Hamirpur : बारीं और चंबोह में खिले ब्रह्म कमल

एक  साल पहले घर के आंगन में  रोपे थे पौधे , पुराणों में भी इसका महत्व
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ब्रह्म कमल

हमीरपुर ।  अति दुर्लभ और पौराणिक महत्व का ब्रह्मकमल बारीं तथा चंबोह गांव  में खिला है। बारीं गांव के  रहने वाले सुनील कुमार चौहान ने इसे एक साल पहले घर के आंगन में गमले में  इसका पौधा रोपा था। उन्होंने बताया कि हिमालय में खिलने वाले इन फूलों के पौधों की काफी देखभाल करना पड़ती है। एक साल के इंतजार के बाद इसमें  कलियां आई थीं, लेकिन उनमें से एक ही  रात  को खिल सकी। पूरे परिवार ने इसे देखा। फूल को देखने कई परिचित भी आए।

शाम करीब साढ़े 9 बजे यह खिलना शुरू हुआ। करीब ढाई घंटे बाद यह पूरी तरह खिल गया। इसके बाद पूरे घर में उसकी सुगंध फैल गई। इस दुर्लभ फूल की सुंदरता देखते ही बन रही थी। इधर, चम्बोह में रहने वाली बीडीसी मेंबर  पुष्पा के घर पर में एक साथ 4 फूल खिले। उन्होंने बताया कि यह करीब 3 से लेकर 4 घंटे पूरी तरह खिलता है। वहीं बारीं गांव के सुरेंद्र के घर भी इसी रात ब्रह्म कमल खिले।

औषधीय गुणों के कारण संरक्षित प्रजाति में रखा गया है :

भाजपा महिला मोर्चा सुजानपुर मंडल अध्यक्ष अर्चना चौहान ने बताया कि ब्रह्मकमल हिमालय के उत्तरी और दक्षिण-पश्चिम चीन में पाया जाता है। बदरीनाथ, केदारनाथ के साथ ही फूलों की घाटी, हेमकुंड साहिब, वासुकीताल, वेदनी बुग्याल, मद्महेश्वर, रूप कुंड, तुंगनाथ में ये फूल मिलता है।  हिमाचल के हमीरपुर जिला में भी कम ऊंचाई वाले क्षेत्रों में ब्रह्म कमल खिलना अचंभा माना जा रहा है।

धार्मिक और प्राचीन मान्यता के अनुसार ब्रह्म कमल को भगवान महादेव का प्रिय फूल माना गया है। इसका नाम उत्पत्ति के देवता ब्रह्मा के नाम पर दिया गया है। इसकी सुंदरता और औषधीय गुणों के कारण ही इसे संरक्षित प्रजाति में रखा गया है। कैंसर जैसी गंभीर बीमारी के इलाज में ब्रह्मकमल को काफी मुफीद माना जाता है। यह भी कहा जाता है घर में भी ब्रह्मकमल रखने से कई दोष दूर होते हैं।

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