फिजूलखर्ची रोकना और बचत बढ़ाना सबसे पहले ख़ुद करके दिखाना पड़ता है : धूमल

फिजूलखर्ची रोकने और बचत बढ़ाने हेतु अपने कार्यकाल में लिए गए निर्णयों को पूर्व मुख्यमंत्री धूमल  ने किया कार्यकर्ताओं से साझा ।
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Ex CM  Dhumal Photo

हमीरपुर ।  प्रदेश को दो बार मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल में फिजूलखर्ची रोकने और बचत बढ़ाने हेतु लिए गए निर्णयों को कार्यकर्ताओं के साथ साझा करते हुए वरिष्ठ भाजपा नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री प्रो प्रेम कुमार धूमल  ने  कहा कि बचत बढ़ाना तथा फिजूलखर्ची रोकना सबसे पहले  अपने आप से लागू की जाती है। पूर्व मुख्यमंत्री धूमल अपने निवास स्थान उनसे मिलने पहुंचे कार्यकर्ताओं के साथ चर्चा कर रहे थे। 

      
पूर्व मुख्यमंत्री प्रोफेसर प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि हमने अपने कार्यकाल में सभी मंत्रियों सहित स्वयं बतौर मुख्यमंत्री खुद से ही हाउस रेंट की 10 परसेंट राशि  किराया स्वरूप देना शुरू किया थी। मंत्रियों सहित मुख्यमंत्री के बाहरी राज्यों में गाड़ियों पर जाने से प्रतिबंध लगाया गया था। सबको यात्रा ट्रेन द्वारा करने के आदेश दिए गए थे। मुख्यमंत्री ने स्वयं प्रथम श्रेणी की यात्रा को छोड़कर द्वितीय श्रेणी में आम जनता की तरह यात्रा करना प्रारंभ किया था। उससे पहले मुख्यमंत्री  जिस जिले में भी जाते थे, वहां के अधिकारी डीसी एसपी स्वागत के लिए अपने जिले के एंट्री पॉइंट पर खड़े होते थे और दूसरे जिले की सीमा तक छोड़ कर आते थे। इस प्रथा को बंद किया गया।
सीएम टूर पर जाने के वक्त डीसी, एसपी और अन्य अधिकारियों को आदेश दिए गए थे कि जिस भी अधिकारी की जरूरत पड़ेगी उसी को बुलाया जाएगा बाकी अपने अपने कार्यालय में जनता के काम करें व जरूरी काम निपटाएं। मुख्यमंत्री के काफ़िले के लिए प्रत्येक जिला से पायलट व एस्कॉर्ट की एक अलग से व्यवस्था की जाती थी जिसे बन्द किया गया था। क्योंकि स्टेट से पहले ही एस्कॉर्ट ,पायलट चली होती थी, इस फिजूलखर्ची को भी बंद किया गया था। 
         पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई प्रयोजनों को बंद किया ताकि फिजूलखर्ची बंद होकर बचत करने में आगे बढ़ा जा सके। राजनीतिक कार्यक्रम में कई बार संख्या बढ़ाने के लिए विद्यार्थियों को लाया जाता था इस प्रथा को भी बंद किया गया। वीआईपी के स्वागत के लिए बच्चों को खड़ा कर दिया जाता था इस प्रथा को भी बंद किया गया । शिक्षण संस्थाओं में राजनीतिक सामाजिक कार्यक्रमों पर पाबंदी लगाई गई ताकि स्वच्छता बनी रहे और शिक्षा का माहौल भी खराब न हो। राष्ट्रीय और प्रादेशिक कार्यक्रमों को शहरों के स्थान पर गांव में करने को प्राथमिकता प्रदान की गई ।
बोर्ड निगमों में अध्यक्षों  उपाध्यक्षों की संख्या में भी कमी की गई । सचिवालय में उपयोग किए जा चुके कागज़ को रीसायकल कर बनी फ़ाइलों को उपयोग में लाना शुरू किया था। प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाकर नालियों और पर्यावरण को खराब करने पर प्रतिबंध लगाया गया । स्थानीय पंचायतों और नगर निकायों के माध्यम से उपयोग किये जा चुके बेकार प्लास्टिक को खरीदा गया और इसको  रीसायकल करने के लिए पीडब्ल्यूडी विभाग  को दिया गया। 
उन्होंने प्लास्टिक के छोटे-छोटे टुकड़े करके उसको बिट्टू मन (कोलतार) में मिलाकर सड़कों को पक्का करने के काम में इस्तेमाल किया । जिसके  परिणाम स्वरूप 1 किलोमीटर सड़क पक्का करने के लिए बिट्टू मन (कोलतार) की मात्रा में कम खपत  हुई और प्रति किलोमीटर सरकार को लागत में 35000 से लेकर 45000 रुपए तक की बचत हुई थी। बेहतर प्लास्टिक कचरा प्रबंधन के कारण भारत सरकार ने प्रदेश को  पर्यावरण को बचाने के लिए किए प्रदेश सरकार द्वारा किये गए प्रयासों के लिए सम्मानित किया था और 5 लाख रुपये का पारितोषिक भी दिया था। इस तरह बचत का नया तरीका खोज और पर्यावरण को बचाने में प्रदेश ने प्रसिद्धि प्राप्त की थी। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि ठान लेने से ही जीत हासिल होती है। जब हमने ठाना था तो निर्धारित  लक्ष्य को हासिल भी किया था।

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