GST 2.0 के बाद हिमाचल में सीमेंट के दामों में कटौती, जाने कितने में मिलेगा एक बैग
धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश में उपभोक्ताओं को बड़ी राहत देते हुए सीमेंट कंपनियों ने जीएसटी 2.0 लागू होने के बाद सीमेंट की कीमतों में प्रति बैग 30 से 40 रुपये की कमी की है। जीएसटी की नई दरों का फायदा सीधे तौर पर उपभोक्ताओं को मिल रहा है, जिससे निर्माण कार्यों से जुड़े लोगों और आम जनता में खुशी का माहौल है।
नई कीमतें सोमवार से लागू हो गई हैं और सीमेंट विक्रेताओं ने भी कम दरों पर बिक्री शुरू कर दी है। इस महत्वपूर्ण कदम से प्रदेश में चल रहे कई छोटे-बड़े निर्माण परियोजनाओं को गति मिलेगी और घर बनाने का सपना देख रहे लोगों को भी आर्थिक सहायता मिलेगी।
प्रमुख सीमेंट ब्रांडों की नई कीमतें
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एसीसी गोल्ड: पहले 480 रुपये प्रति बैग बिकने वाला एसीसी गोल्ड अब 440 रुपये में उपलब्ध है, जिससे प्रति बैग 40 रुपये की बचत हो रही है।
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एसीसी सुरक्षा: इस ब्रांड की कीमत 425 रुपये से घटकर 390 रुपये हो गई है, यानी 35 रुपये की कमी।
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बांगड़ सीमेंट: 410 रुपये प्रति बैग वाला बांगड़ सीमेंट अब 380 रुपये में मिल रहा है, जिससे 30 रुपये की बचत होगी।
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अल्ट्राटेक सीमेंट: अल्ट्राटेक के दाम भी 425 रुपये से कम होकर 390 रुपये हो गए हैं, जिससे ग्राहकों को 35 रुपये का लाभ होगा।
हिमाचल के एक सीमेंट विक्रेता पवन बरूर ने अमर उजाला को बताया कि जीएसटी की नई दरें लागू होने के बाद से ही ग्राहकों की तरफ से अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है। उन्होंने कहा, “सोमवार से ही कम कीमतों पर बिक्री शुरू हो गई है। लोगों को अब घर या दुकान बनाने में कम खर्च आएगा।
यह कदम केंद्र सरकार की जीएसटी सुधारों का एक सकारात्मक परिणाम है, जिसका उद्देश्य टैक्स प्रणाली को सरल बनाना और महंगाई को नियंत्रित करना है। सीमेंट की कीमतों में आई यह कमी न केवल उपभोक्ताओं के लिए फायदेमंद है बल्कि यह पूरे निर्माण क्षेत्र को भी नई ऊर्जा देगी। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र में भी निवेश बढ़ सकता है। हिमाचल प्रदेश में पर्यटन के अलावा, निर्माण एक महत्वपूर्ण आर्थिक गतिविधि है, और यह बदलाव निश्चित रूप से इस क्षेत्र को बढ़ावा देगा।
इस फैसले से उन लोगों को विशेष फायदा होगा जो अपने घर का निर्माण कर रहे हैं या मरम्मत करवा रहे हैं, क्योंकि सीमेंट किसी भी निर्माण कार्य का एक आवश्यक हिस्सा होता है। कम कीमत से मजदूरों और छोटे ठेकेदारों को भी काम मिलने की उम्मीद बढ़ गई है।
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