मां-भाई संक्रमित, फिर भी कोरोना ड्यूटी दे रही हैं सुनारा की डॉ. चन्द्रेश

सात दिन पहले मां और भाई कोरोना संक्रमित निकले। पूरा परिवार घर में आइसोलेट है। मगर महिला चिकित्सक कोरोना के खिलाफ जंग में डटी हुई हैं। यह महिला चिकित्सक हैं डॉ. चन्द्रेश ठाकुर। डॉ. चन्द्रेश ठाकुर मैहला ब्लॉक की सुनारा पंचायत की रहने वाली हैं। पिछले कई दिनों से कोविड चेकपोस्ट दुर्गेठी में कोरोना ड्यूटी
 | 
मां-भाई संक्रमित, फिर भी कोरोना ड्यूटी दे रही हैं सुनारा की डॉ. चन्द्रेश

सात दिन पहले मां और भाई कोरोना संक्रमित निकले। पूरा परिवार घर में आइसोलेट है। मगर महिला चिकित्सक कोरोना के खिलाफ जंग में डटी हुई हैं। यह महिला चिकित्सक हैं डॉ. चन्द्रेश ठाकुर। डॉ. चन्द्रेश ठाकुर मैहला ब्लॉक की सुनारा पंचायत की रहने वाली हैं। पिछले कई दिनों से कोविड चेकपोस्ट दुर्गेठी में कोरोना ड्यूटी कर रही हैं। बारिश और धूप में लगातार पीपीई किट पहने डॉ. चन्द्रेश भरमौर जाने वाले लोगों के कोरोना सैंपल ले रही हैं।

 

डॉ. चन्द्रेश के भाई कुछ दिन पहले कोरोना संक्रमित पाए गए थे। इसके बाद एहतियात के तौर पर परिवार के अन्य सदस्यों के कोरोना सैंपल लिए गए थे। इनमें डॉ. चन्द्रेश की माता भी कोरोना संक्रमित निकलीं। मां और भाई के कोरोना संक्रमित होने के बाद भी डॉ. चन्द्रेश घर नहीं जा पा रही हैं। ड्यूटी से छुट्टी होने के बाद रोजाना फोन पर ही मां और भाई का हालचाल जान रहीं हैं। वहीं उन्हें साकारात्मक विचार रखने के लिए भी प्रेरित कर रही हैं।

 

यह भी पढ़ेंः-भरमौर में रिकॉर्ड समय में पुल तैयार, जनता को किया समर्पित

रियलिटी न्यूज से बातचीत करते हुए चंद्रेश ठाकुर ने कहा कि परिवार मां और भाई कोरोना संक्रमित हैं। मैं नियमित ड्यूटी से फ्री होने के बाद फोन कर उनका हालचाल जानती हूं। चंद्रेश ठाकुर कोविड की दूसरी लहर के दौरान अपने घर तक नहीं गई हैं। उन्होंने बताया कि परिवार को अभी यह नहीं बताया है कि उनकी ड्यूटी कोरोना सैंपल लेने के लिए चैकपोस्ट पर लगी हुई है। उन्होंने कहा कि लोगों को कोरोना की रोकथाम के लिए आगे आना चाहिए।

 

रोजाना ले रही हैं 50 लोगों के सैंपल

डॉ. चंद्रेश के अनुसार चैकपोस्ट पर मुसाफिरों का कोरोना टेस्ट करना आसान काम नहीं हैं। लोग अपनी मर्जी से टेस्ट करवाने के लिए कभी राजी नहीं होते हैं। कुछ लोग तो लड़ने पड़ जाते हैं। ऐसे में उन्हें प्यार से समझा बुझाकर टेस्ट करवाने के लिए तैयार करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि रोजाना भरमौर 70 से 80 लोग आ रहे हैं। इनमें से दैनिक तौर पर 50 से 60 लोगों के कोरोना सैंपल लिए जा रहे हैं।

डॉ. चंद्रेश को इस बात का है मलाल

डॉ. चंद्रेश के अनुसार नेशनल हेल्थ मिशन के अंतर्गत कार्य करने वाले फ्रंट लाइन वर्करों को सरका इंसेंटिव नहीं दे रही है। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के कर्मचारियों को न रेगुलर किया जा रहा है न ही इंसेंटिव दिया जा रहा है। उन्होंने प्रदेश सरकार से मांग की है कि नेशनल हेल्थ मिशन के तहत नियुक्त सभी स्वास्थ्य वर्करों के लिए नियमित किया जाए।

फेसबुक पर हमसे जुड़ने के लिए यहांक्लिक  करें। साथ ही और भी Hindi News (हिंदी समाचार) के अपडेट पाने के लिए हमेंगूगल न्यूज पर फॉलो करें।