Dagshai: हिमाचल की भूतिया जगह, आज भी घूम रही हैं मृतकों की रूहें
भारत विविधताओं से भरा देश है। और इसी विविधता के कारण विश्व में भारत की अलग पहचान है। अपनी खूबसूरती और प्राकृति के कारण काफी मशहूर है। हर साल लाखों की संख्या में विदेशी सैलानी भारत भूमि में आते हैं। यहां की हसीन और खूबसूरत वादियों में अपने जीवन के कुछ पल सुकून से बिताते हैं। आप भी छुट्टियां काफी अच्छे से मना सकते हैं। यहां की हरे-भरे जंगल और कलकल करती नदियों को किनारों की सैर करने खुद को तरोताजा कर सकते हैं। लेकिन जब भी पहाड़, झील और नदियों का जिक्र होता है तो दिमाग में सबसे पहले हिमाचल प्रदेश का ही नाम आता है।
हिमाचल हिमालय की गोद में बसा एक पहाड़ी राज्य है। हिमाचल प्रदेश में कई ऐसे स्थान हैं, जहां थोड़े से बजट में आप अपने दोस्तों या फैमिली संग सुकून और एडवेंचर के मजे ले सकते हैं। यहां ज्यादा बात नहीं करते हुए आज हिमाचल के ऐसी जगह से रूबरू करवाने जा रहे हैं, जिसे हॉन्टेड टाउन यानी भूतिया शहर के नाम से जाना जाता है। यह जगह है हिमाचल प्रदेश के सोलन जिला में। जिला मुख्यालय से करीब 11 किमी की दूरी पर डगशाई (अब दागशाई) छावनी नगर है। यह हिमाचल प्रदेश के सबसे पुराने छावनी नगरों में से एक है। यह 5,689 फुट ऊँची पहाड़ी की चोटी पर स्थित है।
भारत का सबसे पुराना छावनी शहर
सोलन जिला में स्थित दागशाई भारत का सबसे पुराना छावनी शहर है। इसे हिमाचल प्रदेश का रहस्यमयी गांव कहा जाता है। कहा जाता है कि मुगल यहां अपराधियों को मृत्युदंड के लिए भेजते थे। इसके कारण इस शहर का नाम दाग-ए-शाही रखा गया था। बाद में इसे बदलकर दागशाई रख दिया गया। आजादी से पहले ब्रिटिश शासनकाल में मुगलों के बाद अंग्रेजी सरकार ने इसे आर्मी कैंटोनमेंट बना दिया था। लोग इस जगह को हॉन्टेड कहने लगे थे। लोगों ने इस हरे-भरे पहाड़ों से घिरे हुए गांव में कुछ ऐसी घटनाएं देखीं, जिससे वह यहां शाम के समय आने से डरने लगे थे।
दागशाई से जुड़ी दिलचस्प कहानी
अगर आप सोलन के दागशाई में जाते हैं तो यहां आपको स्कूल, घर, कब्रिस्तान और पुराने भवन देखने को आसानी से मिल जाएंगे। लोग यहां के कब्रिस्तान को अच्छा भी मानते हैं और बुरा भी। यहां के कब्रिस्तान से जुड़ी एक कहानी भी है। कहा जाता है कि यह कब्रिस्तान ब्रिटिश शासन के समय से भारत में है। यहां पर एक ब्रिटिश मेजर जॉर्ज वेस्टन अपनी पत्नी के साथ रहता था। वह मेडिसिन प्रैक्टिशनर था। उसकी पत्नी मैरी नर्सिंग सहायक के तौर पर उसका साथ देती थी। दोनों की इच्छा थी कि उनका बच्चा हो। लेकिन लंबे वक्त से कोई बच्चा नहीं हुआ। इस बात से परेशान होकर दोनों एक संत से मिले।
खूबसूरत कब्र बिगाड़ी तो निकला भूत
बच्चे की चाहत लेकर जब मेजर जॉर्ज वेस्टन अपनी पत्नी के साथ संत के पास पहुंचें। संत ने दोनों की बात सुनी और उनको एक ताबीज के रुप में आर्शीवाद दिया। वक्त बीता और कुछ समय बाद दोनों को मां-बाप बनने की खुशखबरी मिली। हालांकि प्रसूती से पहले सन 1909 में गर्भावास्था के 8वें महीने में वेस्टन की पत्नी की मौत हो गई थी। इसके बाद जॉर्ज ने अपनी पत्नी मैरी और अजन्मे बच्चे दोनों के लिए एक खूबसूरत कब्र बनवाई। जॉर्ज ने कब्र के निर्माण के लिए इंग्लैड से संगमरमर मंगवाया था। और उसी संगमरमर से खूबसूरत कब्र का निर्माण करवाया।
लोगों को दिखती है मैरी की आत्मा
जॉर्ज की पत्नी मैरी के मरने के बाद यह खबर सारे इलाके में फैल गई। उसकी मृत्यु के बाद सब लोगों में यह अफवाह फैल गई कि जो भी महिला उस कब्र से संगमरमर ले जाएगी उसे बेटा पैदा होगा। कुछ लोगों ने बेटा होने का लालच में वहां से संगमरमर लाना शुरु कर दिया। इसके कारण जॉर्ज द्वारा अपनी पत्नी मैरी और अजन्मे बच्चे के लिए बनाई खूबसूरत कब्र खराब होती चली गई। मैरी की कब्र का अस्तित्व खतरे में आ गया। तब मैरी की आत्मा ने सबको परेशान करना शुरू कर दिया। अतः यह जगह फिर से भूतिया बन गई।
इस वजह से पड़ा था नाम दाग-ए-शाही
कहा जाता है कि इस जेल में यहां कैदियों के माथे पर गर्म सलाख से दागा जाता था। इसे दाग-ए-शाही कहा जाता था। इसी वजह से इस स्थान को अब दागशाई कहा जाता है। इस जेल में उस समय बागी सिख सैनिकों को भी रखा गया था और बाद में इन्हें फांसी दी गई थी। दगशाई जेल में कैदियों को कड़ी यातनाएं और कठोर सजा दी जाती थी, जिससे जेल में कई कैदियों की मृत्यु हो गई थी, जिनकी रूहें आज भी यहां रहती हैं। बता दें कि दागशाई इलाके को 1847 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने स्थापित किया था। अंग्रेजों ने पटियाला के राजा से इस क्षेत्र के पांच गांवों को मिलाकर डागशाई की स्थापना की थी।
दो दिन जेल में रहे थे गांधी जी
दागशाही में एक जेल भी है। अंग्रेज इस जेल में बागी सैनिकों को रखते थे। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने इस जेल में दो दिन बिताए थे। वे यहां जेल में बंद आयरिश कैदियों से मिलने आए थे। वहीं, गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को भी इस जेल में रखा गया था। माना जाता है कि गोडसे जेल में अंतिम कैदी थे। इस जेल को अब लोगों के लिए खोल दिया गया है। यहां बड़ी संख्या में रोजाना सैलानी आते हैं। जेल के साथ एक संग्रहालय है, जिसमें जेल व दागशाही से जुड़ी स्मृतियां रखी गई हैं। अब यहां पर्यटकों की चहल-पहल होती है।
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