हिमाचल की पांच लाख महिलाओं को नए वित्त वर्ष से 1500 रुपये, CM सुक्खू ने किया एलान

मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि 18 वर्ष की आयु पूरी कर चुकी सभी महिलाओं को जीवनभर के लिए इस वित्तीय वर्ष में 1500 रुपये मासिक पेंशन दी जाएगी।

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मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल को हरित राज्य बनाने में सभी विधायकों से अपने बहुमूल्य सुझाव एवं सक्रिय सहयोग का आग्रह किया है। विधायक प्राथमिकता बैठक के दूसरे दिन के प्रथम सत्र में कांगड़ा जिला के विधायकों के साथ चर्चा में उन्होंने यह बात कही।

शिमला। मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने कहा कि प्रदेश सरकार कांग्रेस के घोषणापत्र की पांचवीं गारंटी को पूरा करने जा रही है। 18 से 60 साल तक की पांच लाख से अधिक महिलाओं को वित्तीय वर्ष 2024-25 से 1500-1500 रुपये हर माह देने की घोषणा करते हैं। 60 से अधिक उम्र की महिलाओं की सामाजिक सुरक्षा पेंशन को पहले ही बढ़ाकर 1500 रुपये किया गया है। सबसे बड़ी गारंटी को लागू करने का निर्णय लिया है।

विधानसभा के बजट सत्र के समय इसकी घोषणा की जानी थी। हो-हल्ले के बीच इसका एलान नहीं किया गया। गारंटी को लागू करने में राज्य सरकार के सालाना करीब 800 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
योजना का नाम इंदिरा गांधी प्यारी बहना सुख सम्मान निधि योजना प्रदेश की बहनों के प्रति संवेदनशीलता दिखाता है। इसके लिए उनकी वचनबद्धता अटूट है। इससे प्रदेश के सभी परिवार सीधे-सीधे जुड़ेंगे। प्रदेश सरकार सभी पात्र महिलाओं के फार्म भरवाएगी।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने सोमवार को राज्य सचिवालय में पत्रकार वार्ता में कहा कि भाजपा नेता बार-बार यह कहते थे कि गारंटियों का क्या हुआ। यह सरकार की सबसे बड़ी गारंटी थी। इसे लागू करने का निर्णय लिया गया है।
सरकार ने प्रथम चरण में लाहौल-स्पीति की महिलाओं को सम्मान राशि का हकदार बना दिया है। इसी कड़ी में एक कदम आगे बढ़कर प्रदेश की 2,45,000 महिलाओं को एक फरवरी से 1500 रुपये प्रतिमाह देने की घोषणा कर दी गई है। ये 60 से अधिक उम्र वाली महिलाएं, एकल नारियां आदि हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहली ही बैठक में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की गई। दूसरी गारंटी 680 करोड़ की राजीव गांधी स्टार्टअप योजना तीन चरणों में शुरू की। अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खोलने की तीसरी गारंटी को इसी सत्र से पूरा किया जा रहा है। गाय के दूध की खरीद में 13 और भैंस के दूध में 23 रुपये की वृद्धि की। पहली बार दूध और प्राकृतिक खेती से उगाए अनाज को खरीदने का न्यूनतम समर्थन मूल्य लागू किया। मनरेगा मजदूरों की दिहाड़ी 60 रुपये बढ़ाकर 300 की गई।

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