टांडा में नवजात की मौत का मामलाः मां की जान बचाने को किया औजारों का प्रयोग

कांगड़ा/धर्मशाला। डॉ. राजेन्द्र प्रसाद मेडिकल कॉलेज टांडा (टीएमसी) में नवजात की मौत की रिपोर्ट तैयार हो गई है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मां को बचाने के लिए उन्हें औजारों का प्रयोग करना पड़ा है। इसके साथ ही कहा है कि प्रसव के समय वहां तृतीय वर्ष की प्रशिक्षु छात्रा मौजूद थी। वहां प्रोफेसर भी मौजूद थे। उन्होंने स्थिति के मद्देनजर औजार से प्रसव करवाने का फैसला लिया है, ताकि मां को बचाया जा सके।
उल्लेखनीय है कि 13 अगस्त को नवजात की मौत होने पर परिजनों ने डॉक्टरों पर लापरवारी के गंभीर आरोप लगाए थे। इसके साथ ही आरोप लगाया था कि प्रसव के समय सीनियर डॉक्टर भी वहां मौजूद नहीं थे। प्रसव के लिए डॉक्टरों को औजारों का इस्तेमाल करना पड़ा था। इससे नवजात के माथे पर गहरा घाव हो गया। जिसे टांके लगाए गए थे। लगभग एक सप्ताह बाद नवजात की मौत हो गई थी।
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टीएमसी के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. मोहन सिंह ने बताया कि मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई थी। कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट दे दी है। जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 4.30 बजे पर नवजात का गर्भ में दम घुटने लगा था। इसके बाद बाहर निकालते हुए औजारों से बच्चे को जख्म आए। रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर नवजात को औजार से नहीं निकाला जाता तो मां की जान को खतरा था।
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मुख्यमंत्री पोर्टल पर डाली गई रिपोर्ट
चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि प्रसव के समय एक प्रशिक्षु तृतीय वर्ष की छात्रा थी। साथ वहां अन्य सीनियर डॉक्टर और प्रोफेसर भी था। उन्होंने बताया कि रिपोर्ट को मुख्यमंत्री पोर्टल पर डाल दी गई। उन्होंने बताया कि जांच रिपोर्ट में बच्चा विभाग ने बताया कि बच्चे को जब वहां भेजा गया तो उसकी हालत गंभीर थी। डॉ. मोहन का कहना है कि जब औजारों की सहायता के नवजात को बाहर निकाला जाता है तो उसके चोटें आने की संभावनाएं रहती हैं।
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1-10 के बीच मापा जाता है नवजात का स्तर
बाल विभाग ने कहा कि ऐसी स्थिति में नवजात के ग्रोथ के स्तर को 10 भागों में बांटा जाता है। अगर नवजात का ग्रोथ स्तर 7 से 10 के बीच हो तो वह बच जाता है और ठीक भी रहता है। अगर ग्रोथ स्तर 4 से 7 के बीच हो तो उसके दिव्यांग होने की संभावना होती है, जबकि 1-3 के स्तर पर नवजात की संभावनाएं बहुत कम होती हैं। दुराना के नवजात की ग्रोथ स्तर 3 था। ऐसे में उसके बचने की बहुत कम संभावनाएं होती हैं।
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लापरवाही है तो क्या होगी कार्रवाई?
लापरवाही और कार्रवाई के संबंध में डॉ. मोहन सिंह ने कहा कि ऐसे मामलों में हमेशा फेक्ट फाइंड (तथ्य की जांच) किया जाता है। फॉल्ट फाइंड की जांच नहीं होती है। उन्होंने कहा कि नवजात की मौत के मामले में तथ्य की जांच की गई है। इसका उद्देश्य है कि भविष्य में इस तरह की घटना न हो। उन्होंने कहा कि जांच रिपोर्ट मुख्यमंत्री पोर्टल पर अपडेट कर दी गई है। अब प्रदेश स्तरीय टीम मामले की जांच करेगी।
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