बीते कई साल-आज फिर उठेगा विधानसभा में होली-उतराला सुरंग का सवाल
होली-उतराला सुरंग की मांग वर्षों से उठ रही है। हर बार जनता की मांग पर सियासी वायदे होते रहे। मगर सुरंग निर्माण की दिशा में कोई कदम उठता नहीं दिख रहा है। अब फिर विधानसभा सदन में होली-उतराला सुरंग निर्माण का मुद्दा उठने जा रहा है। मानसून सत्र की सोमवार (2 अगस्त) से शुरूआत हो चुकी है। मंगलवार को विधानसभा सत्र का दूसरा दिन है। सदन में दूसरे दिन मौखिक जबाव के लिए 25 सवाल सूचीबद्ध किए गए हैं। इनमें दूसरे स्थान पर होली-उतराला सुरंग निर्माण के संबंध में सवाल है।
विधानसभा सत्र के दूसरे दिन बैजनाथ के विधायक मुलख राज और भरमौर के विधायक जिया लाल यह सवाल मुख्यमंत्री से करेंगे। सुरंग निर्माण के लिए यह तीन सवाल लाजिमी हैं। क्या मुख्यमंत्री बतलाने की कृपा करगें कि :-
(क) उतराला-सुराहीपास-होली सड़क निर्माण की अद्यतन (ताजा) स्थिति क्या है ?
(ख) प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अंतर्गत बीड़-बड़ाग्रां सड़क का निर्माण कार्य कब तक पूर्ण कर लिया जाएगा; ब्यौरा दें ?
(ग) भरमौर विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र के अंतर्गत होली-उतराला सड़क का निर्माण कार्य कब तक पूर्ण कर दिया जाएगा?
मुख्यमंत्री विधायकों की ओर से उठाए गए सवाल का क्या जबाव देते हैं, यह तो कार्यवाही के बाद ही पता चलेगा, लेकिन आपको इस सुरंग के जुड़े कुछ पुराने पहलुओं से अवगत करवाते हैं।
2008 में की गई थी सुरंग परियोजना की कल्पना
2008 में पिछली भाजपा सरकार के दौरान, होली-उत्तराला सुरंग परियोजना की कल्पना की गई थी। 7 किमी लम्बी सुरंग परियोजना में लगभग 1,571 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान था। इस सुरंग के निर्माण से चम्बा जिले में होली और कांगड़ा जिले के बैजनाथ में उत्तरला के बीच की दूरी 140 किमी कम हो जाएगी। सुरंग का निर्माण जालसू जोत के नीचे किया जाना है। इसके निर्माण से बैजनाथ से होली भरमौर क्षेत्र के लिए हर मौसम में आवागमन सुनिश्चित हो सकेगा।
कांग्रेस ने होली-चामुंडा टनल का दिखाया सपना
वर्ष 2014 में कांग्रेस कार्यकाल में होली-चामुंडा टनल निर्माण को लेकर संभावनाएं देखने की बयान सामने आया। उस दौरान हवाला दिया गया है कि होली-उतराला टनल निर्माण में कई बाधाएं हैं। आर्थिक रूप से भी यह व्यवहारिक नहीं है। इसके बाद होली-चामुंडा टनल को लेकर सियासत शुरू हुई। कांगडा-चम्बा दोनों जिलों की तरफ से इस निर्माण को लेकर आवाज बुलंद की गई, लेकिन टनल का मुद्दा भी सियासी खेल में गुम हो गया।
जयराम ने प्राथमिकता के आधार पर निर्माण का किया था ऐलान
2017 में सत्ता परिवर्तन होने के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बैजनाथ में अपनी पहली जनसभा में ही प्राथमिकता के आधार पर होली-उतराला सड़क का निर्माण करने का ऐलान किया। बैजनाथ और भरमौर के विधायकों को इस प्रोजेक्ट को विधायक प्राथमिकता में शामिल करने की बात कही थी। इसके बाद नाबार्ड के तहत इस सड़क का निर्माण करने की बातें होती रहीं। जमीनी हकीकत यह है कि इस सड़क के निर्माण को लेकर भी सरकार ने अभी तक गंभीरता नहीं दिखाई। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जयराम सरकार के साढ़े तीन वर्ष के कार्यकाल में सड़क निर्माण की औपचारिकताएं ही पूरी नहीं हो पाईं और अब सदन में सवाल उठाया जा रहा है।
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