Nerchowk Medical College : मीर बख्श की जमीन पर बना है मेडिकल कॉलेज, मांगा 10 अरब रुपये

हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार की समस्याएं कम होती नजर नहीं आ रही हैं। जहां पहले से ही सुक्खू सरकार कर्ज तले डूबी हुई है। वहीं, अब प्रदेश सरकार को एक और झटका लगा है।
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हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार की समस्याएं कम होती नजर नहीं आ रही हैं। जहां पहले से ही सुक्खू सरकार कर्ज तले डूबी हुई है। वहीं, अब प्रदेश सरकार को एक और झटका लगा है। मंडी जिला के श्री लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल नेरचौक की भूमि के असली मालिक ने जमीन के बदले 10 अरब से ज्यादा मुआवजे की मांग की है। GMC Nerchowk land dispute Compensation demand Supreme Court decision Property ownership High Court petition Land valuation Land acquisition Legal challenge Historical land ownership Property rights Land auction Land use controversy Land value assessment Government property allocation Legal precedent Land ownership history Land transfer proposal Legal representation Judicial review

मंडी। हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार की समस्याएं कम होती नजर नहीं आ रही हैं। जहां पहले से ही सुक्खू सरकार कर्ज तले डूबी हुई है। वहीं, अब प्रदेश सरकार को एक और झटका लगा है। मंडी जिला के श्री लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल नेरचौक की भूमि के असली मालिक ने जमीन के बदले 10 अरब से ज्यादा मुआवजे की मांग की है।

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दरअसल, श्री लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (Nerchowk Medical College) 92 बीघा जमीन पर बना है। यह जमीन सरकारी नहीं बल्कि निजी है। इस बात का खुलासा तब हुआ जब जमीन के असली मालिक मीर बख्श ने सुप्रीम कोर्ट में जमीन (Nerchowk Medical College land dispute) का केस जीता। मीर बख्श नेरचौक का रहने वाला है। मीर बख्श मेडिकल कॉलेज वाली जमीन को अपने पूर्वजों की बताता है।

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब मीर बख्श ने जमीन के बदले मुआवजा अदा करने के लिए बीती 12 जुलाई को हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। मीर बख्श ने 92 बीघा जमीन पर बने श्री लाल बहादुर शास्त्री मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के बदले में 10 अरब 61 करोड़ 57 लाख 11 हजार 431 रुपये मुआवजे की मांग की है।

 

 

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प्रदेश सरकार ने सोचा की मीर बख्श के पूर्वज सुलतान मोहम्मद विभाजन (Historical land ownership) के दौरान पाकिस्तान चले गए और जमीन पर कब्जा करके इसे अपने कुछ विभागों में बांट दिया। जबकि, सुलतान मोहम्मद की मौत साल 1983 में हिमाचल में ही हुई थी। ऐसे में इन्हें विस्थापित नहीं माना जा सकता है। इन्हीं सभी दस्तावेजों और पुराने रिकॉर्ड्स के आधार पर मीर बख्शी ने जमीन का केस जीता है।

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मीर बख्श की इस जमीन पर मेडिकल कॉलेज, SDM कार्यालय और कुछ अन्य विभागों के कार्यालय बनाए गए हैं। ऐसे में हजारों करोड़ की लागत से बने इन भवनों को हटाकर जमीन खाली करवाना संभव नहीं है। इसी के चलते प्रदेश सरकार ने हाईकोर्ट ने मीर बख्श को जमीन के बदले जमीन देने का आदेश दिया है। उधर, प्रदेश सरकार के आदेशों पर मंडी जिला प्रशासन जमीन की तलाश कर रहा है, लेकिन कहीं पर भी इतनी जमीन नहीं मिल रही है। ऐसे में जो जमीन प्रशासन मीर बख्श को दिखा रहा है, वह मीर बख्श को यह मंजूर नहीं है।

इसी के चलते अब मीर बख्श ने एक बार फिर हाईकोर्ट में याचिका दायर करके मुआवजे की मांग की है। मीर बख्श से दस अरब से भी ज्यादा मुआवजा मांगा है। मीर बख्श का कहना कि वर्तमान में इस जमीन की कीमत 15 लाख रुपये प्रति बिस्वां है। ऐसे में 92 बीघा जमीन के बदले उसके अरबों रुपये बन रहे हैं।

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