नाबार्ड ने मंडी जिले के लिए 3681.62 करोड़ रुपये के ऋण क्षमता का आकलन तैयार किया : जतिन लाल

जतिन लाल ने राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा तैयार साल 2023-24 के लिए संभावित लिंक्ड क्रेडिट प्लान (पी.एल.पी.) लॉन्च किया।   उन्होंने  बताया कि पी.एल.पी. जिले के प्राथमिकता वाले क्षेत्र के लिए आवश्यक क्रेडिट को पूरा करेगा।
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मंडी ।  अतिरिक्त उपायुक्त मंडी जतिन लाल ने बताया कि राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के माध्यम से मंडी जिले में साल 2023-24 के लिए प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र में करीब 3681.62 करोड़ रुपये के ऋण क्षमता का आकलन किया गया है। इनमें कृषि में 1956.46 करोड़ रुपये, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एम.एस.एम.ई.) में 1031.25 करोड़ रुपये तथा अन्य प्राथमिकता क्षेत्र में 693.91 करोड़ रुपये की ऋण क्षमता आंकी गई है।


जतिन लाल ने राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) द्वारा तैयार साल 2023-24 के लिए संभावित लिंक्ड क्रेडिट प्लान (पी.एल.पी.) लॉन्च किया। उन्होंने  बताया कि पी.एल.पी. जिले के प्राथमिकता वाले क्षेत्र के लिए आवश्यक क्रेडिट को पूरा करेगा।  एडीसी ने सभी बैंकों व विभाग प्रमुखों से सरकार की स्कीमों का लाभ जन-जन तक पहुंचाने के लिए व्यापक प्रचार-प्रसार करने को कहा है। जतिन लाल ने जिला के बैंक प्रमुखों से बैंकिंग सेवाओं का लाभ समाज के हरेक जरूरतमंद व्यक्ति तक पहुंचाने की व्यवस्था तय बनाने की अपील की है, ताकि गरीब व जरूरतमंद व्यक्ति को सरकार की स्कीमों का लाभ मिल सके।


जिला विकास प्रबंधक, नाबार्ड राकेश वर्मा ने बताया कि साल 2023-24 के लिए मंडी जिले में प्राथमिकता क्षेत्र में ऋण क्षमता करीब 3681.62 करोड़ रुपये आंकी गई है, जिसमें पिछले अनुमानों के मुकाबले 5 फीसदी इजाफा हुआ है। उन्होंने बताया कि बैंकिंग क्षेत्र में मंडी जिले में लीड बैंक द्वारा आगामी वित्त वर्ष के लिए तैयार होने वाले आंकड़े जिला क्रेडिट योजना का आधार बनेंगे। उन्होंने बताया कि प्रमुख क्षेत्र जैसे कृषि, एम.एस.एम.ई. (माइक्रो, स्माल एंड मीडियम एंटरप्राइजेज), अन्य प्राथमिकता क्षेत्र में कुल क्रेडिट क्षमता का क्रमशः 53.14, 28.01, 18.85 फीसदी आकलन किया गया है।

 उन्होंने  बताया कि ये अनुमान प्राथमिकता क्षेत्र के दिशा-निर्देशों, जिले की विकास योजना में पहल, जमीनी स्तर पर संस्थागत ऋण प्रवाह में रुझान, विविध निवेश गतिविधियों की इकाई लागत में संशोधन, वित्त के पैमाने, भारत व राज्य सरकार की प्राथमिकताओं और अन्य प्रासंगिक कारकों को ध्यान में रखते हुए तैयार किए गए हैं।

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