Video: अखाड़े में कुश्ती कर दिव्यांगता को रौंद रहे जम्मू-कश्मीर के राकेश कुमार

12वीं तक पढ़े राकेश कुमार ने कहा कि तीन साल की उमर में पोलियो बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया, जिसका इलाज करवाने पर भी टांग पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाई। 

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इरादे बुलंद हों तो कोई भी काम कठिन नहीं रहता। चाहे तो पहाड़, चढ़ना हो या किसी से लड़ना। बस जज्बा होने चाहिए कुछ अलग कर दिखाने का। ऐसा ही कुछ कर रहे हैं जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिला के रहने वाले दिव्यांग पहलवान राकेश कुमार। राकेश कुमार ने आज लोगों के दिलों में इस तरह से जगह बनाई ली है कि अब वह अपने आप को उपेक्षित महसूस नहीं करता। शाहपुर के भनाला में हुए दंगल में हर कोई दंग रह गया।

शाहपुर। इरादे बुलंद हों तो कोई भी काम कठिन नहीं रहता। चाहे तो पहाड़, चढ़ना हो या किसी से लड़ना। बस जज्बा होने चाहिए कुछ अलग कर दिखाने का। ऐसा ही कुछ कर रहे हैं जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिला के रहने वाले दिव्यांग पहलवान राकेश कुमार। राकेश कुमार ने आज लोगों के दिलों में इस तरह से जगह बनाई ली है कि अब वह अपने आप को उपेक्षित महसूस नहीं करता। शाहपुर के भनाला में हुए दंगल में हर कोई दंग रह गया।


दरअसल सोमवार को शाहपुर के भनाला गांव में कुश्ती प्रतियोगिता हुई। इसमें पंजाब, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश और हिमाचल के नामी पहलवान पहुंचे थे। इस दौरान जम्मू के कठुआ जिला के हीरानगर उपमंडल के दिव्यांग पहलवान राजेश कुमार भी यहां आए हुए थे। कुश्ती के दौरान तरह-तरह के करतब दिखाकर दर्शकों को हैरत में डाल दिया। उनके अचंभित करतब से खुश होकर दर्शकों ने उन्हें अपनी श्रद्धा अनुसार इनाम भी ईमान भी दिया।


बातचीत में दिव्यांग राकेश कुमार ने बताया कि वह करीब 25 वर्षों के दंगलों में हिस्सा ले रहे हैं। देश के कई स्थानों पर दंगल प्रतियोगिता में भी हिस्सा ले चुके हैं। 12वीं तक पढ़े राकेश ने कहा कि तीन साल की उमर में पोलियो बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया था। इसकी वजह से उनकी एक टांग पूर्ण रूप से विकसित नहीं हो पाई। इलाज करवाने के बावजूद उसकी सेहत में कोई सुधार नहीं हुआ, लेकिन परिवार का पूरा सहयोग मिला। 


राकेश बताते हैं पढ़ाई के बाद हर सरकारी विभाग में योग्यता के आधार पर नौकरी के लिए आवेदन किया, लेकिन पचास प्रतिशत अंक होने के बावजूद भी सरकारी नौकरी नहीं मिली। उनके दोस्त ने उन्हें नौकरी न मिलने पर पहलवानी के गुर सिखाए। 20 वर्ष की आयु में दोस्त की सड़क हादसे में मौत होने के बाद वह अपने दोस्त की याद में कुश्तियां लड़ता आ रहा है। उन्होंने दावा किया कि वह उल्टा होकर मुंह से 60 किलो तक वजन उठा लेते हैं। 

राकेश ने कहा किसी भी विकलांग को अपने आपको उपेक्षित नहीं समझना चाहिए। अगर सरकार की तरफ से अपाहिजों को कोई मदद नहीं मिलती है तो वह अपने हौसले बुलंद रखें और कोई न कोई छोटा-मोटा काम करते रहें। दिव्यांग युवकों को अपनी सलाह देते हुए कहा कि वह अपनी पढ़ाई जारी रखें। पौनी में हुए दंगल में स्थानीय दंगल कमेटी व कुश्ती देख रहे लोगों ने राकेश के मुकाबला जीतने पर करीब पांच हजार रुपये मदद देकर सम्मानित किया।

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