हिमाचल : कांग्रेस विधायक के करीबी को पांच बार समन जारी, हमीरपुर की राजनीति गरमाई

हिमाचल प्रदेश की दी तलाई ग्राम सेवा सहकारी सभा सीमित में 33 करोड़ से ज्यादा के गबन मामले में 12 अफसरों, एक पूर्व अधिकारी और दो चार्टर्ड अकाउंटेंटों समेत अभी तक 20 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है।
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प्रवर्तन निदेशालय (ईडी)

हमीरपुर ।  प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जिला हमीरपुर के  कांग्रेस विधायक  के करीबी एवं जिला कांग्रेस के एक पदाधिकारी को पूछताछ के लिए समन जारी किए हैं। उक्त पदाधिकारी को ईडी पांच से अधिक समन जारी कर शिमला में पूछताछ के लिए तलब कर चुकी है। इससे हमीरपुर की राजनीति गरमा गई है।



  बड़सर विधानसभा क्षेत्र से सटे बिलासपुर के शाहतलाई में दी तलाई ग्राम सेवा सहकारी सभा सीमित में करोड़ों का गबन हुआ है।  इस मामले में सहकारी सभा के प्रबंधक कमेटी का एक पदाधिकारी जेल में भी रह चुका है। अब इस सहकारी सभा में कांग्रेस विधायक के साथ क्या संबंध रहे हैं, यह जानने का प्रयास ईडी कर रही है। गत दिवस भी करीब उक्त पदाधिकारी से ईडी ने आठ घंटे तक पूछताछ की।

यह जानने की कोशिश की कि सहकारी सभा के प्रबंधक कमेटी के साथ विधायक के किस तरह के संबंध हैं और विधायक की प्रदेश में कहां-कहां होटल व अन्य संपत्तियां हैं। इसी कड़ी में अब ईडी कांग्रेस विधायक को पूछताछ के लिए तलब कर सकती है, लेकिन अभी तक ईडी के हाथ कोई ठोस सुबूत नहीं लगे हैं।



उधर, कांग्रेस विधायक ने कहा कि प्रदेश में कहीं भी उनका न कोई होटल है और न ही तलाई सहकारी सभा के साथ कोई संबंध। संबंधित सहकारी सभा में खाता तक नहीं है। न ही सहकारी सभा से ऋण लिया है। आरोप लगाया कि विधानसभा चुनावों में कांग्रेस नेताओं की छवि खराब करने के लिए वर्तमान सरकार ईडी और सीबीआई जैसे जांच एजेंसियों को आगे कर इस तरह के हथकंडे अपना रही है। वह इसमें कामयाब नहीं हो पाएंगे। विस चुनावों में जनता मुंह तोड़ जवाब देगी।



यह है सहकारी सभा में गबन का मामला

हिमाचल प्रदेश की दी तलाई ग्राम सेवा सहकारी सभा सीमित में 33 करोड़ से ज्यादा के गबन मामले में 12 अफसरों, एक पूर्व अधिकारी और दो चार्टर्ड अकाउंटेंटों समेत अभी तक 20 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है। यह कार्रवाई झंडूता सिविल कोर्ट के निर्देश पर की गई है। मार्च 2019 में ऑडिट में करोड़ों का गबन सामने आया था।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और सहकारिता विभाग इस मामले की जांच कर रहे हैं। आरोप है कि नियमों को ताक पर रखकर कर्ज बांटे गए। दो लाख से ज्यादा नहीं दिए जा सकते थे, जबकि करोड़ों के कर्ज बांट दिए गए।

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