हिमाचल के सरकारी स्कूल में दुनिया का सबसे बड़ा 20 फीट लंबा स्याही वाला पेन स्थापित, शक्ति ने खुद किया मंत्रोच्चारण, मुख्यातिथि के स्वागत में कहे शब्द

पेन ने बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे डॉ. राजीव बिंदल के स्वागत में कुछ शब्द भी कहे,  यानी इस पेन की खूबियों को देख लोग दंग रह गए। मुख्याध्यापक संजीव अत्री ने बताया कि इस पेन की कई खूबियां हैं। पेन की विशेषता यह भी रहेगी कि यह पेन साउंड सेंसर से लैस है। 
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20 फीट लंबा स्याही वाला पेन

सिरमौर ।   कहते हैं कि कलम की धार तलवार से भी अधिक ताकतवर होती है। कलम ने न केवल अपनी ताकत का एहसास कराया, बल्कि लोगों को साक्षात दर्शन भी हो गए। हिमाचल प्रदेश के जिला सिरमौर के सरकारी उच्च विद्यालय नौरंगाबाद में शनिवार को 20 फीट लंबा, एक फीट मोटा और 43 किलो वजनी स्याही वाला पेन शक्ति स्थापित किया गया। कई तरह की खूबियों वाले इस पेन को स्थापित करने से पहले इसे उठाने में 17 लोग लगे, जिनके पसीने तक छूट गए।

 

 

 

 

 

 

पेन ने बतौर मुख्य अतिथि पहुंचे डॉ. राजीव बिंदल के स्वागत में कुछ शब्द भी कहे। यानी इस पेन की खूबियों को देख लोग दंग रह गए। बता दें कि पेन को तीन हिस्सों में तैयार किया गया है। पेन की निभ लकड़ी से बनी है। बीच वाला हिस्सा और ढक्कन वाला भाग लोहे से तैयार किया गया है। इसमें साउंड सेंसर लगे हैं। सीटीटीवी कैमरे से इसे लैस किया गया है। स्कूल के मुख्याध्यापक एवं विज्ञान के शिक्षक डॉ. संजीव अत्री   का दावा है कि यह दुनिया का सबसे बड़ा पेन है, जो लिखेगा ही नहीं, बल्कि किसी भी शिक्षक के छुट्टी पर होने पर उनकी ओर से रिकॉर्ड लेक्चर विद्यार्थियों को सुनाएगा भी। शिक्षण - अधिगम तकनीक से युक्त यह पेन दिन को विद्यार्थियों की निगरानी और रात को स्कूल की पहरेदारी करेगा। 

 

 

स्कूल के मुख्याध्यापक एवं विज्ञान के शिक्षक डॉ. संजीव अत्री ने शिक्षकों के सहयोग से पेन का डिजाइन बनवाया और 45,000 रुपये की लागत से तीन माह में इसे तैयार भी करवाया। इस पेन को शक्ति नाम दिया गया है। लोहे और लकड़ी से पेन तैयार करने में जो खर्च आया, उसे सभी शिक्षकों ने वहन किया। इसमें लगे सेंसर हर तरह की कमांड संभालेंगे। इससे पहले वर्ल्ड रिकॉर्ड में 18 फीट लंबा बॉल पेन दर्ज है।  इस पेन के बारे में लिम्का बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड को भी सूचित किया गया है। यह टीम पेन का मुआयना करने भी आ सकती है। पेन की विधिवत पूजा-अर्चना से स्थापना के समय पेन ने ही खुद मंत्रोच्चारण किया और मुख्यातिथि विधायक राजीव बिंदल का बोलकर अभिनंदन भी किया। 

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पास बैठकर पढे़ंगे बच्चे, सुनेंगे गीत व कहानियां


मुख्याध्यापक संजीव अत्री ने बताया कि इस पेन की कई खूबियां हैं। पेन की विशेषता यह भी रहेगी कि यह पेन साउंड सेंसर से लैस है। मतलब यदि कोई शिक्षक अगले दिन अवकाश करने वाला है, तो संबंधित अध्यापक अपना लेक्चर रिकॉर्ड करके मोबाइल के माध्यम से स्कूल प्रबंधन के पास भेजेगा। इसके बाद साउंड सेंसर की मदद से संबंधित रिकॉर्ड लेक्चर को पेन में भेजा जाएगा। अगले दिन बच्चों को पेन के समीप बिठाकर छुट्टी पर गए शिक्षक की आवाज में पढ़ाकर सेंसर अपना काम शुरू कर देगा। खाली पीरियड में पेन बच्चों को कहानी भी सुनाएगा। बच्चे गीत भी सुन सकेंगे।

