Hamirpur News : पंचायतों में मनरेगा योजना के तहत हो रहे कार्य बने लाभार्थियों के गले की फांस

हमीरपुर । पंचायतों में मनरेगा योजना के तहत हो रहे विकास कार्यों में विभागीय मनमानी लाभार्थियों के गले की फांस बन गई है। पंचायतों में तैनात पंचायत तकनीकी सहायक लाभार्थियों को मिलने वाले लाभ पर गुमराह कर रहे है। जिससे एक तो विभागीय कर्मचारियों की मनमानी से विकास कार्य प्रभावित हो रहे है। वहीं दूसरी तरफ इन कर्मचारियों द्वारा लाभार्थियों की जेबों पर अतिरिक्त भार डाला जा रहा है। पंचायतों में तैनात तकनीकी सहायकों की इस तरह की कारगुजारी पर लाभार्थियों ने गहरा रोष व्यक्त किया है।
ऐसा ही वाक्य विकास खंड बिझड़ी की ग्राम पंचायत जमली मे सामने आया है। मनरेगा योजना के तहत स्वीकृत जल संग्रहण टैंक के एक लाभार्थी करतार सिंह गांव लफरान ने आरोप लगाया है कि मैंने मनरेगा योजना के तहत जल संग्रहण टैंक के लिए अप्लाई किया है। पंचायती राज विभाग ने मेरे इस टैंक के निर्माण के लिए 1,50,000 रुपये की राशि स्वीकृत की है। लेकिन स्थानीय पंचायत तकनीकी सहायक जल संग्रहण टैंक के लिए मुझे मात्र 1 लाख 5 हजार रुपये ही देने की बात कर रही है।
करतार सिंह ने बताया कि तकनीकी सहायक ने इस निर्माण के लिए मेरे आंगन में गड्ढा खुदवाने के लिए कहा, जिससे हमने मनरेगा के तहत खुदाई कर दी। लेकिन अब जब उसे टैंक के खड्डे को टैंक का स्वरूप देने की बारी आई तो तकनीकी सहायक मात्र 1,05,000 रुपये ही देने की बात कर रही है। इस राशि से टैंक का कार्य संपूर्ण नहीं हो सकता। जब इस बारे उसे बताया तो उसने कहा कि अपनी जेब से खर्च करो। मेरे कम्प्यूटर का सॉफ्टवेयर इससे ज्यादा का अमाउंट नहीं उठता है।जब तकनीकी सहायक की इस हरकत की शिकायत बीडीओ कार्यालय की गई तो संबधित अधिकारी ने भी सॉफ्टवेयर का हवाला देकर स्वीकृति से कम राशि देने की ही बात की।
करतार सिंह ने कहा कि जब सरकार द्वारा स्वीकृत 150000 की राशि से टैंक का निर्माण कार्य पूरा हो सकता है तो विभागीय अधिकारी व कर्मचारी जानबूझकर क्यों कम पैसे देने की बात कर रहे है। लिहाजा करतार सिंह ने पंचायतीराज विभाग व प्रदेश सरकार से इस पूरे मामले के हस्तक्षेप करने की मांग की है। गौर रहे कि जमली पंचायत के अन्य दो लोगों ने भी इस तरह की शिकायतें दी है जिनमें दो गौशाला के निर्माण के लिए एक -एक लाख रुपये की स्वीकृति मिली है, लेकिन दोनों ही लाभार्थियों को संबधित पंचायत ने मात्र 45 -45 हजार रुपये ही दिए है।
उधर बीडीओ बिझड़ी सुदर्शन सिंह ने बताया कि ग्राम पंचायत जमली के निवासी करतार सिंह की शिकायत मिली है। उन्होंने कहा कि मनरेगा के तहत किसी भी कार्य के लिए 60/40 प्रतिशत के हिसाब से काम करवाया जाता है। मजदूरी के मुताबिक ही मैटीरियल की प्रतिशतता होती है। इससे ज्यादा कंप्यूटर नहीं उठाता है, जिस कारण समस्या हो रही है।
फेसबुक पर हमसे जुड़ने के लिए यहांक्लिक करें। साथ ही और भी Hindi News (हिंदी समाचार) के अपडेट पाने के लिए हमेंगूगल न्यूज पर फॉलो करें।