मंडी और नाचन के लिए राष्ट्रीय ग्रीन इंडिया मिशन परियोजना स्वीकृत

मुख्य अरण्यपाल मंडी ने बताया कि योजना के अंतर्गत आगामी 8 वर्षों में मंडी वन मंडल में 1236 हेक्टेयर और नाचन वन मंडल में 866 हेक्टेयर वन भूमि पर संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के सहयोग से पौधरोपण करने का लक्ष्य है।

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जिला मंडी के वन मंडल मंडी और नाचन में 2102 हेक्टेयर वन भूमि पर पौधरोपण किया जाएगा। यह पौधरोपण आगामी आठ वर्षों में किया जाएगा। इसके लिए जिला स्तरीय वन विकास प्राधिकरण मंडी की कार्यकारिणी समिति की बैठक में भारत सरकार द्वारा प्रायोजित राष्ट्रीय ग्रीन इंडिया मिशन परियोजना को स्वीकति दे दी गई है।

मंडी। जिला मंडी के वन मंडल मंडी और नाचन में 2102 हेक्टेयर वन भूमि पर पौधरोपण किया जाएगा। यह पौधरोपण आगामी आठ वर्षों में किया जाएगा। इसके लिए जिला स्तरीय वन विकास प्राधिकरण मंडी की कार्यकारिणी समिति (District Level Forest Development Authority Mandi) की बैठक में भारत सरकार द्वारा प्रायोजित राष्ट्रीय ग्रीन इंडिया मिशन परियोजना को स्वीकति दे दी गई है। 

यह जानकारी देते हुए मुख्य अरण्यपाल मंडी अजीत ठाकुर ने बताया कि योजना के अंतर्गत आगामी 8 वर्षों में मंडी वन मंडल में 1236 हेक्टेयर और नाचन वन मंडल में 866 हेक्टेयर वन भूमि पर संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के सहयोग से पौधरोपण करने का लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि वन वृत्त के अंतर्गत मंडी और नाचन वन मंडल में राष्ट्रीय ग्रीन इंडिया मिशन परियोजना वर्ष 2022-23 से 2029-30 तक कार्यान्वित की जा रही है। 

उन्होंने बताया कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार के दिशा-निर्देशों अनुसार अनुमोदन हेतु जिला स्तरीय वन विकास प्राधिकरण मंडी की कार्यकारिणी समिति की बैठक में प्रस्तुत किया गया था।  उन्होंने बताया कि बैठक में लाइन डिपार्टमेंट जिसमें कृषि, उद्यान एवं पंचायती राज संस्थानों द्वारा प्रस्तावित कार्यों को जन-हित में क्रियान्वित करने के सुझाव दिए, जिन्हें सर्वसम्मति से स्वीकृत किया गया।

वन मंडलाधिकारी मंडी वासु डोगरा और वन मण्डलाधिकारी नाचन  एसएस कश्यप ने आगामी आठ वर्षों का प्रस्तावित परिप्रेक्ष्य योजना की विस्तार से जानकारी दी गई। उन्होंने बताया कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीय ग्रीन इंडिया मिशन परियोजना के लिए निर्धारित मापदंडों के अनुसार कृषि, उद्यान एवं पंचायती राज के अन्तर्गत स्थानीय लोगों एवं स्थानीय संस्थानों को आजीविका देने संबंधित उत्पाद तैयार करना एवं इसका प्रशिक्षण देना तथा स्थानीय स्तर के संस्थानों का सशक्तिकरण का प्रावधान है। 

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