Election Result : हिमाचल विस चुनाव में 21 सीटों पर खडे़ हुए भाजपा के बागी, 14 पर पहुंचाया नुकसान

हिमाचल प्रदेश में भाजपा की हार के लिए बागी भी जिम्मेवार रहे। नए लोगों को टिकट देना और 11 विधायकों के टिकट काटने से भी भाजपा से 21 सीटों पर बागी खड़े हो गए। इनमें 14 सीटों पर बागियों ने भाजपा को नुकसान पहुंचाया। भाजपा तमाम कोशिशों के बावजूद इन्हें बैठाने में नाकाम रही।
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शिमला ।  हिमाचल प्रदेश में भाजपा की हार के लिए बागी भी जिम्मेवार रहे। नए लोगों को टिकट देना और 11 विधायकों के टिकट काटने से भी भाजपा से 21 सीटों पर बागी खड़े हो गए। इनमें 14 सीटों पर बागियों ने भाजपा को नुकसान पहुंचाया। भाजपा तमाम कोशिशों के बावजूद इन्हें बैठाने में नाकाम रही। खुद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा भी मान-मनौव्वल करते रहे। कई हलकों में भाजपा ने इन्हें हल्के में लिया। नतीजतन सरकार के आठ मंत्री चुनाव हार गए। हालांकि, भाजपा से बगावत करने वाले तीन बागी नालागढ़, देहरा और हमीरपुर में चुनाव भी जीत गए। कुछ सीटों पर कांग्रेस के बागियों ने भी उन्हें नुकसान पहुंचाया।

आनी में कांग्रेस से बागी होकर पिछली बार के प्रत्याशी परस राम ने चुनाव लड़ा। यहां से भाजपा प्रत्याशी लोकेंद्र कुमार ने चुनाव जीता। हालांकि, यहां से सिटिंग विधायक किशोरी लाल ने भी बागी होकर चुनाव लड़ा था, पर यहां मुकाबला लोकेंद्र कुमार और परसराम के बीच ही हुआ। देहरा में भाजपा से बागी होकर विधायक होशियार सिंह ने चुनाव लड़ा और भाजपा विधायक रमेश धवाला यहां से चुनाव हार गए। होशियार सिंह निर्दलीय चुनाव जीत गए।

 

 

 

 

 

 

नालागढ़ से पूर्व विधायक केएल ठाकुर ने भाजपा से बगावत कर चुनाव लड़ा। यहां केएल ठाकुर ने कांग्रेस प्रत्याशी हरदीप बावा को कड़ी टक्कर देते हुए चुनाव जीत लिया। भाजपा प्रत्याशी लखविंद्र राणा यहां तीसरे स्थान पर रहे। इंदौरा से पूर्व विधायक मनोहर धीमान ने भाजपा के खिलाफ बगावत की तो यहां से कांग्रेस प्रत्याशी मलेंद्र राजन ने भाजपा की सिटिंग विधायक रीता धीमान को हराया। किन्नौर से पूर्व भाजपा विधायक तेजवंत नेगी ने टिकट कटने पर निर्दलीय चुनाव लड़ा तो यहां भी कांग्रेस विधायक जगत सिंह नेगी ने भाजपा प्रत्याशी सूरत नेगी को कड़ी शिकस्त दी। 


फतेहपुर में तो पूर्व सांसद कृपाल परमार को खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का फोन आने की भी चर्चा रही, जिसका एक कथित वीडियो भी वायरल हुआ। फतेहपुर में पूर्व सांसद कृपाल परमार ने मंत्री राकेश पठानिया के खिलाफ बगावत की तो यहां भी सिटिंग विधायक भवानी पठानिया की फिर जीत हुई। कुल्लू से पूर्व प्रत्याशी राम सिंह ने यहां भाजपा प्रत्याशी नरोत्तम सिंह के खिलाफ बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा। यहां पर पूर्व सांसद महेश्वर सिंह का टिकट कट गया था।
 
हालांकि, महेश्वर सिंह को बैठा दिया था, पर यहां भी भाजपा हार गई और कांग्रेस से सुंदर सिंह ठाकुर फिर से विधायक बने। हमीरपुर मेें बागी आशीष शर्मा ने भाजपा प्रत्याशी विधायक नरेंद्र ठाकुर को हरा दिया। धर्मशाला से विपिन नैहरिया, अनिल चौधरी, मनाली से महेंद्र ठाकुर, बड़सर से संजीव शर्मा, भोरंज से पवन कुमार, रोहडू़ से राजेंद्र धीरटा और चंबा से इंदिरा कपूर ने भाजपा के खिलाफ बगावत की और यहां पर भाजपा प्रत्याशी चुनाव हार गए। उधर, सुलह में कांग्रेस से बगावत कर पूर्व विधायक जगजीवन पाल निर्दलीय खडे़ हुए तो यहां इसका लाभ भाजपा को मिला और विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार चुनाव जीत गए। 

 

 

 

 

विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के गृह जिले में भाजपा क्लीन स्वीप नहीं कर पाई। हालांकि, चार में से तीन सीटें जीतने के बाद नड्डा की प्रतिष्ठा बच गई। घुमारवीं से भाजपा सरकार के मंत्री रहे राजेंद्र गर्ग को हार का सामना करना पड़ा। वहीं, नड्डा और सीएम जयराम की सहमति के बाद उतारे गए बिलासपुर सदर के त्रिलोक जम्वाल भी विजयी हुए। हालांकि, कांटे की टक्कर में जेपी नड्डा की अपनी सीट से जम्वाल ने मात्र 276 वोट से जीत का स्वाद चखा। 

श्री नयना देवी जी से भी भाजपा ने 171 वोट से जीत तो दर्ज की लेकिन रणधीर शर्मा बड़ा आंकड़ा नहीं छू पाए। भाजपा को एकमात्र झंडूता सीट से पांच हजार से ज्यादा मार्जिन से जीत मिली है। चुनावों की घोषणा होने से पहले पीएम मोदी जब एम्स के लोकार्पण के लिए बिलासपुर आए थे तो उन्होंने कहा था कि प्रदेश की जनता समझदार है और वो विकास को चुनेगी। विकास तभी होगा जब डबल इंजन की सरकार होगी। उन्होंने बिलासपुर में हुए विकास कार्यों का सीधा श्रेय भी नड्डा को दिया था। भाजपा ने पूरा विस चुनाव विकास कार्यों पर ही लड़ा। 


वहीं, घुमारवीं में भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बतौर स्टार प्रचारक गर्ग का प्रचार किया। जेपी नड्डा खुद चुनाव प्रचार के दौरान करीब 9 दिन तक जिले में रहे। जगह-जगह हर विस क्षेत्र में चुनावी जनसभाएं की। लेकिन इसके बावजूद सदर, नयना देवी जी में भाजपा नेताओं को बहुत कम मार्जिन से जीत हासिल कर संतुष्ट होना पड़ा। नड्डा के पुत्र हरीश नड्डा पिछले डेढ़ साल से लगातार राजनीति में सक्रिय हैं। इन चुनावों में वो खुद मैदान में डटे रहे। कयास लगाए जा रहे थे कि हरीश 2027 का विस चुनाव लड़ेंगे। लेकिन इन परिणामों के बाद अब उनका बिलासपुर की किसी भी सीट से चुनाव लड़ना सुरक्षित नहीं समझा जाएगा।

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