बड़सर अस्पताल में दस साल पुरानी अल्ट्रासाउंड मशीन से हो रही जांच

सिविल अस्पताल बड़सर में दस वर्ष पुरानी अल्ट्रासाउंड मशीन से सप्ताह में महज दो दिन ही अल्ट्रासाउंड हो रहे हैं। क्षेत्र के लोगों को अस्पताल में सुचारू अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं मिल रही है।
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ल्ट्रासाउंड मशीन

हमीरपुर ।  सिविल अस्पताल बड़सर में दस वर्ष पुरानी अल्ट्रासाउंड मशीन से सप्ताह में महज दो दिन ही अल्ट्रासाउंड हो रहे हैं। क्षेत्र के लोगों को अस्पताल में सुचारू अल्ट्रासाउंड की सुविधा नहीं मिल रही है। यहां सिविल अस्पताल का दर्जा तो दिया गया है, लेकिन जो सुविधाएं यहां मिलनी चाहिए वो नहीं मिल पा रही हैं।  


बताते चलें कि सिविल अस्पताल बड़सर में दस वर्ष पहले एक अल्ट्रासाउंड मशीन किसी ने दान में दी थी। तब से इस पुरानी तकनीक से ही अल्ट्रासाउंड किए जा रहे हैं। वहीं अस्पताल में प्रतिनियुक्ति पर सप्ताह में महज मंगलवार और शनिवार को ही अल्ट्रासाउंड होते हैं। ऐसे में लोगों को एक से दो माह बाद तक की तारीखें भी अल्ट्रासाउंड के लिए दी जाती हैं। इसी वजह से क्षेत्र के लोग अन्य दो निजी अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड करवाने को मजबूर हैं।

अल्ट्रासाउंड करवाने वालों में अधिकतर गर्भवती महिलाएं, पथरी के मरीज होते हैं, लेकिन सप्ताह में महज दो दिन और वह भी पुरानी मशीन से अल्ट्रासाउंड होने के कारण लोगों को गलत रिपोर्ट की आशंका भी रहती है।  निजी अस्पताल में मरीज को एक अल्ट्रासाउंड के 500 से 700 रुपये तक खर्च करने पड़ रहे हैं, जबकि सरकारी स्तर पर यह सुविधा निशुल्क और कई जगह सौ रुपये में उपलब्ध है। स्थानीय लोगों में कपिल कुमार, संजीव कुमार, राजेंद्र कुमार, अरुण कुमार, हंसराज, राज कुमार, सतीश कुमार सहित अयों ने मांग की है कि अस्पताल में डिजिटल मशीन लगाकर यहां प्रतिदिन अल्ट्रासाउंड की सुविधा दी जाए।   


उधर कार्यकारी बीएमओ बड़सर डॉ. राकेश ने कहा कि अल्ट्रासाउंड की मशीन सही अवस्था में है और उससे सुचारू अल्ट्रासाउंड किए जा रहे हैं। भविष्य में अगर मशीन की जरूरत महसूस होती है, तो इस बारे में विभाग को लिखित में सूचित किया जाएगा।    

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