोरोना संक्रमण के थमने के बाद सरकार ने इन्हें सेवा विस्तार भी दिया, लेकिन इनके लिए कोई पॉलिसी नहीं बनी और नौकरी से हटा दिया गया था।

मंगलवार को बजट सत्र के दौरान विधानसभा में सुंदरनगर के विधायक राकेश जम्वाल ने तारांकित पत्र पूछा था। उन्होंने पूछा था कि प्रदेश में कोरोना काल के दौरान सरकार द्वारा कितने स्वास्थ्य कर्मियों को आउटसोर्स पर भर्ती किया था और इनको नौकरी से हटा दिया था। क्या सरकार इन्हें पुनः रोजगार देने की विचार रखती है।

इस पर प्रदेश सरकार ने जवाब दिया है कि प्रदेश में कोरोना काल के दौरान सरकार द्वारा 1916 स्वास्थ्य कर्मी भर्ती किए थे। इनमें से 641 स्वास्थ्य विभाग और 1275 चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग में भर्ती किए गए थे। इन आउटसोर्स कर्मियों की सेवाएं 30 सितंबर 2023 तक ली गई थी। वर्तमान में सरकार इनकी सेवाओं को पुनः जारी रखने का कोई विचार नहीं रखती है।

हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि भविष्य में अनुभवी कोविड स्टाफ की जरूरत पड़ने पर सेवाएं ली जाएंगी। कोरोना काल में रखे कर्मचारियों को नौकरी में वरीयता दी जाएगी। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकारी विभागों में जितने भी कर्मचारियों की नियुक्ति की जाती है, वह नियमों के तहत होती है। कोरोनाकाल में जो नियुक्तियां हुईं थीं, उसके लिए कोई नियम नहीं बने थे। पूर्व सरकार ने अगर नियम बनाए होते तो हम उन्हें नहीं हटाते।

 उन्होंने कहा कि बावजूद इसके सरकार ने मानवीय आधार पर इन्हें कई बार सेवा विस्तार दिया। इनका मानदेय भी जारी किया गया है और इनकी 3.50 करोड़ रुपये की देनदारी लंबित है। इसे भी जल्द जारी किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा के विधायक इस मामले पर राजनीतिक रोटियां सेंक रहे हैं।

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