हमीरपुर पहुंचा मक्की का 870 क्विंटल बीज

किसानों को दी जाएगी 40 रुपए की सबसिडी; चरी-बाजरे की भी पहुंची 1830 क्विंटल खेप, ब्लॉकों को डिमांड के मुताबिक भेजी जा रही सप्लाई 
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मक्की का बीज

हमीरपुर ।  हमीरपुर जिला में खरीफ मौसम में उगाई जाने वाले बीज की खेप पहुंचा शुरू हो गई है। कृषि विभाग के पास अब तक मक्की का 870 क्विंटल बीज और चारे का 1830 क्विंटल बीज पहुंच गया है। बीज पर सबसिडी निर्धारित कर उसे अब ब्लॉकों को डिमांड के मुताबिक भेजा जा रहा है, ताकि किसानों को बेहतर क्वालिटी के बीज घरद्वार के नजदीक मुहैया करवाए जा सकें। कृषि विभाग हमीरपुर के पास अब तक मक्की का 870 क्विंटल बीज पहुंच गया है।

किसानों को इस बार भी मक्की के सिंगल व डबल क्राप्स बीज पर 40-40 रुपए की सबसिडी मुहैया करवाई जाएगी। किसान सिंगल क्रॉप्स मक्की 60 रुपए किलो और डब्बल क्रॉप्स मक्की 49 रुपए किलो के हिसाब से खरीद सकेंगें। विभाग के पास मक्की का करीब 20 बैरायटी का बीज उपलब्ध है। इसमें व्यास, एचपी 333 गोल्ड, सांभा गोल्ड और व्यासा गोल्ड सहित 16 बैरायटी की मक्की कृषि विभाग के पास मौजूद है। इसके अलावा चारे का 1830 क्विंटल बीज की खेप भी अब तक हमीरपुर पहुंच गई है। चारे बीज पर भी किसानों को सबसिडी मुहैया करवाई जाएगी। कृषि विभाग के पास चरी का 1590 क्विंटल बीज पहुंच गया है।

किसानों को इस बार चरी बीज पर 25 रुपए की सबसिडी मुहैया करवाई जा रही है। किसान चरी का एक किलो बीज 35 रुपए किलो के हिसाब से खरीद सकेंगें। जबकि बाजरे का 240 क्विंटल बीज अब तक जिला भर में पहुंच चुका है। बाजरे के बीज पर इस बार 40 रुपए की सबसिडी मुहैया करवाई जा रही है। किसान बाजरे का एक किलो बीज 52 रुपए किलो के हिसाब से खरीद सकेंगें। कृषि विभाग ब्लॉकों को डिमांड के मुताबिक बीज की खेप भेजने में लगा हुआ है, ताकि किसानों को बेहतर क्वालिटी के बीज घरद्वार के नजदीक मुहैया करवाए जा सकें।

किसान भी चरी-बाजरे बीज का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, ताकि कब उनके सेल सेंटरों या ब्लॉकों में सबसिडी का बीज पहुंचे और वे खरीद सकें। गौरतलब रहे कि कृषि विभाग ने इस बार किसानों की डिमांड पर मक्की का 2000 क्विंटल बीज मंगवाया है। जबकि चारे के रूप में प्रयोग होने वाले चरी का 2900 क्विंटल और बाजरे का 1150 क्विंटल बीज मंगवाया है। जिसे उपलब्ध करवाने में कृषि विभाग दिन-रात जुटा हुआ है, किसानों को समय रहते खरीफ मौसम के बीज मुहैया करवाए जा सकें और उन्हें बाजार से महंगे दामों पर बीज न खरीदना पड़े।

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