Manimahesh Yatra 2024: पवित्र मणिमहेश यात्रा के लिए ऑनलाइन पंजीकरण शुरू, जानें कब से होगी यात्रा

हिमाचल प्रदेश की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा इस वर्ष 26 अगस्त से शुरू हो रही है। एसडीएम भरमौर कुलबीर सिंह राणा ने बताया कि यात्रा पर जाने के लिए हर शिवभक्त को अपना ऑनलाइन पंजीकरण करवाना होगा।

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हिमाचल प्रदेश की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा इस वर्ष 26 अगस्त से शुरू हो रही है। Manimahesh Yatra Chamba | Manimahesh Yatra 2024 |  मणिमहेश यात्रा 2024 |

भरमौर। Manimahesh Yatra 2024 हिंदू धर्म में भगवान शिव को समर्पित मणिमहेश यात्रा का अत्यधिक महत्व है। हर साल यहां लाखों की संख्या में भक्त अपने अधिष्ठाता भगवान शिव के चरणों में हाजिरी लगाने के लिए पहुंचते हैं। हर साल भाद्रपद के महीने में अर्धचांद के आठवें दिन मणिमहेश झील पर मेला होता है। मणिमहेश यात्रा के दौरान भगवान शिव के भक्त पवित्र-पावन जल में डुबकी लगाने के लिए एकत्रित होते हैं।


हिमाचल प्रदेश की प्रसिद्ध मणिमहेश यात्रा इस वर्ष 26 अगस्त से शुरू हो रही है। हालांकि अभी से श्रद्धालुओं ने मणिमहेश यात्रा पर जाना शुरू कर दिया है, लेकिन प्रशासनिक और अधिकारिक तौर पर मणिमहेश यात्रा 26 अगस्त से शुरू हो रही है। पवित्र मणिमहेश यात्रा पर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए ऑनलाइन पंजीकरण प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। 


एसडीएम भरमौर कुलबीर सिंह राणा ने बताया कि पवित्र मणिमहेश यात्रा 26 अगस्त से लेकर 11 सितंबर तक चलेगी। यात्रा पर जाने के लिए हर शिवभक्त को अपना ऑनलाइन पंजीकरण करवाना होगा। बताया कि पंजीकरण सुविधा www.manimaheshyatra.hp.gov.in पर उपलब्ध होगी।

बताया कि मणिमहेश यात्रा की आधिकारिक तिथियों के दौरान पंजीकरण करना अनिवार्य रहेगा। आधिकारिक तिथियों से पूर्व जो भी श्रद्धालु मणिमहेश जा रहे हैं, उन्हें पंजीकरण करवाना अनिवार्य है। हड़सर में तैनात पुलिस कर्मियों की ओर से पंजीकृत श्रद्धालुओं को ही यात्रा पर जाने की अनुमति दी जाएगी। देशभर के शिवभक्त पवित्र डल में डुबकी लगाने के लिए पहुंचते हैं।


अजय है कैलाश की चोटी

मणिमहेश हिमाचल प्रदेश के प्रमुख तीर्थ स्थलों में शामिल है। यह भरमौर से 21 किलोमीटर की दूरी पर है। यह झील कैलाश पीक जो 18,564 फीट पर है, उससे नीचे 13 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। हिंदू धर्म में मान्यता है कि भगवान शिव कैलाश पर एक शिवलिंग के रूप में रहते हैं। इसी शिवलिंग को भगवान शिव की अभिव्यक्ति माना जाता है। स्थानीय लोग पर्वत के आधार पर बर्फ के मैदान को शिव का चौगान भी कहते हैं। कैलाश पर्वत अजय है। आज तक कोई कैलाश पर्वत की चढ़ाई नहीं कर सका है।
 

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