सिर्फ फॉरेंसिक रिपोर्ट पर नहीं दी जा सकती है आरोपी को सजा: हाईकोर्ट

शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट के न्यायाधीश संदीप शर्मा ने एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए अपने निर्णय में कहा कि सिर्फ और सिर्फ फोरेंसिक रिपोर्ट (Forensic Report) के आधार पर ही सजा नहीं दी जा सकती वो भी तब जब अभियोजन पक्ष के पास कोई और पुख्ता सबूत न हो। हिमाचल हाईकोर्ट ने कहा कि फोरेंसिक साक्ष्य
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सिर्फ फॉरेंसिक रिपोर्ट पर नहीं दी जा सकती है आरोपी को सजा: हाईकोर्ट

शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट के न्यायाधीश संदीप शर्मा ने एक महत्वपूर्ण फैसला देते हुए अपने निर्णय में कहा कि सिर्फ और सिर्फ फोरेंसिक रिपोर्ट (Forensic Report) के आधार पर ही सजा नहीं दी जा सकती वो भी तब जब अभियोजन पक्ष के पास कोई और पुख्ता सबूत न हो। हिमाचल हाईकोर्ट ने कहा कि फोरेंसिक साक्ष्य सिर्फ गवाहों (Witnesses) द्वारा दी गई गवाही की सचाई जताने के लिए प्रयोग किए जाते हैं। पोक्सो अधिनियम के तहत निचली अदालत द्वारा सात वर्ष के सजायाफ्ता कांगड़ा निवासी संजीव कुमार की सजा को निरस्त करते हुए न्यायाधीश संदीप शर्मा ने उक्त व्यवस्था दी।

 

मामले के अनुसार संजीव कुमार के खिलाफ पुलिस ने भारतीय दंड संहिता कि धारा 342, 376, 120बी और पोक्सो अधिनियम की धारा 4 तथा 17 के तहत मामला दर्ज किया था। अभियोजन पक्ष द्वारा संजीव कुमार के खिलाफ अभियोग साबित करने के लिए निचली अदालत के समक्ष मामला चलाया गया। अभियोजन पक्ष ने संजीव कुमार के खिलाफ अभियोग साबित करने के लिए कुल 26 गवाहों के बयान दर्ज किए। गवाहों के बयान और फोरेंसिक रिपोर्ट (Forensic Report) के आधार पर निचली अदालत ने संजीव कुमार को सात वर्ष का कठोर कारावास और 50 हजार जुर्माने कि सजा सुनाई।

 

दोषी ने निचली अदालत के इस निर्णय को अपील के माध्यम से हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) के समक्ष चुनौती दी। हाईकोर्ट ने मामले से जुड़े तमाम रिकॉर्ड का अवलोकन करने के पश्चात पाया कि अभियोजन पक्ष संजीव कुमार के खिलाफ अभियोग साबित करने में सफल नहीं रहा है। अदालत ने पाया कि अभियोजन पक्ष को मजबूत करने वाले गवाहों ने अभियोजन पक्ष में गवाही नहीं दी है।

 

 

अदालत ने अफसोस जताया कि जब अभियोजन पक्ष के गवाह दोषी के खिलाफ गवाही नहीं दे रहे हैं तो उस स्थिति में निचली अदालत द्वारा फोरेंसिक रिपोर्ट के आधार पर ही दोषी को सजा देना उचित नहीं है। अदालत ने पाया कि पीड़िता ने भी दोषी द्वारा उसके साथ की गई वारदात की शिनाख्त नहीं की। न्यायाधीश संदीप शर्मा ने मामले से जुड़े सभी साक्ष्यो और गवाहों के बयानात का अवलोकन करने के पश्चात् निचली अदालत द्वारा सुनाये गए निर्णय को खारिज कर दिया।

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