आस्था : महाकाली मंदिर में गूरों ने दहकते अंगारों पर चल कर दी अग्निपरीक्षा

मंडी जनपद के अन्य मंदिरों में भी देवी-देवताओं के गूरों ने आग के अंगारों पर चलकर अग्निपरीक्षा दी। महाकाली मंदिर पुरानी मंडी की कमेटी के कोषाध्यक्ष गिरजा कुमार ने बताया कि यह देवी-देवताओं और इतिहास से जुड़ी पौराणिक परंपराएं हैं। 
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हिमाचल प्रदेश के पुरानी मंडी के महाकाली मंदिर में भाद्रपद कृष्णपक्ष की डगवांस को आधा दर्जन देवी

मंडी ।  हिमाचल प्रदेश के पुरानी मंडी के महाकाली मंदिर में भाद्रपद कृष्णपक्ष की डगवांस को आधा दर्जन देवी के गूरों ने अग्निपरीक्षा देकर बुरी शक्तियों से लोहा लिया। मंडी जनपद के अन्य मंदिरों में भी देवी-देवताओं के गूरों ने आग के अंगारों पर चलकर अग्निपरीक्षा दी। महाकाली मंदिर पुरानी मंडी की कमेटी के कोषाध्यक्ष गिरजा कुमार ने बताया कि यह देवी-देवताओं और इतिहास से जुड़ी पौराणिक परंपराएं हैं। इनका निर्वहन आज भी किया जा रहा है।

महाकाली मंदिर में 58 साल से जाग होम का आयोजन किया जा रहा है। मान्यताओं के अनुसार अगर देवता विजयी रहते हैं, तो क्षेत्र में सुख शांति बनी रहती है और यदि डायनों (बुरी शक्तियों) की जीत होती है तो इलाके में फसल अच्छी होती है।  मान्यता के अनुसार हिंदी संवत के अनुसार मंडी जनपद में भाद्रपद के महीने में देवताओं और डायनों का युद्ध होता है। इस दौरान जनपद के विभिन्न मंदिरों में रात्रि 12 बजे से जाग होम किया जाता है।

जाग में देवी-देवताओं के गूर आग के अंगारों पर चलकर अग्नि परीक्षा देते हैं। इस दौरान देववाणी भी की जाती है। ऐसी मान्यता है कि ऋषि पंचमी तक जनपद में ज्यादातर देवी-देवताओं के मंदिरों के कपाट बंद रहते हैं और नागपंचमी या ऋषि पंचमी तक देवता अपने मंदिरों में विराजमान होते हैं। बता दें कि देवी-देवताओं और डायनों के बीच हो रहे युद्ध का परिणाम पत्थर चौक यानी 30 अगस्त को देवधार में अधिष्ठाता देव सत बाला कामेश्वर के दरबार में सुनाया जाएगा। 

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