तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर में ABVP भूख हड़ताल पर

महेश भारद्वाज (Mahesh Bhardwaj)  ने सरकार पर  आरोप लगाया है कि ऐसा लगता है कि सरकार रैलियों व छात्रों से मोटी फीस वसूलने के इलावा कोई काम ही ना कर रह गया हो। विश्वविद्यालय (University) में कुलपति भी स्थाई नहीं है और न  ही शिक्षक ।
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हमीरपुर ।  तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर (Technical University Hamirpur) में एबीवीपी (ABVP) के कार्यकर्ता विश्वविद्यालय की लचर स्थिति व  अपनी मांगों को मनवाने के लिए क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं। तकनीकी विश्वविद्यालय (Technical University) की एबीवीपी (ABVP) इकाई के अध्यक्ष महेश भारद्वाज (Mahesh Bhardwaj) ने मीडिया को जारी प्रेस नोट में कहा कि 27 दिसंबर से एबीवीपी (ABVP) अपनी मांगों को लेकर लगातार लामबंद है , लेकिन  प्रदेश सरकार गूंगी बहरी हो चुकी है व इस  सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही । अब विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं को मजबूरन भूख हड़ताल पर बैठना पड़ रहा है।

महेश भारद्वाज (Mahesh Bhardwaj)  ने सरकार पर  आरोप लगाया है कि ऐसा लगता है कि सरकार रैलियों व छात्रों से मोटी फीस वसूलने के इलावा कोई काम ही ना कर रह गया हो। विश्वविद्यालय (Technical University में कुलपति भी स्थाई नहीं है और न  ही शिक्षक । हालत इस कदर बदतर हो चुके हैं कि यहां पर चपरासी भी अस्थाई हैं। जिससे ऐसा लगता है कि सरकार ने केवल  वाहवाही लूटने के लिए केवल फटे टांग कर तकनीकी विश्वविद्यालय (Technical University) की घोषणा तो कर दी लेकिन मूलभूत सुविधाओं के नाम पर  छात्रों से मोटी फीस लेकर ठगा जा रहा है ,जोकि छात्रों का शोषण है ।

उन्होंने आगे कहा कि एक तरफ तो सरकार नई शिक्षा नीति में तकनीकी शिक्षा देने का ढिंढोरा पीट रही है, तो दूसरी तरफ एकमात्र तकनीकी विश्वविद्यालय (Technical University) को राम भरोसे छोड़ दिया गया है।यहां पर स्थाई स्टाफ न होने के चलते शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है। उन्होंने कहा कि  तकनीकी विश्वविद्यालय हमीरपुर (Technical University Hamirpur) की एबीवीपी (ABVP) इकाई को मजबूर होकर भूख हड़ताल पर बैठना पड़ता रहा  है।

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महेश भारद्वाज (Mahesh Bhardwaj)  ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि विश्वविद्यालय में स्थाई प्राध्यापकों की नियुक्ति तथा विश्वविद्यालय (University) को अधिनियम  12 बी में शामिल करने पर छात्रों से वसूली जाने वाली भारी-भरकम फीस को कम किया जाए तथा सरकार द्वारा विश्वविद्यालय (University)  को प्रतिवर्ष कम से कम ₹50 करोड़ का अनुदान दिया जाए।

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