चौरी स्कूल में मनाया गया राष्ट्रीय सेवा योजना दिवस

  एनएसएस का उद्देश्य ‘सेवा के माध्यम से शिक्षा’ है  

 एनएसएस की वैचारिक उन्मुखता महात्मा गांधी के आदर्शों से प्रेरित है। एनएसएस का आदर्श वाक्य “नॉट मी, बट यू” है। एक एनएसएस स्वयंसेवी ‘स्वयं’ से पहले ‘समुदाय’ को स्थान देता है। यह शिक्षा के तीसरे आयाम का हिस्सा है, अर्थात् मूल्यवर्धक शिक्षा है जो कि तेजी से महत्वपूर्ण बनती जा रही है। 

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हमीरपुर। हर साल की तरह  24 सितंबर को राष्ट्रीय सेवा योजना दिवस मनाया जा रहा है। जिसके चलते राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला चौरी में राष्ट्रीय सेवा योजना दिवस मनाया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता स्कूल के प्रधानाचार्य रजनीश रांगड़ा ने की।  उन्होंने बताया कि स्वैच्छिक समुदाय सेवा के माध्यम से युवा छात्रों के व्यक्तित्व, राष्ट्र सेवा के लिए उन्हें जागरूक बनाने  और चरित्र के विकास के प्राथमिक उद्देश्य से राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) को 1969 में शुरू किया गया था। शुरूआत में इसे 37 विश्वविद्यालयों में शुरू किया गया था जिसमें लगभग 40,000 स्वयंसेवियों को शामिल किया गया था।  हालांकि, समय बीतने के साथ-साथ  अखिल भारतीय कार्यक्रम बन गया। एनएसएस के अंतर्गत आने वाले शैक्षणिक संस्थानों की संख्या में प्रतिवर्ष बढ़ोत्तरी हो रही है।



प्रत्येक एनएसएस स्वयंसेवी को प्रति वर्ष कम से कम 120 घंटे अर्थात दो साल में 240 घंटे की सेवा करना अनिवार्य होता है। यह कार्य एनएसएस शाखाओं द्वारा अपनाए गए गांवों या स्कूल परिसरों में किया जाता है। आमतौर पर अध्ययन के घंटों के बाद इसे सप्ताहांत / छुट्टियों के दौरान किया जाता है। इसके अलावा, प्रत्येक एनएसएस इकाई स्थानीय समुदायों को शामिल करके कुछ विशेष परियोजनाओं के साथ छुट्टियों  में अपनाए गए गांवों या शहरी झुग्गियों में 7 दिनों की अवधि के विशेष शिविरों का आयोजन करती है। प्रत्येक स्वयंसेवक को 2-वर्ष की अवधि के दौरान एक बार विशेष शिविर में भाग लेना जरूरी होता है। इस प्रकार, एक इकाई से लगभग 50 प्रतिशत एनएसएस स्वयंसेवी विशेष शिविर में भाग लेते हैं।
 
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एनएसएस इकाइयां उस गतिविधि का आयोजन कर सकती है जो समुदाय के लिए प्रासंगिक है। मुख्य गतिविधियों वाले क्षेत्रों में शिक्षा और साक्षरता, स्वास्थ्य, परिवार कल्याण और पोषण, स्वच्छता, पर्यावरण संरक्षण, सामाजिक सेवा कार्यक्रम, महिलाओं की स्थिति में सुधार,आपदा राहत तथा पुनर्वास संबंधी कार्यक्रम, सामाजिक बुराइयों के खिलाफ अभियान, डिजिटल भारत, कौशल भारत, योग इत्यादि जैसे प्रमुख कार्यक्रमों के बारे में जागरूकता पैदा करना आदि शामिल है।
एनएसएस का उद्देश्य ‘सेवा के माध्यम से शिक्षा’ है
 एनएसएस की वैचारिक उन्मुखता महात्मा गांधी के आदर्शों से प्रेरित है। एनएसएस का आदर्श वाक्य “नॉट मी, बट यू” है। एक एनएसएस स्वयंसेवी ‘स्वयं’ से पहले ‘समुदाय’ को स्थान देता है। यह शिक्षा के तीसरे आयाम का हिस्सा है, अर्थात् मूल्यवर्धक शिक्षा है जो कि तेजी से महत्वपूर्ण बनती जा रही है।


 
स्वयं के व्यक्तित्व को विकसित करने के अलावा एनएसएस स्वयंसेवियों ने समाज के प्रति महत्वपूर्ण योगदान दिया है। एक अनुमान के अनुसार एक वर्ष में  एनएसएस स्वयंसेवी श्रमदान के रूप में लगभग  91 लाख घंटे स्वयं सेवा और 1.98 लाख यूनिट रक्त दान,13 लाख पौधों का रोपण,विभिन्न महत्वपूर्ण कार्यक्रमों तथा सामाजिक मुद्दों पर रैलियों के माध्यम से 30,000 जागरूकता कार्यक्रम, स्वास्थ्य, आंख और पल्स पोलियो टीकाकरण से संबंधित 7,000 शिविर का आयोजन करते हैं जो किसी भी देश कि उन्नति में  उत्साह वर्धक आंकड़े कहे जा सकते हैं । स्वयंसेवी स्वच्छ भारत मिशन,डिजिटल साक्षरता का प्रसार और योग को लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। कोरोना महामारी के इस भयानक दौर में भी स्वयंसेवियोंकि भूमिका काबिले तारीफ रही नही है I


 
युवा और खेल मामलों का मंत्रालय बड़े पैमाने पर एनएसएस के विस्तार के लिए प्रतिबद्ध है। छात्रों को एनएसएस के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए, यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों को एनएसएस को क्रेडिट के साथ एक वैकल्पिक विषय के रूप में शुरू करने के लिए एक एडवाजरी जारी की है। एनएसएस के स्वयंसेवियों द्वारा किए अच्छे कार्यों के लिए मंत्रालय उन्हें पुरूस्कृत भी करता है। इसके तहत राष्ट्रीय स्तर पर वार्षिक एनएसएस पुरस्कार दिए जाते हैं जिसमें एनएसएस स्वयंसेवियों को गणतंत्र दिवस परेड, अंतर्राष्ट्रीय युवा शिविर, साहसिक कैंप आदि में भाग लेने का अवसर दिया जाता है।एनएसएस के तहत बहुत अच्छे कार्य किए जा रहे हैं और इसमें और ज्यादा अच्छे कार्य करने की क्षमता है।



छात्र और एनएसएस स्वयंसेवी युवा भारतीय हैं और वे समाज के सबसे गतिशील वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) द्वारा किए गए एक मूल्यांकन अध्ययन में एनएसएस के महत्व को रेखांकित किया गया था। उनकी  अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार , एनएसएस भारत सरकार द्वारा ने शुरू की गयी एक शानदार और वैचारिक रूप से प्रेरित योजना है और एनएसएस दुनिया में युवाओं के कार्यक्षेत्र में सबसे बड़ा प्रयोग है।



 यहां तक कि, टीआईएसएस ने सिफारिश की है कि सभी सार्वजनिक और निजी वित्तपोषित विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और संस्थानों में एनएसएस को अनिवार्य बनाया जाना चाहिए और इसे पाठ्यक्रम के भाग के रूप में एकीकृत करना चाहिए।

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