Drone Policy : ड्रोन विषय में होंगे डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स, हिमाचल सरकार करेगी प्रावधान, उद्योगों को भी मिलेगा लाभ

अधिसूचित हुई ड्रोन नीति 2022 में बताया गया है कि कॉलेजों में एक वर्ष का सर्टिफिकेट कोर्स, दो वर्ष का डिप्लोमा कोर्स और तीन वर्ष का डिग्री कोर्स ड्रोन को लेकर होगा। आईटीआई और पालीटेक्निक संस्थानों में ड्रोन की मरम्मत करने के लिए तीन से छह माह के टेक्नीशियन कोर्स करवाए जाएंगे।
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शिमला ।  हिमाचल प्रदेश में अब ड्रोन विषय में भी डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स करवाए जाएंगे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के मल्टीपल एंट्री और मल्टीपल एग्जिट सिस्टम में इसके लिए सरकार प्रावधान करेगी। इसके अलावा आईटीआई और पालीटेक्निक संस्थानों में ड्रोन की मरम्मत करने के लिए तीन से छह माह के टेक्नीशियन कोर्स करवाए जाएंगे। अधिसूचित हुई ड्रोन नीति 2022 में बताया गया है कि कॉलेजों में एक वर्ष का सर्टिफिकेट कोर्स, दो वर्ष का डिप्लोमा कोर्स और तीन वर्ष का डिग्री कोर्स ड्रोन को लेकर होगा।

आईटीआई और पालीटेक्निक संस्थानों में छह माह का ड्रोन टेक्नीशियन और तीन माह का ड्रोन सर्विस टेक्नीशियन का कोर्स करवाया जाएगा।  जिला कांगड़ा के शाहपुर आईटीआई में खोले गए ड्रोन प्रशिक्षण केंद्र की तर्ज पर अन्य स्थानों में भी केंद्र खोले जाएंगे। ड्रोन महोत्सव और मेले आयोजित कर इसका व्यापक प्रचार एवं प्रसार किया जाएगा। प्रदेश में एक ड्रोन पार्क भी बनाया जाएगा। इसके लिए जगह तलाशी जाएगी।



सरकार के पांच विभागों की मदद करेंगे ड्रोन


ड्रोन के माध्यम से प्रदेश में कृषि, बागवानी, वन, उद्योग और गृह विभाग के काम आसान हो जाएंगे। किसानों और बागवानों को ड्रोन खरीदने के लिए सरकार उपदान पर 10 लाख रुपये तक कर्ज देगी। कृषि-बागवानी विभागों से करार कर किसानों-बागवानों को ड्रोन की नई तकनीक से जोड़ा जाएगा। खेतों-बगीचों में कीटनाशकों या फफूंद नाशकों का मिनटों में सुरक्षित तरीके से छिड़काव कर सकेंगे। जंगलों में माफिया पर नजर रखी जा सकेगी। आग लगने की सूचना भी मिलेगी। सूबे के अति दुर्गम क्षेत्रों में दवाएं पहुंचाने का काम भी ड्रोन करेगा। ट्रैफिक को नियंत्रित करने और अपराधियों को पकड़ने में भी मददगार होगा।




ड्रोन उद्योग लगाने पर मिलेगी दो करोड़ रुपये तक कैपिटल सब्सिडी, स्टांप और पंजीकरण फीस से छूट


प्रदेश में ड्रोन उद्योग लगाने के लिए दो करोड़ और ड्रोन की सर्विस देने वालों को एक करोड़ रुपये तक कैपिटल सब्सिडी मिलेगी। प्रदेश में निवेश करने वालों को स्टांप और पंजीकरण फीस से छूट दी गई है। निवेशकों के लिए चेंज इन लैंड यूज फीस भी माफ की गई है। सरकार ने उद्योग लगाने पर सात वर्षों तक स्टेट जीएसटी भी वापस करने और डीपीआर बनाने का 50 फीसदी खर्च उठाने का फैसला लिया है। सरकार की ओर से राजपत्र में ड्रोन नीति 2022 को अधिसूचित कर दिया गया है।

बीते दिनों मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में प्रदेश की ड्रोन नीति को मंजूरी दी गई थी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर ड्रोन नीति तैयार करने वाला हिमाचल देश का पहला राज्य है।  अधिसूचित हुई ड्रोन नीति 2022 के अनुसार ड्रोन का उद्योग लगाने को लीज पर भूमि लेने वाले निवेशकों को सब्सिडी दी जाएगी। पहले वर्ष में 15 लाख, दूसरे वर्ष 10 लाख और तीसरे से पांचवें वर्ष के लिए 3 लाख की लीज रेंटल सब्सिडी दी जाएगी। इंटरेस्ट सबवेंशन योजना के तहत ड्रोन की सर्विस देने वाले उद्योगों को पांच फीसदी ब्याज दर पर पांच वर्ष के लिए 25 लाख रुपये ऋण दिया जाएगा।



ड्रोन का निर्माण करने वाले उद्योगों को पांच फीसदी ब्याज दर पर पांच वर्ष के लिए 30 लाख ऋण दिया जाएगा। ड्रोन का देश में पेटेंट करवाने पर पांच लाख और विदेश में पेटेंट करवाने पर 10 लाख तक निवेशक को दिए जाएंगे। उद्योगों में ट्रीटमेंट प्लांट, रेन हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाने के लिए तीन लाख दिए जाएंगे। ट्रीटमेंट प्लांट का चार वर्षों के लिए 50 फीसदी बिजली बिल सरकार वहन करेगी। गुणवत्ता का प्रमाणपत्र प्राप्त करने के लिए सरकार अधिकतम सात लाख रुपये देगी।

ड्रोन का प्रचार और प्रसार करने के लिए सरकार की ओर से निवेशकों को अधिकतम पांच लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी। उद्योग लगाने के लिए मशीनों और अन्य उपकरणों को लाने के लिए होने वाले खर्च की प्रतिपूर्ति के लिए निवेशकों को अधिकतम सात लाख रुपये दिए जाएंगे। सरकार की ओर से स्पष्ट किया गया है कि नए स्थापित होने वाले उद्योगों में 80 फीसदी हिमाचली मूल के लोगों को रोजगार अनिवार्य तौर पर देना होगा। ड्रोन नीति 2022 को आगामी पांच वर्षों के लिए लागू किया गया है।

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