सीमेंट के दामों में वृद्धि जनता के विरुद्ध एक षड्यंत्र : प्रवीण शर्मा

मंडी विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे प्रवीण कुमार शर्मा ने कहा कि प्रदेश में सीमेंट के दाम बढ़ाए जाना राजनेताओं, नौकरशाहों और सीमेंट कंपनियों की आपसी मिलीभगत के चलते जनता को लूटने का षड्यंत्र है।
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मंडी ।  सीमेंट कंपनियों द्वारा प्रदेश मे सीमेंट की कीमतों मे बढ़ोतरी को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए पूर्व भाजपा मीडिया प्रभारी और मंडी विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे प्रत्याशी प्रवीण कुमार शर्मा ने कहा कि प्रदेश में सीमेंट के दाम बढ़ाए जाना राजनेताओं, नौकरशाहों और सीमेंट कंपनियों के मालिकों की आपसी मिलीभगत के चलते प्रदेश की जनता को लूटने का षड्यंत्र है।

सीमेंट के दामों में वृद्धि की टाइमिंग को देख कर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सीमेंट कंपनियां अपने चुनावी चंदे को जनता से लूट कर पूरा करने करने का प्रयास कर रही है। प्रवीण कुमार शर्मा ने कहा कि पंजाब और हरियाणा मे सीमेंट की कीमत प्रति बैग 370 से 380 रुपये के बीच है। जबकि हिमाचल में सीमेंट का उत्पादन होने के बावजूद सीमेंट प्रति बैग 470 रुपये में उपलब्ध है।

प्रदेश में उत्पादित होने के बावजूद पड़ोसी राज्यों की तुलना में  सीमेंट 100 रुपये  से अधिक महंगा मिलना आश्चर्यजनक है। आम आदमी के लिए यह गणित समझ से परे है। खासकर तब जब उन प्रदेशों में  सीमेंट हमारे यहां से जाता है। सीमेंट कंपनियों की वजह से प्रदेश को दोहरा नुकसान झेलना पड़ रहा है।

पहला अंधाधुंध खनन और फैक्ट्रियों  से निकलते  धुएं की वजह से  प्रदेश को प्रदूषण की मार झेलनी पड़ रही है। दूसरा  सीमेंट कंपनियों को सब्सिडी में बिजली दी जा रही है। तीसरा पड़ोसी राज्यों की तुलना में हमारे यहां दामों मे 100 रुपये के अंतर के कारण  सीमाई क्षेत्रों में सीमेंट का अवैध व्यापार शुरू हो चुका है। जिसके चलते प्रदेश के राजस्व को भारी चुना लग रहा है। 

प्रवीण कुमार शर्मा ने कांग्रेस और भाजपा दोनों को कटघरे में खड़ा करते हुए कहा कि दोनों दलों ने विपक्ष में रहने के दौरान सीमेंट के दामों को लेकर राजनीति तो की पर सत्ता में आते ही हमेशा सीमेंट कंपनियों के हाथों कठपुतलियों की तरह नाचते रहे। जिसका खामियाजा सीधे सीधे जनता को भुगतना पड़ा है।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में सीमेंट के दाम बढ़ने के सिर्फ दो ही कारण है या तो सीमेंट की कंपनियों को राजनैतिक संरक्षण मिल रहा है या फिर नेतृत्व इतना कमजोर हो चुका है कि सीमेंट कंपनियों की तानाशाही के आगे ये बेबस हो चुके हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है कि वह तुरंत इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए सीमेंट कंपनियों पर दबाव बना कर इस वृद्धि को रोककर जनता को लूट से बचाए। 

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