हैरत : कैसे संवरेगा नौनिहालों का भविष्य, बड़सर क्षेत्र में 273 आंगनबाड़ी केंद्रों में से सिर्फ 34 के पास ही हैं अपने भवन

विकास खंड बिझड़ी के कई आंगनबाड़ी केंद्रों ने किराये पर एक कमरा लिया हुआ है। उसी में खाना बनाया जाता है और उसी में बच्चों के खाने पीने का सामान रखा होता है और तो और उसी कमरे में बच्चों को खेलने और पढ़ाने का कार्य किया जाता है।
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photo anganwadi

हमीरपुर  ।  आखिर सरकारें प्रदेश हित में क्या कर पाएंगी, जो अपने भविष्य के साथ ही खिलवाड़ कर रही है। नौनिहालों को सुविधाएं देने में भी कंजूसी बरती जा रही है। बड़सर उपमंडल में आंगनबाड़ी केंद्रों की कुछ इसी तरह खस्ता हालत है। सरकार जहां छोटे बच्चों के स्वास्थ्य  का ध्यान रखने के लिए और उनको पौष्टिक आहार उपलब्ध करवाने के लिए हमेशा प्रयासरत रहने का जोर शोर से प्रचार और प्रसार करती रही है। लेकिन प्रदेश में हजारों की संख्या में छोटे बच्चों के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों की व्यवस्था तो सरकार ने कर दी है। परन्तु अधिकतर आंगनबाड़ी केंद्र या तो किराये के मकानों में चले हैं या फिर पंचायतों में बनाये गए जंजघरों में चल रहे हैं।


  बताते चलें कि बड़सर उपमंडल की 52 पंचायतों में 273 के करीब आंगनबाड़ी  केंद्र हैं। लेकिन हैरानी की बात है कि सिर्फ  34 आंगनबाड़ी केंद्रों के पास ही अपना भवन है। बाकी के सभी आंगनबाड़ी केंद्र या तो किराये के कमरों पर चले हुए हैं या फिर जंजघरों या महिला मंडलों के भवनों में संचालित हैं। ऐसे में छोटे बच्चों को न तो खेलने के लिए मैदान की सुविधा मिल पा रही है और न ही उनकी परवरिश के लिए उचित वातावरण मिल पा रहा है। विडंबना देखिए कि जिन नौनिहालों पर देश का भविष्य टिका हुआ है। राजनेताओं के पास उन्हें शिक्षा दिलवाने के लिए छत मुहैया करवाने को बजट नहीं है। बहाना जमीन की उपलब्धता का न होना बनाया जा रहा है।


गौरतलब हैं कि विकास खंड बिझड़ी के कई आंगनबाड़ी केंद्रों ने किराये पर एक कमरा लिया हुआ है। उसी में खाना बनाया जाता है और उसी में बच्चों के खाने पीने का सामान रखा होता है और तो और उसी कमरे में बच्चों को खेलने और पढ़ाने का कार्य किया जाता है। ऐसे में छोटे छोटे नौनिहालों का कितना सर्वांगीण विकास होगा, खुद ही अंदाजा लगाया जा सकता  है। यही कारण है कि आंगनबाड़ी केंद्रों में छोटे बच्चों की संख्या में निरंतर कमी देखने को मिल रही है।


 उधर महिला एवं बाल विकास अधिकारी बिझड़ी रक्षा शर्मा ने बताया कि विभाग हर आंगनबाड़ी केंद्र को अपना भवन उपलब्ध करवाने के लिए प्रयासरत है।  उन्होंने कहा कि कई जगहों पर भूमि उपलब्ध नहीं होती और कई वार बजट की कमी के चलते इस समस्या का समाधान नहीं हो पाता। लेकिन फिर भी छोटे बच्चों और धात्री महिलाओं को हर सुविधा पहुंचाने का पूरा प्रयास किया जाता है।

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