धूमधाम से निकली राजदेवता माधो राय की दूसरी जलेब
मंडी। अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में राज देवता माधोराय की दूसरी जलेब सोमवार को धूमधाम से निकली। बजंतरियों व देवलुओं के साथ हजारों लोग देव परंपरा के गवाह बने। जलेब में प्राचीन परंपरा के अनुसार देवी-देवताओं ने शिरकत की।
जलेब में मंडलायुक्त विकास लाबरू ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करने से पहले राजदेवता माधोराय के मंदिर में पूजा-अर्चना की। जलेब का नेतृत्व सराज घाटी के देवता छांजणू-छमांहू ने किया। उनके पीछे मार्कंडेय, देव विष्णु मतलोडा, ऋषि पराशर, देवी अंबिका थट्टा डाहर, शैटी नाग, मगरु महादेव, देव बायला नारायण, चपलांदू नाग, बिठु नारायण, लक्ष्मी नारायण, देव हुरंग नारायण, देव पशाकोट, देव चुंजवाला, देव तुंगासी, देव गणपति, देव टुंडीवीर समेत अन्य देवी देवता अपने अपने देवलुओं के साथ जलेब में भाग ले रहे थे।
चौहारघाटी के देवताओं ने हुरंग नारायण की अगुआई में शिरकत की। मेला कमेटी के अध्यक्ष उपायुक्त मंडी ऋग्वेद ठाकुर ने मुख्य अतिथि को स्मृति चिह्न, शॉल और हिमाचली टोपी भेंटकर उनका स्वागत करते हुए बताया कि मेले में अभी तक 186 देवी देवता आशीर्वाद देने के लिए पधारे हैं। आयोजन समिति ने उनके साथ आए देवलुओं की सुविधा के लिए सभी जरूरी प्रबंध किए हैं।
सर्वदेवता सेवा समिति के अध्यक्ष पंडित शिवपाल शर्मा ने बताया कि जलेब में शामिल होने वाले देवताओं का क्रम रियासतकाल से निर्धारित है। देवता सैकड़ों साल बाद भी इस परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं। इस दौरान मंडलायुक्त की पत्नी शैलजा लाबरू, पुलिस अधीक्षक शालिनी अग्निहोत्री, अतिरिक्त उपायुक्त जतिन लाल, नगर निगम मंडी के आयुक्त राजीव कुमार, अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी श्रवण मांटा सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
देव संस्कृति श्रेष्ठ : विकास लाबरू
पड्डल मैदान में संबोधित करते हुए मंडलायुक्त विकास लाबरू ने देव संस्कृति को श्रेष्ठ बताते हुए कहा कि अपनी समृद्ध संस्कृति व विरासत को सहेजना और संजोए रखना आवश्यक है। देव और लोक आस्था के समागम के इस अनूठे महोत्सव में देवताओं का सानिध्य मिलना उनके लिए अद्भुत अनुभव रहा। विरासत और अतीत से रूबरू करवाती ‘री लिव द पास्ट’ प्रदर्शनी के लिए उन्होंने प्रशासन को बधाई दी।
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