National Teacher Award : हिमाचल के तीन शिक्षकों को राष्ट्रीय पुरस्कार, शिक्षा मंत्रालय ने जारी की सूची

शिक्षा मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी सूची में प्रदेश से युद्धवीर टंडन, वीरेंद्र कुमार और अजय कुमार का नाम शामिल है।  शिमला और चंबा जिले से चयनित ये शिक्षक 5 सितंबर को राष्ट्रपति भवन में सम्मानित होंगे। 
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शिक्षक वीरेंद्र कुमार, अजय कुमार व युद्धवीर टंडन

शिमला  ।  हिमाचल प्रदेश के तीन शिक्षक राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए चयनित किए गए हैं। शिक्षा मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी सूची में प्रदेश से युद्धवीर टंडन, वीरेंद्र कुमार और अजय कुमार का नाम शामिल है। शिमला और चंबा जिले से चयनित ये शिक्षक 5 सितंबर को राष्ट्रपति भवन में सम्मानित होंगे। देश भर से 46 शिक्षक राष्ट्रीय पुरस्कार के लिए चुने गए हैं। प्रदेश से पहली बार तीन शिक्षकों को एक साथ राष्ट्रीय पुरस्कार मिलेगा।

शिक्षक वीरेंद्र कुमार जिला शिमला की सुन्नी तहसील के तहत राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय धरोगड़ा में कार्यरत हैं। युद्धवीर टंडन जिला चंबा के प्राइमरी स्कूल अंगोरा में कार्यरत हैं। अजय कुमार जवाहर नवोदय विद्यालय ठियोग जिला शिमला में कार्यरत हैं। इनका चयन देश भर के जवाहर नवोदय विद्यालयों की श्रेणी में हुआ है। हिमाचल प्रदेश को दो राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार दिए गए हैं। प्रदेश सरकार ने तीन नाम शिक्षा मंत्रालय को भेजे थे।



वीरेंद्र कर रहे बच्चों की लिखावट सुधारने का प्रयास


राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए चयनित किए गए शिक्षक वीरेंद्र कुमार जिला शिमला की सुन्नी तहसील के तहत राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय धरोगड़ा में प्रशिक्षित कला स्नातक शिक्षक हैं। शिक्षण के साथ वीरेंद्र कुमार लेखन कार्य भी करते हैं। कई पाठ्यपुस्तकों की रचना भी इन्होंने की है। विभिन्न प्रकरणों के लिए मॉडल बनाना तथा कक्षा शिक्षण में उनका उपयोग करने में इनकी विशेष रुचि है। बच्चों की लिखावट को आकर्षक बनाने के लिए भी वीरेंद्र विशेष प्रयास कर रहे हैं।

वर्ष 2015 में इन्हें राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 10 जून 1999 को बतौर प्राथमिक शिक्षक इन्होंने सरकारी स्कूल में सेवाएं देना प्रारंभ किया था। जून 1999 से अप्रैल 2016 तक प्राथमिक शिक्षक के रूप में कार्य किया। अब टीजीटी आर्ट्स के पद पर कार्यरत हैं। वर्ष 2004 से अभी तक राज्य स्रोत समूह हिमाचल प्रदेश के स्थायी सदस्य हैं। वर्ष 2009 से शिक्षण को मनोरंजक बनाने के लिए गतिविधियों की सहायता से इन्होंने बच्चों को पढ़ाना प्रारंभ किया। वीरेंद्र कुमार बताते हैं कि विभिन्न अधिगम स्तर के बच्चों को इस विधि से शिक्षण देना एक प्रभावी प्रक्रिया है। गतिविधि आधारित शिक्षण में सभी बच्चे बेहतर करने का प्रयास करते हैं।वीरेंद्र कुमार ने अपने चयन के लिए केंद्र और राज्य सरकार का आभार जताया है।



खोज आधारित शिक्षा देने में विश्वास रखते हैं अमित


जेएनवी ठियोग के कंप्यूटर शिक्षक अमित कुमार को सहयोगपूर्ण और खोज आधारित शिक्षा देने के लिए राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार दिया जाएगा। वह पाठ्यक्रम एवं विषय- शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावशाली बनाने के लिए नवीन एकीकृत प्रौद्योगिकी का उपयोग कर विद्यार्थियों में सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी के प्रति जिज्ञासा उत्पन्न करने में प्रयासरत रहते हैं। कंप्यूटर विषय शिक्षण में परिपक्व अमित प्रदेश में राष्ट्रीय शैक्षणिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) एवं स्पोकन टुटोरिअल, आईआईटी बॉम्बे के संसाधक ने रूप में भी योगदान दे रहे हैं।

अमित को राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी पुरस्कार (नेशनल आईसीटी अवार्ड) 2015 और गत वर्ष संयुक्त राज्य अमेरिका सरकार ने अंतरराष्ट्रीय शिक्षकों के लिए शिक्षण कार्यक्रम में फुलब्राइट प्रतिष्ठित पुरस्कार 2020-21 से भी सम्मानित किया जा चुका है। विद्यालय के प्रधानाचार्य निशिकांत के शामकुवर ने कहा कि राष्ट्रीय पुरस्कार मिलना विद्यालय के लिए ही नहीं, बल्कि प्रदेश के लिए गर्व की बात है।



नवाचार के साथ करवाई पढ़ाई, स्कूल में बच्चों की संख्या भी बढ़ाई


 सरकारी स्कूल में घटती बच्चों की संख्या को देखते हुए जिला चंबा के युद्धवीर ने नवाचार से स्कूल में पढ़ाई शुरू की। इसका फायदा भी हुआ। बच्चों को खेल-खेल में पढ़ाने का बीड़ा उठाया। इससे जहां उनके स्कूल में बच्चों की संख्या पांच से सात रह गई थी, वह तीन से चार गुना तक बढ़ गई। वर्तमान में युद्धवीर अनोगा स्कूल में जेबीटी अध्यापक तैनात हैं और स्कूल के प्रभारी भी हैं। यह मुकाम हासिल करने में बहुत व्यावहारिक कठिनाइयों का भी सामना शिक्षक युद्धवीर टंडन को करना पड़ा।

उन्होंने ऐसे स्कूल से कार्य शुरू किया, जहां विद्यार्थियों की संख्या 5 से 7 रह गई। युद्धवीर ने इस विद्यालय में विद्यार्थियों की संख्या से तीन से चार गुना बढ़ाया। स्कूल को एक आदर्श विद्यालय का दर्जा भी दिलवाया। युद्धवीर मानते हैं कि संघर्ष जितना बड़ा होता है, सफलता भी उतनी ही शानदार मिलती है।  उन्होंने बताया कि सीमित संसाधनों में कार्य करना एक चुनौती तो थी, मगर एक अवसर भी था और अपने शैक्षिक जीवन के मात्र 6 वर्षों में इस अवसर को बनाना एक शानदार अनुभव रहा है।

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