लॉकडाउन के बीच बागवानी की 135 सेवाएं ऑनलाइन, ई-उद्यान पोर्टल लांच
शिमला। हिमाचल प्रदेश के लाखों बागवानों को अब सरकार की योजनाओं का घर बैठे लाभ मिलेगा। कोरोना लॉकडाउन में बागवानी विभाग ने अपनी 135 सेवाओं को ऑनलाइन कर दिया है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने वीरवार को ई-उद्यान पोर्टल को लांच किया। इसके ऐप को प्ले-स्टोर से मोबाइल पर डाउनलोड करके बागवानों को अब कार्यालयों के चक्कर से मुक्त हो जाएंगे। लोक सेवा गारंटी अधिनयम के तहत ऑनलाइन मंजूरी प्रदान की जाएगी।
प्रदेश में पहली बार इस तरह की सुविधा को शुरू किया गया है। इस पोर्टल के माध्यम से मंडियों के भाव भी घर बैठे पता चल जाएंगे। बागवान अपने उत्पादों के बेहतर दाम प्राप्त कर सकेंगे। इसे तैयार करने में दो वर्ष का समय लगा और विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित प्रदेश बागवानी विकास परियोजना के तहत इसे तैयार किया गया है।
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि इस पोर्टल के माध्यम से उद्यान विभाग की विभिन्न सेवाओं के लिए मैनेजमेंट इन्फार्मेशन सिस्टम तैयार किया गया है। यह पोर्टल उद्यान विभाग के अधिकारियों के लिए भी ऑनलाइन प्रोसेसिंग की सुविधा प्रदान करेगा। इससे बागवानों को समय पर सेवाएं प्रदान करने में सुविधा होगी। सभी सुविधाओं के लिए सिंगल विंडो का कार्य करेगा। इससे किसान सभी सुविधाओं का लाभ घर बैठे ही उठा सकेंगे।
कोरोना के कारण बंद हो रही है आजादपुर मंड़ी
दिल्ली की आजादपुर मंडी में कोरोना के अधिक मामले सामने आने के कारण इस मंडी के बार बार बंद होने से उत्पन्न स्थिति से बचने के लिए प्रदेश के बागवानों को उनके उत्पादों को बेचने के लिए वैकल्पिक मंडी स्थापित करने का मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से आग्रह किया है। बागवानी मंत्री महेन्द्र सिंह ठाकुर, मुख्य सचेतक नरेन्द्र बरागटा, मुख्य सचिव अनिल खाची, अतिरिक्त मुख्य सचिव आरडी धीमान, सचिव बागवानी अमिताभ अवस्थी, परियोजना निदेशक देबाश्वेता बनिक, निदेशक बागवानी मदनमोहन शर्मा भी उपस्थित थे।
पोर्टल पर इन सेवाओं का लाभ उठा सकेंगे
फलों की नर्सरी का रजिस्ट्रेशन, पौधों की मांग, बागवानी से संबंधित औजार इत्यादि की मांग, कीटनाशकों की खरीद, खुम्ब के लिए कम्पोस्ट की मांग, मधुमक्खी छत्तों की मांग, हेलिंग नेट, बांस व स्टील के झांबे व रॉड आदि सहित अन्य सब्सिडी के लिए घर बैठे आवेदन कर सकेंगे। पंजीकरण करवाने के बाद जिस सेवा के लिए आवेदन करेंगे वह संबंधित अधिकारी के पास पहुंचेगी और वह उसे ऑनलाइन मंजूरी दे सकेंगे। यह हिमभूमि एप से भी लिंक है और भूमि के दस्तावेज वहीं से अपलोड हो सकेंगे।
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