Himachal CPS : सुप्रीम कोर्ट पहुंची हिमाचल सरकार, CPS की नियुक्ति रद्द करने के फैसले को चुनौती

हिमाचल हाईकोर्ट की ओर से मुख्य संसदीय सचिवों (सीपीएस) की नियुक्तियां रद्द करने के फैसले को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी है। वहीं, भाजपा ने कैविएट फाइल की है।

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हिमाचल प्रदेश में मुख्य संसदीय सचिवों (सीपीएस) की नियुक्तियों को लेकर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। हिमाचल हाईकोर्ट द्वारा सीपीएस की नियुक्तियां रद्द किए जाने के फैसले को हिमाचल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। वीरवार शाम को हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस फैसले के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दाखिल की।   दूसरी ओर, इस मामले में याचिका दायर करने वाले भाजपा नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर की है, ताकि सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान उनका पक्ष भी सुना जा सके। अब राज्य सरकार और भाजपा दोनों की नज़रें सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर हैं। सरकार यह चाहती है कि हाईकोर्ट के आदेश पर फिलहाल रोक लग जाए, जबकि भाजपा छह सीपीएस की विधायकी समाप्त करवाने का प्रयास कर रही है।

शिमला। हिमाचल प्रदेश में मुख्य संसदीय सचिवों (सीपीएस) की नियुक्तियों को लेकर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। हिमाचल हाईकोर्ट द्वारा सीपीएस की नियुक्तियां रद्द किए जाने के फैसले को हिमाचल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। वीरवार शाम को हिमाचल प्रदेश सरकार ने इस फैसले के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दाखिल की।


दूसरी ओर, इस मामले में याचिका दायर करने वाले भाजपा नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर की है, ताकि सरकार की याचिका पर सुनवाई के दौरान उनका पक्ष भी सुना जा सके। अब राज्य सरकार और भाजपा दोनों की नज़रें सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर हैं। सरकार यह चाहती है कि हाईकोर्ट के आदेश पर फिलहाल रोक लग जाए, जबकि भाजपा छह सीपीएस की विधायकी समाप्त करवाने का प्रयास कर रही है।

सीपीएस की सदस्यता पर असमंजस बरकरार

हाईकोर्ट के फैसले के बाद हटाए गए मुख्य संसदीय सचिवों की विधायक सदस्यता को लेकर असमंजस बना हुआ है। हाईकोर्ट के आदेश की अलग-अलग व्याख्याओं ने मामले को और जटिल बना दिया है। विधानसभा सदस्यता समाप्त होने को लेकर विशेषज्ञ भी एकमत नहीं हैं। भाजपा के विधि विशेषज्ञ इस मुद्दे पर लगातार चर्चा कर रहे हैं, जिससे छह मुख्य संसदीय सचिवों की विधायकी समाप्त करवाने का प्रयास किया जा सके।

मुख्यमंत्री की वरिष्ठ अधिकारियों संग मंत्रणा

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने गुरुवार को धर्मशाला से लौटते ही सचिवालय में मुख्य सचिव और विधि अधिकारियों के साथ एक बैठक की। बैठक में हाईकोर्ट के फैसले पर मंत्रणा की गई और आगे की कार्रवाई के लिए महाधिवक्ता अनूप रतन को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करने हेतु दिल्ली रवाना कर दिया गया। सरकार का उद्देश्य हाईकोर्ट के आदेश पर स्थगन (स्टे) लेना है ताकि सीपीएस पदों की सदस्यता को अस्थायी रूप से बहाल रखा जा सके।

कैबिनेट बैठक में निर्णय होगा

शुक्रवार को ओकओवर में एक और बैठक बुलाई गई है, जबकि शनिवार को होने वाली मंत्रिमंडल की बैठक में इस मुद्दे पर आगे की रणनीति तय की जाएगी। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा है कि कैबिनेट में हाईकोर्ट के आदेशों की फाइनल कापी देखने और मंत्रणा करने के बाद ही आगे का निर्णय लिया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने भाजपा पर साधा निशाना

मुख्यमंत्री सुक्खू ने इस मुद्दे पर भाजपा की आलोचना करते हुए कहा कि विपक्ष सरकार के कार्यों पर सवाल उठाने का कोई भी अवसर नहीं छोड़ रहा है। उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार ने प्रदेश की जनता के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं लागू की हैं और पांच प्रमुख गारंटियां पूरी की हैं। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि भाजपा नेता जयराम ठाकुर अब महाराष्ट्र में जाकर उनकी सरकार के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं।

भाजपा की कैविएट दायर

इस मुद्दे पर भाजपा के वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने सरकार की संभावित याचिका को ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दायर कर दी है। कैविएट एक कानूनी नोटिस होती है, जिसके माध्यम से याचिकाकर्ता अदालत से अनुरोध करता है कि किसी मामले में उसके बिना एकतरफा निर्णय न लिया जाए। इसका अर्थ यह है कि अगर राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ स्टे लेने का प्रयास करेगी, तो भाजपा के याचिकाकर्ता भी अपने तर्क प्रस्तुत कर सकेंगे।
 

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