झोरघाट गौशाला में मूक लावारिस पशुओं की कत्लगाह हो रही साबित

गौवंश के साथ हुए इस घोर हत्याचार की पुष्टि तब हुई जब विकास खंड बिझड़ी के अधिकारियों की टीम ने गौशाला का निरिक्षण किया।
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गौशाला

हमीरपुर ।   उपमंडल के तहत आने वाली झोरघाट गौशाला में अब मूक गौवंश पर घोर हत्याचार का खुलासा हुआ है। क्षेत्र स्थानीय लोगों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि झोरघाट गौशाला में 5 से 7 हजार रूपये लेकर गौवंश  को भर्ती कर लिया जा रहा है। लेकिन इसका कोई रिकार्ड दस्तावेजों में नहीं रखा जा रहा है। ताकि गौशाला में पशुओं का रिकार्ड भी न रहे और ये गोरख धंधा भी चलता रहे। जानकार बताते है कि गौशाला मे 5 से 7 पशु बिना टैग के रखे गए है, ताकि जिन गौवंश की मौत हो रही है, उनका रिकार्ड ही नहीं रहे। ऐसे में अगर पशुओं का पूरा रिकार्ड ही नहीं होगा, तो मरने बाले पशुओं के आंकडों का कैसे पता चल पायेगा। कमेटी ने यह सारा कृत्य पशुओं के असल आंकड़े को छुपाने व अपनी कारगुजारी को छुपाने के लिए अंजाम दिया गया है।


जानकारी के अनुसार इसी तरह की एक गाय को गौशाला में लाया गया है। जिसका रिकार्ड छुपाने व मामले को दवाने के लिए गाय के कान में लगा टैग हटाने के लिए उसका कान ही काट दिया गया है। गौवंश के साथ हुए इस घोर हत्याचार की पुष्टि तब हुई जब विकास खंड बिझड़ी के अधिकारियों की टीम ने गौशाला का निरिक्षण किया। निरिक्षण टीम ने पशुओं की देख रेख कर रहे नेपाल मूल के व्यक्ति से गाय के कान से खून वहने का सवब जानना चाहा, तो उसने बताया कि ये गाय दो दिन पहले ही किसी ने गौशाला में छोड़ी थी। जिसके पैसे कमेटी प्रधान ने ले लिए है, कितने पैसे लिए इसकी मुझे कोई जानकारी नहीं है।

जब निरिक्षण टीम ने उससे गाय के कान से खून बहने के बारे पूछा तो उसने बताया कि जिस व्यक्ति ने गाय यहां छोड़ी है, वह ही टैग निकाल कर ले गया होगा, मुझे इसकी भी कोई जानकारी नहीं है। ये सब तथ्य बताते है कि गौवंश की रक्षा के नाम पर झोरघाट गौशाला में एक ओर गौवंश पर घोर हत्याचार हो रहा है। वहीं दूसरी ओर गौवंश रक्षा की आड़ में हजारों के गोलमाल का गोरखधंधा चला हुआ है।
 

इससे पहले इसी गौशाला में काम कर रहे स्थानीय युवक ने बताया कि अव्यवस्थाओं के चलते इससे पूर्व 20 से 25 पशुओं की मौत होने के बाद उन्हें दबा दिया गया है। अगर वैटनरी विभाग की माने तो पिछले तीन महीनों में 3 पशुओं की मौत हुई है। जब गौशाला में पशुओं का रिकार्ड ही दर्ज नहीं है, तो ऐसे में अब तक कितने पशु अव्यवस्था के कारण मौत की आगोश में चले गए है। इसका सही आकालन करना व बताना उचित नहीं है। लिहाजा ग्रामीणों ने सरकार व विभाग से गौशाला में हो रहे इस कृत्य की जांच की मांग की है।

गौर रहे कि बड़सर उपमंडल की ग्राम पंचायत सठवीं के झोरघाट में गौशाला का निर्माण किया जा रहा है। इससे पूर्व गौशाला को अस्थाई रूप से दिख्योड़ा में ग्रामीणों की देख रेख मे चलाया जा रहा था। गौशाला कमेटी ने अस्थाई गौशाला से पशुओं को निकालकर बिना पंचायत की अनुमति के आधे अधूरे काम के बीच अपनी मनमर्जी से बाँध दिया। गौशाला में अव्यवस्थाओं के कारण पशु दिन प्रतिदिन कमजोर होकर मरने को मजबूर हो रहे है। इसी अव्यवस्था के उजागर होने के बाद अब कमेटी की करगुजारी की अब पोल खुलकर सामने आने लगी है।

उधर ग्राम पंचायत सठवीं प्रधान किरण कौर ने बताया कि झोरघाट गौशाला का निर्माण वजट के अभाव में अधर मे लटका हुआ है। कमेटी ने आधे अधूरे निर्माण के बीच पशुओं को बिना अनुमति यहां बांध दिया है। गौशाला मे पशुओं की मौत हो रही है, इसके बारे कमेटी ही बता सकती है।

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