Hamirpur : करोड़ों का भवन बना सफेद हाथी, बड़सर में खाद्य भंडारण भवन का इस्तेमाल करना भूला विभाग

उर्वरक भंडारण भवन का उद्घाटन तत्कालीन भाजपा सरकार के समय मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल ने 17 जनवरी 2002 को किया था। लेकिन बड़ी ही हैरानी की बात है कि आज 20 वर्षों बाद भी उस वक्त 18 लाख की लागत से बने इस भवन को आज दिन तक किसी भी काम में उपयोग में नही लाया गया है। स्थानीय लोग प्रशासन विभाग को लगे कोसने ।
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हमीरपुर  ।  प्रदेश भर में आज कई ऐसे भवन बने हुए हैं जिनका काम तो वर्षों पहले मुकम्मल हो गया है। लेकिन उनका आज तक इस्तेमाल ही नहीं कर सके। यह यूं कहें कि विभाग इनका निर्माण करवाने के बाद इन्हें भूल ही गए। आज करोड़ों के ऐसे भवन सफेद हाथी बन चुके हैं। ऐसा ही एक खाद्य भंडारण भवन बड़सर में बना है, जिसका निर्माण करके विभाग इसका इस्तेमाल करना ही भूल गया। करोड़ों रुपए की बर्बादी देखकर स्थानीय लोग विभाग, प्रशासन व सरकारों को कोसते हुए देखे जा सकते हैं।

लोगों ने कहा कि एक तरफ  प्रदेश सरकार कर्ज लेकर अपना काम चला रही है, तो दूसरी तरफ  करोड़ों की बर्बादी सरेआम हो रही है। लोगों की मानें तो हैरानी इस बात की है कि पिछले बीस वर्षों से इस बर्बादी पर न कोई कुछ बोलने वाला है और न ही आज तक किसी की जवाबदेही फिक्स की गई।  विकास खंड बिझड़ी के तहत पडऩे वाले सोहारी मगनोटी मोड़ पर बने इस भवन को न तो भाजपा सरकार और न ही कांग्रेस सरकार प्रयोग में ला सकी जिसकी वजह से आज इस भवन को जाने के लिए बनाए गए पक्के रास्ते और परिसर में पूरी तरह से झाडिय़ों का कब्जा हो चुका है। इससे परिसर के अंदर दाखिल होना भी मुश्किल हो चुका है।

हालांकि इस संदर्भ में कई बार संबंधित विभाग के अधिकारियों का ध्यान आकर्षित करने में मीडिया द्वारा कई बार पहल की जा चुकी है। विकास खंड अधिकारी, कृषि विभाग व हिमफेड के अधिकारियों के ध्यान में भी कई बार यह मामला लाया जा चुका है। लेकिन दो दशक बीत जाने के बाद भी इस सफेद हाथी बन चुके भवन की किसी ने सुध नहीं ली। स्थानीय लोगों ने कहा कि यदि इस भवन को इस्तेमाल ही नहीं करना था, तो सरकारी खजाने की बर्बादी करने की क्या जरूरत थी।


संबंधित विभाग से होगा जवाब तलब : एसडीएम


उधर एसडीएम बड़सर शशिपाल शर्मा ने बताया कि संबंधित विभाग के अधिकारियों से इस बारे में जवाब तलब किया जाएगा, कि इतने वर्षों से क्यों इसका इस्तेमाल नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि अगर विभाग इसका इस्तेमाल नहीं कर पाता है, तो एनओसी लेकर किसी और निजी संस्था या सरकारी विभाग को इसे दे दिया जाएगा।

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