हिमाचल उपचुनाव: विक्रमादित्य बोले-रावण ने भी सीता को मजबूर समझा था...

विधायक विक्रमादित्य सिंह ने कहा, 'मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जी कहते हैं कि प्रतिभा सिंह मजबूर प्रत्याशी हैं। उन्हें याद रखना चाहिए कि रावण ने भी सीता को मजबूर समझा था, आगे क्या हुआ था वो इतिहास है।
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Vikramaditya Singh

धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश में जैसे-जैसे उपचुनाव के लिए मतदान का वक्त नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे प्रदेश की सियासत में बयानबाजी भी तेज होने लगी है। नेता एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी प्रतिभा सिंह को बार-बार मजबूर प्रत्याशी बताने वाली टिप्पणी मुख्यमंत्री समेत भाजपा के तमाम नेता कर रहे हैं। इस मुख्यमंत्री समेत भाजपा की तमाम टिप्पणियों पर विक्रमादित्य सिंह ने पटलवार किया है। मंगलवार तड़के विक्रमादित्य सिंह ने सोशल मीडिया पर पोस्ट शेयर की है। 

प्रतिभा सिंह के बेटे और कांग्रेस के विधायक विक्रमादित्य सिंह ने कहा, 'मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर जी कहते हैं कि प्रतिभा सिंह मजबूर प्रत्याशी हैं। उन्हें याद रखना चाहिए कि रावण ने भी सीता को मजबूर समझा था, आगे क्या हुआ था वो इतिहास है।' साथ ही कांग्रेस विधायक विक्रमादित्य सिंह ने सरकार को घेरते हुए कहा कि महंगाई और बेरोजगारी का हिसाब जनता इस बारी सरकार से लेने वाली है। डबल इंजन की सरकार हांफ चुकी है। इस दिशाहीन और निकम्मी सरकार का पतन होना तय है।

दरअसल, कई बार चुनाव प्रचार के दौरान प्रतिभा सिंह ने कहा था कि महंगाई और प्रदेश के बदतर हालात के चलते उन्हें चुनाव लड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा। वह चुनाव नहीं लड़ना चाहती थी। इसके बाद मुख्यमंत्री समेत भाजपा नेताओं ने प्रचार में प्रतिभा सिंह को मजबूरी में चुनाव लड़ने का मुद्दा बनाकर हमले बोल रहे हैं। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी कई मंचों पर यह बात दोहराई कि हमें मजबूर नहीं मजबूत सांसद चाहिए। अब भाजपा नेताओं की टिप्पणियों पर कांग्रेसी नेता भी लगातार जवाबी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। 

गौरतलब है कि प्रतिभा सिंह मंडी सीट से दो बार सांसद रह चुकी हैं। हालांकि, दोबारा उन्हें हार का सामना भी करना पड़ा है। प्रतिभा सिंह मंडी लोकसभा सीट से पांचवीं बार मैदान में हैं। प्रतिभा सिंह वीरभद्र सिंह के बिना पहली बार चुनावी अखाड़े में उतरी हैं। उन्होंने कई मंचों पर यह बात दोहराई है कि राजा साहब आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके विचार, आदर्श और आशीर्वाद से वह जनता के बीच जा रही हैं। वह चुनाव नहीं लड़ना चाहती थीं, लेकिन समर्थकों की मांग और भाजपा सरकार की तानाशाही के खिलाफ मजबूरी में चुनाव लड़ रही हैं।  

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