प्रार्थना सभा करवाएगा, गीत-कहानी भी सुनाएगा


 शारीरिक शिक्षक की गैर मौजूदगी में बच्चों को प्रार्थना सभा करवा सकता है। किसी शिक्षक के छुट्टी पर जाने पर उनकी आवाज में पाठ पढ़ा सकेगा। इसके लिए एक दिन पहले उस शिक्षक को अपना पाठ पेन में रिकॉर्ड करना होगा। परिसर में स्थापित होने से यह सभी के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा। गीत, कहानी जैसी हर चीज बच्चों को सुना सकता है। इसका नियंत्रण मुख्याध्यापक कार्यालय में रहेगा। स्कूल परिसर की हर गतिविधि भी पेन में लगे सीसीटीवी कैमरे में कैद होगी। पेन जो पढ़ाई करवाएगा, उसकी सारी रिपोर्टिंग नियंत्रण कक्ष को भी भेजेगा।


निभ ढाई फीट लंबी

मुख्याध्यापक संजीव अत्री ने बताया कि यह दुनिया का सबसे बड़ा पेन है। इसमें एक समय में दो लीटर स्याही डाली जा सकती है। इसमें सोलर सिस्टम भी स्थापित किया जाएगा, जो रात को रोशनी बिखेरेगा। पेन की निब व कंगी लगभग ढाई फीट लंबी है। पेन के भीतर स्याही भरने का भी प्रावधान किया गया है। एक बैग में स्याही भरी जाएगी, जो एक पाइप के माध्यम से निब तक पहुंचेगी। संबंधित पेन से लिखा भी जा सकता है, लेकिन इसका भार अधिक होने की वजह से अकेले इसे उठाना मुश्किल है, लेकिन पेन को उठाकर जब कागज पर रोल होगा, तो वह लिख भी सकेगा।  इस पेन को सौर ऊर्जा से चार्ज किया जा सकता है।   उन्होंने कहा कि लिम्का बुक आफ वर्ल्ड रिकॉर्ड को इस बारे में मेल से जानकारी दी गई। रिस्पांस मिलने के बाद उन्हें फोटो भी भेजी जा चुकी है। 

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विधायक ने थपथपाई पीठ


पेन के शुभारंभ अवसर पर बिंदल ने कहा कि यह अनोखा डिजिटल पेन स्थापित कर नौरंगाबाद स्कूल के अध्यापकों ने ऐसा कार्य किया है, जो बड़े-बड़े व प्राइवेट स्कूलों में भी संभव नहीं हो सका। उन्होंने पेन को तैयार करने वाले मुख्याध्यापक संजीव अत्री व उनकी टीम को इस कार्य के लिए बधाई दी। इस मौके पर उपनिदेशक उच्च शिक्षा कर्मचंद और उपनिदेशक निरीक्षण गोरखनाथ समेत स्कूल का स्टाफ मौजूद रहा।


ऐसे आया पेन बनाने का विचार

मुख्य अध्यापक डॉ. संजीव अत्री ने कहा कि स्कूल में शिक्षकों की कमी चल रही है। ऐसे पेन बनाने का विचार आया। इसके साथ-साथ काफी पिछड़ा स्कूल होने के कारण बच्चों के मनोरंजन के लिए भी इसे तैयार गया है। बच्चों का स्कूल के प्रति आकर्षण पैदा करने के मकसद से भी पेन का आविष्कार किया गया है। 30 - 35 हजार रुपये की राशि  पेन पर खर्च हुई है। बाकी, इसे बनाने वाले अलग-अलग कारीगरों को मेहनताना दिया गया है। पेन पर कुल खर्च 45,000 रुपये आया है। इसका डिजाइन उन्होंने खुद तैयार किया है।     

उधर , उच्च शिक्षा सिरमौर उपनिदेशक कर्मचंद ने बताया कि शिक्षण अधिगम सामग्री के तौर पर पेन का इस्तेमाल होगा। इसके लिए प्रदेश शिक्षा बोर्ड से भी अनुमति लेना जरूरी नहीं है। कोरोना काल में शिक्षकों ने ऐसे कई कार्य किए, जिससे छात्रों को फायदा हुआ। यह पेन भी पठन-पाठन में सहायक सिद्ध होगा।

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