सरदार पटेल की 147 वीं जयंती पर जौड़े अंब में रन फॉर यूनिटी दौड़ का करवाया आयोजन

हमीरपुर । भारतीय इतिहास की महानतम विभूति लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की 147 वीं जयंती के अवसर पर युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्रालय के नेहरू युवा केन्द्र हमीरपुर द्वारा रन फॉर यूनिटी शीर्षक से राष्ट्रीय एकता दिवस रन ऑफ यूनिटी के उपलक्ष पर सीसे स्कूल जौडे अम्ब में एनसीसी व एनएसएस के छात्रों द्वारा दौड़ का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम नेहरू युवा केंद्र की राष्ट्रीय युवा स्वयंसेविका शिवानी द्वारा करवाया गया। इस कार्यक्रम में स्कूल के डीपी राजेश कुमार व पीटीआई सुरेंद्र राणा और नोडल क्लब के प्रधान अवतार सिंह और साथ ही स्वयंसेविका शिवानी व उमा देवी भी उपस्थित रही। इस रन ऑफ यूनिटी में लगभग 50 बच्चों ने भाग लिया।
नेहरू युवा केन्द्र हमीरपुर की जिला युवा अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय एकता दिवस के अवसर पर जनसामान्य विशेषकर युवाओं में देशभक्ति एवं राष्ट्रीय एकता की भावनाओं को सुदृढ़ करने के लिए देश के प्रत्येक जिले में अधिक से अधिक रन फॉर यूनिटी के आयोजन किये जायेंगे। उन्होंने बताया कि त्याग, तपस्या, निर्भयता एवं राष्ट्र के प्रति अप्रतिम रूप से समर्पित लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल ने न केवल भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अग्रणी भूमिका का निर्वहन किया। उन्होंने कहा कि विभिन्न रियासतों में बिखरे भारत के भू राजनीतिक एकीकरण में केंद्रीय भूमिका निभाने के लिए सरदार वल्लभ भाई पटेल को भारत का बिस्मार्क और लौह पुरुष भी कहा जाता है ।
बारदोली सत्याग्रह का नेतृत्व कर रहे पटेल को सत्याग्रह की सफलता पर वहां की महिलाओं ने उन्हें सरदार की उपाधि प्रदान की थी। स्वतंत्रता संग्राम में अभूतपूर्व योगदान के अतिरिक्त सरदार पटेल को स्वतंत्र भारत के प्रथम उपप्रधानमंत्री एवं गृह मंत्री के रूप में उनके स्वर्णिम कार्यकाल के कारण भी अत्यंत आदर से याद किया जाता है। गृहमंत्री के रूप में सरदार पटेल पहले व्यक्ति थे जिन्होंने भारतीय नागरिक सेवाओं आईसीएस का भारतीयकरण कर इन्हें भारतीय प्रशासनिक सेवाएं आईएएस बनाया । सरदार वल्लभ भाई पटेल को मरणोपरांत वर्ष 1991 में भारत के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था। यह अवार्ड उनके पौत्र विपिन भाई पटेल द्वारा स्वीकार किया गया था।
सरदार पटेल की गांधीजी के प्रति श्रद्धा
महात्मा गांधी के प्रति सरदार पटेल की अटूट श्रद्धा थी। गांधीजी की हत्या से कुछ क्षण पहले निजी रूप से उनसे बात करने वाले पटेल अंतिम व्यक्ति थे। उन्होंने सुरक्षा में चूक को गृह मंत्री होने के नाते अपनी गलती माना। उनकी हत्या के सदमे से वे उबर नहीं पाये। गांधीजी की मृत्यु के दो महीने के भीतर ही सरदार पटेल को दिल का दौरा पड़ा था।
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