बांस उत्पादकों को मिलेगा सहारा, हिमाचल सरकार बनाएगी सहकारी सभा

हिमाचल प्रदेश सरकार बांस उत्पादकों के लिए एक सहकारी सभा बनाएगी। इस सभा के माध्यम से बांस उत्पादकों को अपनी उपज का उचित मूल्य मिल सकेगा और उनकी आर्थिकी में सुधार होगा। यह घोषणा मंत्री राजेश धर्माणी ने की।

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हिमाचल प्रदेश सरकार बांस उत्पादकों के लिए एक सहकारी सभा बनाएगी। इस सभा के माध्यम से बांस उत्पादकों को अपनी उपज का उचित मूल्य मिल सकेगा और उनकी आर्थिकी में सुधार होगा। यह घोषणा टीसीपी, हाउसिंग एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने शनिवार को घुमारवीं में जाइका वानिकी परियोजना द्वारा आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में की। Himachal govt to Form Cooperative Society for Bamboo Artisans

घुमारवीं। हिमाचल प्रदेश सरकार बांस उत्पादकों के लिए एक सहकारी सभा बनाएगी। इस सभा के माध्यम से बांस उत्पादकों को अपनी उपज का उचित मूल्य मिल सकेगा और उनकी आर्थिकी में सुधार होगा। यह घोषणा टीसीपी, हाउसिंग एवं तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्माणी ने शनिवार को घुमारवीं में जाइका वानिकी परियोजना द्वारा आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में की।

मंत्री ने कहा कि बांस उत्पादों की महनत को देखते हुए प्रदेश में उनके लिए कुछ नया करने की आवश्यकता है। बांस उत्पादकों की आर्थिकी में सुधार हो, इसके लिए प्रदेश सरकार हर संभव सहयोग करेगी। उन्होंने कहा कि सहकारी सभा बांस उत्पादकों की अपनी होगी। उनके उत्पादों को बेचने के लिए प्रदेश के नेशनल हाइवे के समीप स्वयं सहायता समूहों के लिए स्थान चिह्नित कर देंगे। बांस उत्पादों से रोजगार के द्वार भी खुलेंगे।

राजेश धर्माणी ने कहा कि जाइका वानिकी परियोजना की ओर से इस प्रोजेक्ट के लिए अभी एक करोड़ का बजट प्रस्तावित है, जिसे और बढ़ाया जाएगा। उन्होंने कहा कि बांस उत्पादकों को आईएचबीटी पानलमपुर में एक्सपोजर विजिट पर ले जा सकते हैं। उन्होंने यहां मौजूद लोगों से आहवाहन किया कि अगले दो साल में अंदर आपकी कमाई सामने दिखेगी।

कार्यशाला को संबोधित करने से पहले मंत्री राजेश धर्माणी ने जाइका वानिकी परियोजना से जुड़े विभिन्न स्वयं सहायता समूहों द्वारा निर्मित उत्पादों के स्टॉल का अवलोकन किया। बैंबू इंडिया के फाउंडर एंड सीईओ योगेश शिंदे ने बांस निर्मित उत्पादों से लोगों को आजीविका कमाने और उनकी आर्थिकी सुदृढ़ करने बारे विस्तृत जानकारी दी। जाइका वानिकी परियोजना के प्रोग्राम मैनेजर डा. कौशल्या कपूर, विषय वस्तु विशेषज्ञ डा. उल्शिदा, एफटीयू को-ऑर्डिनेटर, विभिन्न स्वयं सहायता समूहों के प्रतिनिधि मौजूद रहे।

कृषि विभाग के उप निदेशक डा. शशिपाल ने बैंबू मिशन के बारे अवगत करवाया। आईएचबीटी पालमुपर से बांस के पौधे भी खरीदे। यह घोषणा बांस उत्पादकों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। सहकारी सभा के गठन से बांस उत्पादकों को अपनी उपज का उचित मूल्य मिलने, उनकी आर्थिकी में सुधार होने और बांस उत्पादों से रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है।

सहकारी सभा का गठन: सहकारी सभा का गठन बांस उत्पादकों द्वारा किया जाएगा। सभा बांस उत्पादकों को अपनी उपज का उचित मूल्य दिलाने, उनकी आर्थिकी में सुधार करने और बांस उत्पादों से रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए काम करेगी।

सहकारी सभा के लाभ:

उचित मूल्य: बांस उत्पादकों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिलेगा।

आर्थिक सुधार: बांस उत्पादकों की आर्थिकी में सुधार होगा।

रोजगार के अवसर: बांस उत्पादों से रोजगार के अवसर पैदा होंगे।

सरकार की सहायता: सरकार सहकारी सभा के गठन और संचालन में बांस उत्पादकों की सहायता करेगी।

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