Himachal : अब तक तिरंगे की हिफाजत के लिए प्रदेश के 1262 जवानों ने पिया शहादत का जाम

तिरंगे की हिफाजत के लिए वीर भूमि के सैकड़ों सपूतों ने दी कुर्बानियां, 1947 से लेकर अब तक प्रदेश के 1262 वीरों ने पिया शहादत का जाम
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ऐ वतन मेरे आबाद रहे तू

हमीरपुर । 15 अगस्त भारत के गर्व और सौभाग्य का दिवस है। यही वह दिन है जब भारत ब्रिटिशों की 200 साल की बेडिय़ों से मुक्त हुआ और पहली बार दिल्ली में लाल किले के लाहौरी गेट के ऊपर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया गया। अंग्रेजी हुक्मरानों की बेडिय़ों से देश को आजाद करवाने के लिए पहाड़ी प्रदेश हिमाचल से ताल्लुक रखने वाले कई स्वतंत्रता सेनानियों ने हंसते-हंसते अपने प्राणों की आहुतियां दे डाली थी।

वीर भूमि के इन रणबांकुरे की कुर्बानियों का सिलसिला देश को आजाद करवाने तक ही सीमित नहीं रहा बल्कि देश की आजादी के बाद भी वीर भूमि के सपूत देश की हिफाजत के लिए समय-समय पर अपने प्राण न्योछावर करते रहे। 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेजों की गुलामी से भारत आजाद तो हुआ, लेकिन इस देश की खूबसूरती पड़ोसी मुल्कों की नजरों में खटकने लगी। कभी पाकिस्तान तो कभी चीन सीमाओं का उल्लंघन करते हुए बार-बार भारत में घुसने की हिमाकत करता रहा।

1947 से लेकर अब तक देश की रक्षा की खातिर जो भी लड़ाइयां हुई चाहे वे 1962 का युद्ध हो 1965 का 1971 का या फिर ऑपरेशन मेघदूत, ऑपरेशन पवन, ऑपरेशन विजय, ऑपरेशन पराक्रम, ऑपरेशन रक्षक या फिर कोई अन्य ऑपरेशन अब तक वीर भूमि हिमाचल प्रदेश से लगभग 1262 वतन के रखवाले ने अपने प्राणों का बलिदान देकर देश की आन बान और शान को बरकरार रखा।

पांच वर्षों में ही 61 ने पाई वीरगति

पिछले पांच वर्षों में ही हिमाचल के 61 सूरमा देश पर कुर्बान हुए। इनमें भी सबसे अधिक कांगड़ा से 16, मंडी से 10, हमीरपुर और बिलासपुर से 9.9, सिरमौर से 5, सोलन से 4, कुल्लू और लाहुल-स्पीति से 3.3 तथा ऊना जिला के दो जवान शामिल हैं। 1999 में हुए करगिल युद्ध (ऑपरेशन विजय) बात करें तो लगभग दो महीने में प्रदेश के 54 वीर सपूतों ने शहादत का जाम पिया था।

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‘‘ चलो फिर से वो नजारा याद कर लें, शहीदों के दिल में थी जो ज्वाला वो याद कर लें,
जिसमें बह कर आजादी पहुंची थी किनारे पर, बलिदानियों के खून की वो धारा याद कर लें ’’

इस बार आजादी का अमृत महोत्सव

इस साल देश की आजादी का यह 75वां साल है। आजादी का अमृत महोत्सव के तहत देश भर में कई तरह के आयोजन किए जा रहे हैं। सरकार ने ‘हर घर तिरंगा’ अभियान भी चलाया है। ‘हर घर तिरंगा अभियान’ के तहत देशवासी 13 से 15 अगस्त तक अपने घरों में तिरंगा लहरा रहे हैं।

सबसे ज्यादा शहीद कांगड़ा जिला से

देश की आजादी के लिए सबसे अधिक शहीद होने वाले जिला कांगड़ा के सपूत थे। 1947 से लेकर अब तक सबसे अधिक कांगड़ा के 573 जवान शहीद हुए। दूसरे नंबर पर जिला हमीरपुर रहा, यहां के 174 सपूतों ने शहादत का जाम पिया। तीसरे नंबर पर मंडी जिला है, यहां के 158 सपूतों ने शहादत पाई। मंडी के बाद बिलासपुर से 102, ऊना से 90, सोलन से 39, शिमला और किन्नौर से 37, सिरमौर से 36, चंबा से 35 तथा कुल्लू और लाहुल-स्पीति के 18 सपूत भारत मां की आन-बान और शान की खातिर शहीद हुए थे।

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