राजनीतिक द्वेष का दंश झेल रहा बड़सर विधानसभा क्षेत्र

मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रही क्षेत्र की जनता, आपसी खींचतानी में विकास  को लगा ग्रहण, स्थानीय नेता नहीं बनवा पाए बस अड्डा   
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बड़सर विधानसभा क्षेत्र

हमीरपुर ।  बड़सर विधानसभा क्षेत्र पिछले लम्बे अरसे  से राजनीतिक द्वेष का शिकार हो रहा है। स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली, पानी व बेहतर सडक़ सुविधाओं का स्तर राजनीतिक द्वेष के चलते लगातार गिर रहा है। क्षेत्र की जनता आए दिन  मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रही है, लेकिन सरकार व उसके नुमाईदों कों इस से कुछ लेना देना नहीं।  राजनीतिक हव बन  चुके बड़सर विस क्षेत्र मे स्थानीय नेता अपनी राजनीति चमकाने व खुद को बड़सर का नेता साबित करने मे लगे हुए है। 

बड़सर के नेताओं की इसी खिंचतानी मे बड़सर के विकास पर ग्रहण जैसा लग गया है। ऐसे तो राजनीतिक पार्टियों के बड़सर में दर्जनों नेता है जो चुनावी समय में  खुद को जनता का मसीहा बताते है। लेकिन जब बड़सर के लोगों को मिलने बाली  सुविधाओं की बात आती है, तो  न जाने ये बरसाती नेता कहां जाकर दुपक कर बैठ जाते है। बड़सर विधानसभा क्षेत्र के लोग पिछले दो दशकों से बस अड्डे की मांग कर रहे हैं, लेकिन कोई भी राजनीतिक पार्टी बड़सर में बस अड्डे का निर्माण नहीं करवा पाई है।


बताते चलें कि तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रो प्रेम कुमार धूमल ने 2012 के विधानसभा चुनावों से पहले बड़सर में बस अड्डे के निर्माण का शिलान्यास किया था। लेकिन सता परिवतन होने के साथ साथ बस अड्डे का निर्माण शिलान्यास तक ही सीमित रहा है। हालांकि कांग्रेस सरकार बनने के बाद स्थानीय विधायक इंद्रदत्त लखनपाल ने जरूर इस कार्य कों करवाने के लिए दस्तावेज खंगाले, लेकिन उपरोक्त भूमि न होने के चलते काम इससे आगे नहीं बढ़ पाया।

उस दौरान बड़सर के इन्हीं नेताओं ने कांग्रेस सरकार को बस अड्डे का निर्माण न करने के लिए कोसा, लेकिन 2017 में प्रदेश मे फिर सत्ता परिवतन हुआ और भाजपा की सरकार बनी। लेकिन इस बीच गनीमत यह रही कि विधानसभा चुनाव हारने के कारण प्रो. प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री नहीं बन पाए। धूमल मुख्यमंत्री तो नहीं बने, लेकिन प्रदेश में भाजपा की सरकार होने के बाबजूद भी बड़सर के किसी नेता ने पिछले साढ़े चार सालों में बस अड्डे कों लेकर प्रयास नहीं किए।

वर्तमान समय मे बड़सर से प्रदेश सरकार व पार्टी की अहम कुर्सियों पर कई नेता विराजमान है, लेकिन सरकार होते हुए भी इनमे से कोई भी नेता बड़सर के विकास को लेकर अहम कदम नहीं उठा पाया है। वर्तमान समय में बड़सर मे बस अड्डे का निर्माण समय की मांग ही नहीं, बल्कि बड़सर विधानसभा क्षेत्र के लोगो  की जरूरत है। लेकिन बिडंबना यह रही कि बड़सर के ये लोगो खुद कों नेता साबित करने के चक्कर में आपस में उलझते रहे और बड़सर को मिलने वाली सुविधाओं पर ग्रहण लगाते रहे।


गौर रहे कि बड़सर विधानसभा क्षेत्र में न तो कोई केंद्रीय विद्यालय बन पाया, और न ही बस अड्डे का निर्माण हो पाया, और न ही कोई बड़ी योजना यहां के नेता बड़सर की जनता के लिए यहां ला पाए है। चुनावी समय नजदीक आते ही मैहरे में मिनी सचिवालय के निर्माण की बात ने जरूर जोर पकड़ा है, लेकिन मिनी सचिवालय बन पाता है या फिर बस अड्डे के शिलान्यास की तरह यह भी जनता को सपना दिखाने बाली बात ही साबित होती है, ये आने वाला समय ही बताएगा। फिलहाल वर्तमान समये में राजनीतिक हव कहे जाने वाले विधानसभा क्षेत्र बड़सर की जनता को बड़ी सौगाते मिलना तो दूर की बात, लेकिन मूलभूत सुविधाओं का लाभ भी नहीं मिल पा रहा है।


उधर बड़सर विस क्षेत्र के विधायक इंद्रदत लखनपाल ने बताया कि बस अड्डे का शिलान्यास चुनावी समय में जनता की साहनुभूति प्राप्त करने के किए आनन फानन में किया गया था। चुनाव जीतने के बाद इसके निर्माण के लिए दस्तावेज खंगाले गए, तो यहां पर्याप्त भूमि न होने के चलते दूसरी जगह फिर भूमि का चयन किया गया। लेकिन परिवहन विभाग ने उसे भी रिजेक्ट कर दिया। साढ़े चार साल से प्रदेश में भाजपा की सरकार है, लेकिन भाजपा के किसी नेता ने बस अड्डे के निर्माण को लेकर प्रयास नहीं किए।


उधर कामगार कल्याण बोर्ड प्रदेश अध्यक्ष राकेश शर्मा बवली ने बताया कि बड़सर में बस अड्डे का काम प्रस्तावित है। निर्माण कार्य को करवाने के प्रयास किए गए है, लेकिन बस अड्डे के हिसाब से जमीन अनुकूल और पर्याप्त न होने के चलते काम शुरू नहीं हो पाया है और जगह की तलाश की जा रही है। जैसे ही उपयुक्त जगह का चयन हो जाएगा, तो बस अड्डे का निर्माण करवाया जाएगा।
 

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