Himachal : दियोटसिद्ध मंदिर में कार्यरत दैनिक भोगी नियमित न होने से हताश

दैनिक भोगी कर्मचारियों ने सरकार (Govt) से की नियमित करने की मांग  
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हमीरपुर ।   उत्तरी भारत के प्रसिद्ध सिद्ध पीठ बाबा बालक नाथ मंदिर दियोटसिद्ध (Baba Balak Nath Temple Deotsidh) में कार्यरत दैनिक भोगी लगभग 30 कर्मचारी नियमित न होने के कारण काफी हताश है। नियमित होने की वे कई बर्षो से आस लगाए बैठे हुए हैं, लेकिन आज दिन वे नियमित नहीं हो पाए हैं। जिस कारण उनमें काफी रोष पनप रहा है।


दियोटसिद्ध मंदिर (Deotsidh Temple) न्यास में कार्यरत दैनिक भोगी कर्मचारियों (Daily Wage Workers)  ने जारी प्रैस ब्यान में कहा है कि दैनिक भोगी कई वर्षो से आस लगाए बैठे हैं कि कब वो नियमित होगें व उनके घरों में खुशी आएगी। लेकिन दैनिक भोगी कर्मचारियों (Daily Wage Workers) के घरों में खुशियों के बजाए 25 - 26 वर्षो के कार्यकाल में अंधेरा छाया हुआ है। दैनिक भोगी कर्मचारियों (Daily Wage Workers) ने कहा कि मंदिर के कुछ दैनिक भोगी रिटायर हो गए हैं। वे खाली हाथ आए थे और खाली हाथ चले गए। इसके अलावा कुछ और दैनिक भोगी कर्मचारी (Daily Wage Worker) रिटायर होने वाले हैं। दैनिक भोगियों ने कहा कि न्यास प्रशासन द्वारा दैनिक भोगियों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

दैनिक भोगी कर्मचारियों (Daily Wage Workers) ने कहा कि मंदिर में कार्यरत कई दैनिक भोगी 15-20 वर्षों का वनवास काटकर भी घर वापिस चले गए हैं। लेकिन मंदिर न्यास प्रशासन दैनिक भेागी कर्मचारियों (Daily Wage Workers) को 25- 26  वर्षो में नियमित नहीं कर पाया है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा उनके साथ गोर न्याय किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मंदिर में लगभग 30 दैनिक भोगी कर्मचारी लगभग 25-26  वर्षो से अपनी सेवाएं दे रहे हैं। लेकिन आज दिन तक वे पक्के नहीं हो पाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा तीन वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के वाद नियमित करने की अधिसूचना जारी कर दी है, लेकिन मंदिर में लगभग 25 वर्षा से अपनी सेवाएं दे रहे दैनिक भोगी नियमित नहीं हो पाए है। उन्होंने कहा कि वर्ष 1995 से लेकर 1998 तक के समय में लगे दैनिक भोगी कर्मचारियों (Daily Wage Workers) को नियमित नहीं किया गया।

उन्होंने कहा कि मंदिर में कार्यरत 35 दैनिक भोगी कर्मचरियों (Daily Wage Workers) के साथ गोर न्याय हो रहा है। जिससे उनके परिवार का पालन पोषण, रोजी रोटी व बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी पूरा नहीं हो पा रहा है। दैनिक भोगियों ने कहा कि हाईकोर्ट में नियमित करने की अपील की है लेकिन हाईकोर्ट में भी तरीक पर तरीक पड़ती जा रही है। मगर 10 वर्षो तक फैसला नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि दैनिक भोगी कब तक रोते रोते यह जिंदगी जीएगें। उन्होंने कहा कि दैनिक भोगियों को नियमित करने के लिए कई मीटिंगें भी हुई, लेकिन उनमें भी कोई फैसला नहीं हो पाया है। दैनिक भोगी कर्मचारियों (Daily Wage Workers) ने मंदिर प्रशासन व सरकार से मांग की है कि उन्हें जल्द से जल्द नियमित किया जाए।

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